अन्नाद्रमुक की बैठक में शशिकला द्वारा की गई सभी नियुक्तियों को अवैध घोषित कर दिया गया.
चेन्नई: अन्नाद्रमुक की शीर्ष नीति निर्धारक इकाई ने मंगलवार को जेल में बंद पार्टी की अंतरिम महासचिव वीके शशिकला को बाहर का रास्ता दिखाते हुए उन्हें सभी पदों से हटा दिया और उनके द्वारा की गई सभी नियुक्तियों को अवैध घोषित कर दिया.
इतना ही नहीं पार्टी की महापरिषद ने अपनी बैठक में प्रस्ताव पारित कर महासचिव पद को भी समाप्त कर दिया.
इस बहुप्रतीक्षित बैठक में शशिकला द्वारा 15 फरवरी से पहले की गई सभी नियुक्तियों और बर्खास्तगी को भी अवैध घोषित कर दिया. शशिकला ने भ्रष्टाचार के एक मामले में 15 फरवरी को बेंगलुरु की अदालत में आत्मसमर्पण किया था.
महापरिषद की ओर से शशिकला द्वारा की गई सभी नियुक्तियों को अवैध घोषित किए जाने के बाद उनके रिश्तेदार दिनाकरण की नियुक्ति स्वत: ही अवैध हो गई.
पार्टी सुप्रीमो और तत्कालीन मुख्यमंत्री जे. जयललिता के निधन के बाद हुई पार्टी की बैठक में 29 दिसंबर को शशिकला को पार्टी का अंतरिम महासचिव नियुक्त किया गया था.
हालांकि नियुक्ति के एक दिन बाद ही उच्चतम न्यायालय ने आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति रखने के मामले में उन्हें और दो अन्य लोगों को दोषी करार दिया था.
फैसले के बाद शशिकला ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था और वह 15 फरवरी से बेंगलुरु के केंद्रीय कारागार में बंद हैं.
मंगलवार की बैठक में पार्टी का कामकाज चलाने के लिए प्रशासनिक अधिकारों से संपन्न दो नए पदों संयोजक एवं संयुक्त संयोजक का सृजन किया गया.
इन दोनों पदों के लिए चुनाव होने तक मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी और उपमुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम क्रमश: संयोजक और संयुक्त संयोजक के पद पर रहेंगे.
यह बैठक मद्रास उच्च न्यायालय से हरी झंडी मिलने के बाद हुई है. अदालत ने बैठक पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था.
जयललिता की मृत्यु के बाद हुई परिषद की दूसरी बैठक में मंगलवार को कहा गया, अम्मा जयललिता की अचानक मृत्यु के सदमे और चिंताओं के बीच पार्टी का कामकाज देखने के लिए वीके शशिकला को अंतरिम महासचिव नियुक्त किया गया था.
बैठक में कहा गया, यह बैठक 29 दिसंबर, 2016 को हुई उनकी नियुक्ति को रद्द करने का फैसला आम सहमति से करती है. यह भी तय किया जाता है कि 30 दिसंबर 2016 से लेकर 15 फरवरी 2017 के बीच उनके द्वारा की गयी सभी नियुक्तियां वैध नहीं हैं.
पलानीस्वामी और पनीरसेल्वम के नेतृत्व वाले धड़ों की 21 अगस्त को हुई विलय के बाद एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा था कि शशिकला को पार्टी के शीर्ष पद से हटाने के लिए कदम उठाएगा. पनीरसेल्वम के नेतृत्व वाले बागी धड़े की मुख्य मांगों में शशिकला को हटाया जाना शामिल था.
बैठक ने यह भी तय किया कि दिनाकरण द्वारा की गई नियुक्तियां और अन्य बदलाव भी वैध नहीं हैं और वह पार्टी कानून के तहत स्वीकार्य नहीं हैं.
