नफ़रत की राजनीति भारत को बांट रही है: राहुल गांधी

वॉशिंगटन में राहुल बोले, नोटबंदी से लाखों छोटे कारोबार तबाह हो गए. नोटबंदी का फ़ैसला आर्थिक सलाहकार या संसद की सलाह के बिना लिया गया. इससे अर्थव्यवस्था को काफ़ी नुकसान हुआ.

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वॉशिंगटन में राहुल बोले, नोटबंदी से लाखों छोटे कारोबार तबाह हो गए. नोटबंदी का फ़ैसला आर्थिक सलाहकार या संसद की सलाह के बिना लिया गया. इससे अर्थव्यवस्था को काफ़ी नुकसान हुआ.

Berkeley: Congress Vice President, Rahul Gandhi delivering a speech at Institute of International Studies at UC Berkeley, California on Monday. PTI Photo(PTI9_12_2017_000038B)
बर्कले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के छात्रों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी. (फोटो: पीटीआई)

वाशिंगटन/नई दिल्ली: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों की आज मंगलवार को कड़ी आलोचना करते हुए सरकार के नोटबंदी के निर्णय को अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने सरीखा बताया.

उन्होंने भाजपा पर ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भारत ने मानव बदलाव की वृहद प्रक्रिया की शुरुआत की है. भारत की यह पहल प्रभावी है. हमारी सफलता विश्व को प्रभावित करती है. उन्होंने चेतावनी दी कि इस रफ्तार को नफरत, नाराजगी और हिंसा खत्म कर सकती है.

उन्होंने इशारों में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारत में ध्रुवीकरण की राजनीति सिर उठा रही है.

उन्होंने कहा, लोगों को दलित होने के कारण मारा जा रहा है. मुस्लिमों को गौमांस खाने के संदेह पर मार दिया जाता है. यह सब भारत में नया है और इसने भारत को काफी नुकसान पहुंचाया है.

उन्होंने कहा कि नफरत की राजनीति भारत को बांट रही है और लाखों लोगों को ऐसा महसूस होने लगा है कि अपने देश में ही उनका कोई भविष्य नहीं है. आज की आपस में जुड़ी दुनिया में यह बेहद खतरनाक है.

नोटबंदी और जीएसटी से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान

उन्होंने कहा कि नोटबंदी जैसे खतरनाक निर्णय और जल्दबाजी में लागू की गई जीएसटी व्यवस्था भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भारी नुकसान की वजह बने हैं.

गांधी दो सप्ताह लंबे अमेरिकी दौरे पर यहां आए हुए हैं. वह समकालीन भारत एवं विश्व के इस सबसे बड़े लोकतंत्र के भविष्य पर बर्कले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के छात्रों को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि आठ नवंबर का नोटबंदी का फैसला मुख्य आर्थिक सलाहकार या संसद की सलाह के बिना लिया गया. इससे अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ. उन्होंने आरोप लगाया कि नोटबंदी की देश को भारी कीमत चुकानी पड़ी है.

नोटबंदी का निर्णय गैर-जिम्मेदाराना और खतरनाक

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, भारत के बेमिसाल संस्थागत ज्ञान को नजरअंदाज कर इस तरह का निर्णय लेना गैर-जिम्मेदाराना और खतरनाक था.

उन्होंने आगे कहा कि भारत में हर रोज 30 हजार नये युवा श्रम बाजार में पहुंच रहे हैं जबकि सरकार प्रति दिन के हिसाब से रोजगार के महज 500 अवसर मुहैया करा पा रही है.

उन्होंने कहा, आर्थिक वृद्धि में गिरावट से आज देश में लोगों की नाराजगी बढ़ रही है. सरकार की नोटबंदी और हड़बड़ी में लाई गई जीएसटी से अर्थव्यवसथा को भारी नुकसान हुआ है.

