श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के लिए आधार अनिवार्य, संगठन ने कहा- यह डिजिटल डिवाइड बढ़ाता है

केंद्र ने ई-श्रम पोर्टल की शुरुआत की है, जहां असंगठित क्षेत्र और प्रवासी श्रमिकों का राष्ट्रीय स्तर पर डेटा उपलब्ध होगा. हालांकि श्रम मामलों पर कार्य करने वाले वर्किंग पीपुल्स चार्टर ने कहा है कि रजिस्ट्रेशन की पूरी व्यवस्था ऐसे श्रमिकों के लिए अवरोध बन रहा है, जिनके पास इंटरनेट इत्यादि के ज़रिये इस तक पहुंचने की जानकारी नहीं है. संगठन ने कहा कि वोटर आईडी कार्ड को आधार कार्ड के विकल्प में वैध पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए.

Gurugram: Migrants wait to board a bus for Bihar at Tau Devi Lal Stadium, during the ongoing COVID-19 lockdown, in Gurugram, Tuesday, June 2, 2020. (PTI Photo)(PTI02-06-2020_000216B)

केंद्र ने ई-श्रम पोर्टल की शुरुआत की है, जहां असंगठित क्षेत्र और प्रवासी श्रमिकों का राष्ट्रीय स्तर पर डेटा उपलब्ध होगा. हालांकि श्रम मामलों पर कार्य करने वाले वर्किंग पीपुल्स चार्टर ने कहा है कि रजिस्ट्रेशन की पूरी व्यवस्था ऐसे श्रमिकों के लिए अवरोध बन रहा है, जिनके पास इंटरनेट इत्यादि के ज़रिये इस तक पहुंचने की जानकारी नहीं है. संगठन ने कहा कि वोटर आईडी कार्ड को आधार कार्ड के विकल्प में वैध पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए ई-श्रम पोर्टल शुरू किया है, जहां असंगठित क्षेत्र और प्रवासी श्रमिकों के बारे में राष्ट्रीय स्तर पर डाटा उपलब्ध होगा. श्रमिक अपने आधार और बैंक खातों के विवरणों के साथ इस पोर्टल पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं, जिसके बाद उन्हें 12 अंकों वाले एक विशिष्ट नंबर के साथ एक ई-श्रम कार्ड जारी किया जाएगा.

केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने बीते गुरुवार को इस पोर्टल की शुरुआत की. इसके जरिये सरकार का लक्ष्य असंगठित क्षेत्र के 38 करोड़ श्रमिकों जैसे निर्माण मजदूर, प्रवासी कार्यबल, स्ट्रीट वेंडर और घरेलू कामगारों को पोर्टल पर पंजीकृत कराना है,

यादव ने कहा, ‘भारत के इतिहास में पहली बार 38 करोड़ असंगठित कामगारों के पंजीकरण की व्यवस्था की जा रही है. यह न केवल उन्हें पंजीकृत करेगा, बल्कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लागू की जा रही विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को पूरा करने में भी मददगार होगा.’

वर्किंग पीपुल्स चार्टर (डब्ल्यूपीसी) ने केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि यदि इसे सही से लागू किया गया तो इस पोर्टल के जरिये असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को बहुप्रतीक्षित सामाजिक सुरक्षा और हकदारी दिलाना संभव हो जाएगा.

डब्ल्यूपीसी असंगठित क्षेत्र और प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों का एक राष्ट्रीय नेटवर्क है.

उन्होंने कहा, ‘इस बात को स्वीकार करना होगा कि श्रमिकों ने यहां तक पहुंचने के लिए काफी बड़ी कीमत अदा की है. जब कोविड-19 महामारी के कारण बिना किसी पूर्व सूचना के लॉकडाउन की घोषणा कर दिए जाने के बाद मची अफरातफरी के बाद जब हजारों मजदूर अपने घर पहुंचना चाह रहे थे, तो केंद्र और राज्य सरकार दोनों में से किसी ने भी उनकी कोई मदद नहीं की.’

संगठन ने आगे कहा, ‘श्रम और रोजगार मंत्रालय की मजदूरों के इस भारी पलायन से निपटने की कोई तैयारी नहीं थी और उसकी कलई तब खुल गई जब मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि प्रवासी मजदूरों का कोई लेखा-जोखा उसके पास नहीं है. अब यह डाटाबेस भारी संख्या में इन श्रमिकों को किसी तरह की मदद और हकदारी उन तक पहुंचाने और उनको न्याय और गरिमा दिलाने में सफल हो पा रहा है कि नहीं, यह समय ही बताएगा.’

वर्किंग पीपल्स चार्टर से संबंधित श्रमिक समूहों और श्रम मामलों के जानकारों ने इस मामले को लेकर कुछ चिंताएं भी जाहिर की हैं. उन्होंने कहा है कि इस पोर्टल की एक बड़ी कमी ये है कि जिन श्रमिकों के पास आधार कार्ड नहीं है वह इसमें रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकते हैं.