महासचिव पद समाप्त करने के साथ ही जयललिता को अपना स्थाई महासचिव घोषित किया है. महासभा ने कहा कि जयललिता और पार्टी के संस्थापक एमजी रामचंद्रन की मृत्यु से उत्पन्न शून्य को कोई नहीं भर सकता.
ई. मधुसूदन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में पलानीस्वामी और पनीरसेल्वम सहित पार्टी के अन्य नेताओं ने भाग लिया.
दिनाकरण ने शशिकला को बाहर निकाले जाने की घटना को तवज्जो नहीं दिया
मदुरै: अलग-थलग पड़ गए अन्नाद्रमुक नेता टीटीवी दिनाकरण ने एकीकृत अन्नाद्रमुक द्वारा अपनी रिश्तेदार वीके शशिकला की पार्टी के अंतरिम प्रमुख पद पर नियुक्ति रद्द किए जाने की घोषणा को कोई महत्व नहीं दिया और कहा कि अदालत इस मुद्दे पर अपना अंतिम निर्णय देगी.
आक्रामक दिनाकरण ने महासभा की बैठक को सार्वजनिक सभा करार देते हुये कहा कि उन्होंने पलानीस्वामी के नेतृत्व वाली इस सरकार को बदलने के लिए कार्रवाई की थी.
उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश का जिक्र किया जिसमें कहा गया है कि मंगलवार की महासभा में लिए गए फैसले इस मामले में अपील पर होने वाले निर्णय के दायरे में आयेंगे. उन्होने कहा कि इसके बाद ही यह पता चलेगा कि क्या शशिकला को पद से हटाना वैध था.
महासभा की बैठक पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका खारिज करने के एकल न्यायाधीश की पीठ का आदेश निरस्त कराने के दिनाकरण गुट के एक विधायक की अपील पर सुनवाई करते हुए बुधवार रात अदालत ने इस बैठक को हरी झंडी दे दी थी और यह अपील 23 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दी थी.
शशिकला को महासभा से निकाले जाने के बारे में पलानीस्वामी के साथ सत्ता के लिए संघर्ष कर रहे दिनाकरण ने कहा, ऐसे में हमें इसे बड़ा एक बड़ा मुद्दा बनाने की जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा कि यह निर्णय लेने वाली वही महासभा है जिसने पिछले साल उन्हें महासचिव के पद पर तैनात किया था.
द्रमुक लाएगा अविश्वास प्रस्ताव: स्टालिन
चेन्नई: द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने मंगलवार को कहा कि तमिलनाडु विधानसभा का सत्र बुलाए जाने पर उनकी पार्टी के. पलानीस्वामी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी.
विपक्ष के नेता यह मांग कर रहे हैं कि राज्यपाल सी. विद्यासागर राव सरकार को सदन में अपना बहुमत साबित करने का निर्देश दें. स्टालिन ने सत्तारूढ़ पार्टी के इस दावे पर भी सवाल उठाया कि उसके पास जरूरी बहुमत है.
स्टालिन ने संवाददाताओं से कहा, यदि मुख्यमंत्री में विश्वास मत हासिल करने की कूवत है तो वह राज्यपाल से विधानसभा का सत्र बुलाने की सिफारिश करें. यदि वे सत्र बुलाते हैं तो हम निश्चित रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे.
गौरतलब है कि स्टालिन ने रविवार को राज्यपाल से मुलाकात की थी और उनसे राज्य सरकार को सदन में हफ्ते भर के अंदर अपना बहुमत साबित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था.
दरअसल, मुख्यमंत्री के खिलाफ अन्नाद्रमुक के 19 विधायकों ने पिछले महीने बगावत कर दी थी. उन्होंने यह भी कहा कि यदि राज्यपाल ने उनके अनुरोध पर हफ्ते भर के अंदर कुछ नहीं किया तो पार्टी कानूनी रास्ता अपनाएगी और जनता की अदालत में भी जाएगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)