कृषि बुरी स्थिति में, किसान आत्महत्याएं बढ़ीं

गांधी ने सरकार पर नोटबंदी के द्वारा लाखों लोगों को तबाह करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा, नोटबंदी के परिणामस्वरूप लाखों छोटे कारोबार तबाह हो गए. किसान एवं अन्य लोग जो नकदी का इस्तेमाल करते हैं, बुरी तरह प्रभावित हुए. कृषि बुरी स्थिति में है और देश में किसानों की आत्महत्याएं बढ़ रही हैं.

हालांकि, वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि नोटबंदी का परिणाम अनुमान के मुताबिक ही रहा और इससे अर्थव्यवस्था को मध्यम तथा दीर्घ अवधि में फायदा होगा.

जेटली का यह बयान तब आया जब रिजर्व बैंक ने कहा कि बंद किये नोटों में से 99 प्रतिशत बैंकिंग प्रणाली में लौट आये हैं. जेटली ने कहा था कि बैंकों में पैसे जमा होने का मतलब यह नहीं है कि यह सारा धन वैध है.

जो कुछ हासिल हुआ, उसके समाप्त होने का खतरा

गांधी ने कहा कि भारत मौजूदा दर की आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन की रफ्तार से आगे बढ़ने का जोखिम नहीं उठा सकता है.

उन्होंने चेतावनी दी, अगर हम इसी दर से आगे बढ़ते रहे, यदि भारत श्रम योग्य आयु में प्रवेश कर रहे लाखों युवाओं को रोजगार उपलब्ध नहीं कराता है तो इससे नाराजगी बढ़ेगी. इससे अब तक जो भी हासिल हुआ है वह सब समाप्त होने का खतरा है. यह स्थिति भारत और शेष विश्व के लिए काफी नुकसानदायक होगी.

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि आज देश के समक्ष मुख्य चुनौती रोजगार सृजन करना है. उन्होंने कहा कि देश में हर साल करीब 1.2 करोड़ युवा श्रम योग्य आयु में पहुंच जाते हैं. इनमें से करीब 90 प्रतिशत हाई स्कूल या कमतर शिक्षा प्राप्त होते हैं.

जोर जबरदस्ती वाला चीनी तरीका नहीं चल सकता

राहुल गांधी ने कहा, भारत एक लोकतांत्रिक देश है, यहां जोर जबरदस्ती वाला चीनी तरीका नहीं चल सकता. हमें चीन के तौर तरीकों से हटकर लोकतांत्रिक माहौल में रोजगार के अवसर सृजित करने होंगे. हम कुछ लोगों द्वारा नियंत्रित बड़े-बड़े कारखानों का मॉडल नहीं अपना सकते हैं.

उन्होंने आगे कहा कि भारत में नौकरियां छोटे एवं मध्यम श्रेणी के उद्योगों से आएंगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को भारी संख्या में छोटे एवं मध्यम उद्योगों को अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में तब्दील करना होगा.

शीर्ष सौ कंपनियों पर है सारा ध्यान

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भारत में इस समय शीर्ष सौ कंपनियों पर ही सारा ध्यान दिया जा रहा है. उन्होंने कहा, सब कुछ उनके लिए उपलब्ध है, बैंकिंग प्रणाली पर उनका एकाधिकार है और सरकार के दरवाजे भी उनके लिए हमेशा खुले हुए हैं. उनके ही द्वारा कानून के बारे में सुझाव दिये जा रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा कि छोटे एवं मध्यम कारोबार चला रहे उद्यमियों को ऋण लेने में मशक्कत करनी पड़ रही है. उन्हें कोई समर्थन या संरक्षण नहीं मिल पा रहा है. छोटे एवं मध्यम उद्योग भारत और विश्व के नवाचार के आधार हैं. बड़े कारोबारी भारत में अप्रत्याशित स्थिति का आसानी से सामना कर सकते हैं. वे अपनी भारी-भरकम संपत्ति और ऊंचे संपर्कों के दम पर संरक्षित हैं.

