छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर ढाई साल में सत्ता साझा करने के फॉर्मूले को लेकर विवाद चल रहा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया दोनों का कहना है कि ऐसा कोई वादा नहीं किया गया, जबकि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के खेमे का कहना है कि उन्हें ढाई साल के पद का वादा किया गया था.
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के साथ बैठक कर दोनों के बीच सुलह का प्रयास किया.
सूत्रों के मुताबिक, यह बैठक करीब तीन घंटे तक चली और कांग्रेस आलाकमान की तरफ से मुख्यमंत्री बदलने को लेकर संकेत नहीं दिया गया है.
बैठक के बाद कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया ने इस बात से इनकार किया कि इस बैठक में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कोई चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के सभी संभागों के विकास पर चर्चा हुई.
हालांकि सूत्रों का कहना है कि यह बैठक दोनों नेताओं के बीच सुलह की कोशिश के तहत बुलाई गई थी और मुख्य रूप से इसी पर केंद्रित भी थी.
बैठक के दौरान कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और पुनिया भी मौजूद थे.
सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी ने बघेल और सिंहदेव से अलग-अलग भी मुलाकात की और आगे दोनों नेताओं के साथ केसी वेणुगोपाल एवं पुनिया समन्वय रखेंगे.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, दोनों नेता बुधवार को दिल्ली में केसी वेणुगोपाल से अलग-अलग मुलाकात करेंगे.
Chhattisgarh Congress Crisis: Chief Minister Bhupesh Baghel and State Minister TS Singh Deo will separately meet General Secretary Organisation, KC Venugopal in Delhi today.
The two leaders had met Rahul Gandhi yesterday.
(File photos) pic.twitter.com/1QqH0PwNDo
— ANI (@ANI) August 25, 2021
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में दिसंबर, 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से मुख्यमंत्री बघेल और स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव के बीच रिश्ते सहज नहीं रहे.
छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर कथित तौर पर ढाई साल में सत्ता साझा करने के फॉर्मूले को लेकर विवाद चल रहा है.
बघेल और पुनिया दोनों ही इस बात पर अड़े हैं कि ऐसा कोई वादा नहीं किया था. जबकि सिंहदेव खेमे का कहना है कि उन्हें ढाई साल के पद का वादा किया गया था. हालांकि, कांग्रेस आलाकमान के फिलहाल के रुख से यह संभव दिखाई नहीं देता है.
टीएस सिंह देव ने कथित तौर पर जुलाई के पहले सप्ताह में दिल्ली में पूरे गांधी परिवार से मुलाकात की थी और उन्हें उनसे किए गए कथित वादे की याद दिलाई थी.
इस मामले पर गांधी परिवार की प्रतिक्रिया नहीं पता चल सकी, लेकिन बघेल को दिल्ली भी बुलाया गया था और गांधी परिवार से मिलने के बाद उन्होंने एक सार्वजनिक बयान दिया कि कोई बदलाव नहीं होने वाला है और यह गठबंधन सरकार नहीं है, जहां पद दो व्यक्तियों के बीच विभाजित है. हालांकि, इस दौरान उन्होंने कहा था कि अगर पार्टी आलाकमान उन्हें निर्देश देगा तो वह पद छोड़ देंगे.
रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों के मुताबिक, तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संकेत दिया था कि दिल्ली में रहने वाले दोनों नेता बघेल और सिंहदेव पांच साल के कार्यकाल को समान रूप से साझा करेंगे, जिसमें बघेल पहली बार जाएंगे. हालांकि, पिछले महीने पद पर ढाई साल पूरे करने वाले बघेल ने इस तरह के किसी भी समझौते से बार-बार इनकार किया है.
इसके साथ ही पिछले तीन वर्षों में उनके बीच लगातार खींचतान चलती रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में निजी स्वास्थ्य सेवा को सब्सिडी देने, अधिकारियों के परिवर्तन और शक्तियों पर प्रतिबंध और हाल में लेमरू हाथी रिजर्व के क्षेत्र उन प्रमुख मुद्दों में से हैं जिन पर उनमें मतभेद रहे हैं.
पिछले दिनों बघेल गुट और सिंहदेव गुट के बीच मतभेद उस वक्त और बढ़ गये जब कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पर आरोप लगाया था कि वह उनकी हत्या करवाकर मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं. बृहस्पति सिंह को मुख्यमंत्री बघेल का करीबी माना जाता है.
इस मुद्दे को लेकर विधानसभा में भी हंगामा हुआ था जिसके बाद गृहमंत्री के बयान के बाद मंत्री सिंहदेव सदन से उठकर चले गए थे.
सिंहदेव ने कहा था कि वह सदन की कार्यवाही में तब तक शामिल नहीं होंगे, जब तक राज्य सरकार विधायक द्वारा लगाए गए आरोपों पर स्पष्ट जवाब नहीं दे देती है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)