इसके अलावा वर्तमान में सामाजिक सुरक्षा योजनाएं और हकदारी इस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं हैं. कुछ योजनाओं जैसे दुर्घटना बीमा (दो लाख रुपए तक), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) तक पहुंच दिलाने का प्रस्ताव है, पर अन्य योजनाओं के बारे में कोई विवरण उपलब्ध नहीं है.

डब्ल्यूपीसी ने कहा, ‘डेटाबेस सिर्फ पिता का नाम पूछता है, मां का नाम नहीं. यह लिंग आधारित बहिष्करण पैदा करता है. यह योजना सिर्फ उन व्यक्तिगत श्रमिकों के लिए है, जो इस पर पंजीकरण कराते हैं. इसमें परिवार के सदस्यों और आश्रितों के विवरणों को शामिल करने का प्रावधान नहीं है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘उम्रदराज श्रमिक, जो 60 साल के ऊपर के हैं, उन्हें मनमाने ढंग से छोड़ दिया गया है. यह गौर करने वाली बात है कि असंगठित क्षेत्र के अधिकांश श्रमिकों को कोई पेंशन सुविधा नहीं मिलती है. पोर्टल पर पंजीकरण के लिए श्रमिकों का सत्यापन श्रम सुविधा केंद्र करता है. इसे लेकर डर है कि उसके लिए 43 करोड़ श्रमिकों के डेटाबेस को संभालना मुश्किल होगा, जिसकी वजह से लोग काफी लोगों के छूट जाने की आशंका है.’

श्रम संगठन ने कहा कि पंजीकरण की पूरी व्यवस्था में ‘डिजिटल डिवाइड’ की समस्या का ध्यान नहीं रखा गया है, जो ऐसे श्रमिकों के लिए अवरोध बन रहा है, जिनके पास इंटरनेट इत्यादि के जरिये इस तक पहुंचने की जानकारी नहीं है.

श्रमिकों को विशिष्ट नंबर देने के बाद आज तक कोई संदेश/सूचना लिंक प्राप्त नहीं हुआ है, यहां तक कि कार्ड मिल जाने के बाद भी नहीं.

इस तरह की कई समस्याओं का समाधान करने के लिए डब्ल्यूपीसी ने एक एसओपी सुझाया है, जिसमें कहा गया है कि वोटर आईडी कार्ड को आधार कार्ड के विकल्प में वैध पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए.

इसके अलावा उन्होंने कहा है कि श्रमिक जिन सूचनाओं को साझा कर रहे हैं, उसे सही माना जाए बशर्ते कि वे गलत साबित न हों. सूचनाओं की सत्यता जांचने का बोझ सरकार पर हो न कि किसी श्रमिक पर.

आगे कहा कि श्रमिकों के पंजीकरण में सरकारी व्यवस्था के कारण कोई दिक्कत न हो, इसके लिए जरूरी है कि श्रमिकों के संगठनों को पंजीकरण प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जाए ताकि वे पंजीकरण और श्रमिकों के सत्यापन में मदद कर सकें और सिस्टम की खराबी इसमें आड़े न आ सके.

उन्होंने आगे कहा, ‘जो श्रमिक किसी सरकारी पोर्टल पर पहले से ही पंजीकृत हैं, उन्हें दोबारा पंजीकरण के लिए न कहा जाए और राष्ट्रीय डाटाबेस में उनका नाम स्वतः ही शामिल कर लिया जाए. इस स्थिति में श्रमिक को यूनिक पंजीकरण नंबर उसे एसएमएस से भेज दिया जाना चाहिए या उस फोन नंबर पर उसे बता दिया जाना चाहिए जो पंजीकृत है.’

संगठन ने कहा है कि पंजीकरण शिविर लगाने, श्रमिकों के दरवाजे पर जाकर पंजीकरण करने जैसे कार्य राज्य/केंद्र सरकार को करना चाहिए, न कि पंजीकरण का सारा दारोमदार श्रमिकों पर छोड़ दिया जाए.

उन्होंने कहा कि केंद्र/राज्य सरकार ऐसी व्यवस्था बनाए, ताकि श्रमिकों को पंजीकरण प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी दी जा सके, जैसे कि उन्हें पंजीकरण क्यों कराना चाहिए, इससे उन्हें क्या फायदा होगा और कौन इस सूचना का हकदार है.

वर्किंग पीपुल्स चार्टर ने कहा कि राज्य/केंद्र को मदद करने के लिए एक त्रिपक्षीय सलाहकार समिति गठित हो जो सामाजिक सुरक्षा की हकदारी सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त योजना तैयार करे.

बता दें कि ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण कराने वाले प्रत्येक असंगठित क्षेत्र के श्रमिक को 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवर देने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा पोर्टल पर पंजीकृत यदि कोई कामगार दुर्घटना का शिकार होता है, तो मृत्यु या स्थायी रूप से शारीरिक विकलांगता की स्थिति में दो लाख रुपये और आंशिक रूप से शारीरिक विकलांगता का शिकार होने पर एक लाख रुपये दिए जाएंगे.

इसके साथ ही सरकार ने पोर्टल पर पंजीकरण की मांग करने वाले श्रमिकों के प्रश्नों की सहायता और समाधान के लिए राष्ट्रीय टोल फ्री नंबर भी जारी किया है.