मोदी मुझसे बेहतर वक्ता हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में पूछे जाने पर राहुल ने मोदी को खुद से बेहतर वक्ता बताते हुए कहा, मैं विपक्ष का एक नेता हूं. लेकिन मोदी मेरे भी प्रधानमंत्री हैं. मोदी के पास कुछ कुशलताएं हैं. वह एक अच्छे वक्ता हैं. संभवत: मुझसे काफी बेहतर. उन्हें यह मालूम है कि भीड़ में तीन-चार समूहों तक कैसे बेहतर ढंग से अपनी बात पहुंचाई जा सकती है. अपनी बात बेहतर तरीके से पहुंचाने की उनकी क्षमता बेहतर है.

उन्होंने मोदी की प्रमुख योजनाओं मेक इन इंडिया और स्वच्छ भारत को अच्छा विचार बताया. हालांकि, उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया का उनका अपना विचार कुछ हटकर है. राहुल ने कहा कि वह मेक इन इंडिया में छोटे और मध्यम दर्जे के उद्योगों पर अधिक ध्यान देना चाहेंगे.

एक विफल वंशवादी ने अपनी विफल राजनीति की चर्चा की: स्मृति ईरानी

राहुल गांधी के बर्कले यूनिवर्सिटी में दिए भाषण पर अपनी प्रतिक्रिया में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष का यह कहना अपने आप में एक बहुत बड़ी स्वीकारोक्ति है कि साल 2012 में कांग्रेस में अहंकार आ गया था और उनका इसे चुनाव में पार्टी की हार से जोड़ना कांग्रेस के लिए चिंतन का विषय है क्योंकि इससे वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर तंज कर रहे हैं.

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नई दिल्ली स्थित भाजपा कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करतीं केंद्रीय मंत्री स्मिृति ईरानी. (फोटो: पीटीआई)

राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए भाजपा नेता ने कहा, एक विफल वंशवादी ने अपनी विफल राजनीतिक यात्रा के बारे में अमेरिका में चर्चा की. भारत में वंशवाद को कोई समर्थन प्राप्त नहीं है.

प्रधानमंत्री पर तंज कसना राहुल की पुरानी आदत

स्मृति ईरानी ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसना राहुल गांधी की पुरानी आदत है. यह उनकी नाकाम रणनीति है. वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी राजनीतिक पीड़ा व्यक्त कर रहे थे लेकिन वह भूल गए कि 2014 में वोटर ने वोट के माध्यम से नरेंद्र मोदी में अपना विश्वास व्यक्त किया.

ईरानी ने कहा, वे जिस देश के नागरिक हैं, उस देश के लोग उनके कथन का समर्थन नहीं कर रहे हैं और इसके बाद अब वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं. लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि इस देश के नागरिक ही वोटर होते हैं और देश के मतदाता अपने वोट के जरिये प्रधानमंत्री मोदी में विश्वास व्यक्त कर चुके हैं.

उन्होंने कहा कि राहुल द्वारा 2012 में कांग्रेस में अहंकार आने की बात कहना बहुत बड़ी स्वीकारोक्ति है. यह कांग्रेस के लिए चिंतन का विषय है क्योंकि इसके जरिये वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भी तंज कर रहे हैं क्योंकि उस समय सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष थीं.

राहुल अपनी सफलता का मापदंड अमेठी जाकर देखें

स्मृति ने कहा कि आज अगर राहुल गांधी की सफलता और विफलता का सही मापदंड देखना चाहते हैं तो अमेठी जाकर देखना चाहिए, वह इस बारे में चर्चा कर रहे थे कि भारत को कैसे सुनहरा भविष्य दे सकते हैं. ऐसे में अगर अमेठी के विकास पर चर्चा हो तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए.

जीएसटी पर राहुल गांधी की टिप्पणी पर स्मृति ने कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी को यदि दूसरों को सुनने की आदत होती तो कांग्रेस के शासनकाल में ही जीएसटी पास हो जाता.

स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के कार्यकाल में जीएसटी पारित नहीं होना अपने आप में इस बात का संकेत है कि उसने प्रदेशों और राज्य सरकारों को विश्वास में लेने का प्रयास नहीं किया.