उत्तराखंड: कुंभ मेले में फ़र्ज़ी कोविड ​जांच घोटाले के मामले में उत्तराखंड के दो अधिकारी निलंबित

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर मेला अधिकारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) डॉ. अर्जुन सिंह सेंगर और तत्कालीन प्रभारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) डॉ. एनके त्यागी को निलंबित कर दिया गया. जांच समिति ने पाया कि अधिकारियों की हरिद्वार में कुंभ मेले के दौरान नकली रैपिड एंटीजन जांच करने में शामिल कंपनियों के साथ मिलीभगत की थी.

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हरिद्वार के कुंभ में जुटी श्रद्धालुओं की भारी भीड़. (फोटो: पीटीआई)

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर मेला अधिकारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) डॉ. अर्जुन सिंह सेंगर और तत्कालीन प्रभारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) डॉ. एनके त्यागी को निलंबित कर दिया गया. जांच समिति ने पाया कि अधिकारियों की हरिद्वार में कुंभ मेले के दौरान नकली रैपिड एंटीजन जांच करने में शामिल कंपनियों के साथ मिलीभगत की थी.

हरिद्वार के कुंभ में जुटी श्रद्धालुओं की भारी भीड़. (फोटो: पीटीआई)

देहरादून: उत्तराखंड में दो अधिकारियों को हरिद्वार के कुंभ मेले के दौरान फर्जी कोविड ​​​-19 जांच घोटाले में शामिल होने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है.

राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर मेला अधिकारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) डॉ. अर्जुन सिंह सेंगर और तत्कालीन प्रभारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) डॉ. एनके त्यागी को बृहस्पतिवार रात निलंबित कर दिया गया.

यह कार्रवाई फर्जी जांच घोटाले की छानबीन के लिए हरिद्वार के जिलाधिकारी द्वारा गठित एक समिति की सिफारिश के आधार पर की गई है.

धामी ने कहा, ‘किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. घोटाले के संबंध में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.’

जांच समिति ने पाया कि अधिकारियों की हरिद्वार में कुंभ मेले के दौरान नकली रैपिड एंटीजन जांच करने में शामिल कंपनियों के साथ मिलीभगत की थी.

समिति ने लापरवाही बरतने और राज्य को वित्तीय नुकसान पहुंचाने के लिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी.

हरिद्वार के मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने 16 अगस्त को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी.

इस बीच, हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सेंथिल अवूदई कृष्ण राज एस. को फर्जी परीक्षण घोटाले में शामिल कंपनियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने के लिए कहा गया है.

यह मामला तब सामने आया जब जून में पंजाब के एक व्यक्ति ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को शिकायत की कि उसके मोबाइल पर कुंभ में उसकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आने संबंधी एक संदेश (एसएमएस) प्राप्त हुआ, जबकि उन्होंने जांच के लिए अपना नमूना दिया ही नहीं था.

कुंभ के दौरान उन्हें एक एसएमएस आया, जिसमें कहा गया कि कोविड-19 टेस्ट के लिए आपका सैंपल ले लिया गया है. हालांकि न ही उनका सैंपल लिया गया था, न ही कोई टेस्ट हुआ था.

इसके बाद शख्स ने ईमेल के जरिये आईसीएमआर को इसकी सूचना दी और आरोप लगाया कि फर्जी टेस्ट के लिए उनके मोबाइल नंबर और आधार कार्ड का दुरुपयोग किया गया है.

बीते 17 जून को हरिद्वार पुलिस ने कुंभ मेले के दौरान रैपिड एंटीजन परीक्षणों की कथित रूप से नकली कोविड रिपोर्ट जारी करने के लिए एक निजी एजेंसी और दो प्रयोगशालाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. वहीं, उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कोरोना टेस्ट में फर्जीवाड़े को लेकर विशेष जांच समिति (एसआईटी) जांच के आदेश दिए थे.

मुख्य चिकित्साधिकारी शंभु कुमार झा की तरफ से मैक्स कॉरपोरेट सर्विस और दो निजी लैब- नलवा लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड, हिसार तथा डॉ. लालचंदानी लैब, मध्य दिल्ली के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था.

बता दें कि बीते 6 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कुंभ के दौरान फर्जी कोविड जांच में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है. ईडी ने कहा था कि उसने छापेमारी के दौरान ‘आपत्तिजनक दस्तावेज, फर्जी बिल, लैपटॉप, मोबाइल फोन और संपत्ति के दस्तावेज और 30.9 लाख रुपये नकद’ जब्त किए हैं.

एजेंसी ने एक बयान में बताया था कि नोवस पैथ लैब्स, डीएनए लैब्स, मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज, डॉ. लाल चांदनी लैब्स प्राइवेट लिमिटेड और नलवा लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालयों और देहरादून, हरिद्वार, दिल्ली, नोएडा और हिसार में उनके निदेशकों के आवासीय परिसरों में भी छापेमारी की गई.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)