बंगालः ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक, उनकी पत्नी को समन जारी किया

बंगालः ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक, उनकी पत्नी को समन जारी किया

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा पर आरोप है कि दोनों ने अपनी कंपनियों के खाते में ऐसे लोगों से पैसे ट्रांसफर कराए हैं, जिनका संबध कोयला घोटाले से हैं. इस मामले में ईडी ने अभिषेक को छह सितंबर को जबकि उनकी पत्नी को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत इसी तरह का समन भेजकर एक सितंबर को पेश होने को कहा है.

अभिषेक बनर्जी. (फोटो साभार: फेसबुक)

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा पर आरोप है कि दोनों ने अपनी कंपनियों के खाते में ऐसे लोगों से पैसे ट्रांसफर कराए हैं, जिनका संबध कोयला घोटाले से हैं. इस मामले में ईडी ने अभिषेक को छह सितंबर को जबकि उनकी पत्नी को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत इसी तरह का समन भेजकर एक सितंबर को पेश होने को कहा है.

अभिषेक बनर्जी. (फोटो साभार: फेसबुक)

नयी दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राज्य में कथित कोयला घोटाले से जुड़े धनशोधन के एक मामले में पूछताछ के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे एवं सांसद अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी को समन जारी किया है.

अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी.

33 वर्षीय अभिषेक बनर्जी डायमंड हार्बर सीट से सांसद हैं और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं.

उन्हें मामले के जांच अधिकारी के समक्ष छह सितंबर को पेश होने के लिए समन जारी किया गया है, जबकि उनकी पत्नी रुजिरा को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत इसी तरह का समन भेजकर एक सितंबर को पेश होने को कहा गया है.

सीबीआई इस मामले में अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा से पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले 23 फरवरी को भी पूछताछ कर चुका है. उनकी बहन और परिवार से भी इस मामले में पूछताछ हो चुकी है.

बनर्जी के वकील संजय बसु को तीन सितंबर को एजेंसी के समक्ष पेश होने को कहा गया है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल पुलिस के दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी श्याम सिंह को आठ सितंबर और ज्ञानवंत सिंह को नौ सितंबर को ईडी के समक्ष पेश होने को कहा गया है.

निदेशालय ने सीबीआई की नवंबर, 2020 की एक एफआईआर का अध्ययन करने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम की आपराधिक धाराओं के तहत यह मामला दर्ज किया था.

सीबीआई की एफआईआर में आसनसोल और उसके आसपास कुनुस्तोरिया और कजोरा इलाकों में ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदानों से संबंधित करोड़ों रुपये के कोयला घोटाले का आरोप लगाया गया है.

इस मामले में अनूप माझी उर्फ लाला मुख्य संदिग्ध है.

अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा पर आरोप है कि दोनों ने अपनी कंपनियों के खाते में ऐसे लोगों से पैसे ट्रांसफर कराए हैं, जिनका संबध कोयला घोटाले से हैं. अभिषेक के पिता अमित बनर्जी भी उनमें से एक कंपनी के निदेशक हैं.

आरोप यह भी है कि पैसे लेने के आधार के लिए इन कंपनियों से फर्जी एग्रीमेंट का सहारा लिया गया था.

रुजिरा और अभिषेक दोनों से अपने बैंकिंग लेन-देन की डिटेल्स के साथ पूछताछ के लिए बुलाया गया है. रुजिरा बनर्जी की कंपनी एलएलपी के वित्तीय लेनदेन भी शक के घेरे में हैं. अभिषेक बनर्जी ने इस कंपनी को अपनी मां के नाम पर रजिस्टर किया था.

ईडी का दावा है कि अभिषेक बनर्जी इस अवैध व्यापार से प्राप्त धन के लाभार्थी हैं, लेकिन उन्होंने सभी आरोपों से इनकार किया है.

वहीं, ईडी का समन जारी होने के बाद अभिषेक बनर्जी ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि वह ईडी के समन से नहीं डरते और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) तब तक लड़ती रहेगी, जब तक हम भाजपा को देश से उखाड़कर फेंक नहीं देते.

अभिषेक ने कहा, ‘जो लोग सोचते हैं कि हमें ईडी या सीबीआई से डरा लेंगे तो हमारी लड़ाई और तेजी होगी.’

उन्होंने भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाते हुए कहा कि टीएमसी उन राज्यों में जाएगी और लोगों के लिए लड़ेगी.

उन्होंने कहा, ‘हर राज्य जहां लोकतंत्र की हत्या कर दी गई है. टीएमसी उन सभी राज्यों में जाएगी और लोगों के लिए लड़ेगी. अगर भाजपा को लगता है कि हम रुक जाएंगे तो मैं उनसे कहना चाहता हूं कि हम किसी भी चीज से डरने वाले नहीं हैं.’

भाजपा के कुछ नेताओं की कोयला माफिया के साथ मिलीभगत: ममता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोयला घोटाला मामले में अपने भतीजे व टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को पूछताछ के लिए तलब किए जाने के बाद केंद्र की भाजपा नीत सरकार की आलोचना की. उन्होंने दावा किया कि भाजपा के कुछ मंत्रियों की कोयला माफिया से मिलीभगत है.

उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार पर देश के ‘संघीय ढांचे को तहस-नहस करने’ और राज्यों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया.

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ने ‘केंद्र के अधिनायकवाद’ के खिलाफ लड़ने के लिए सभी मुख्यमंत्रियों की एक बैठक बुलाने का प्रस्ताव रखा.

उन्होंने कहा, ‘भाजपा और केंद्र सरकार हमसे राजनीतिक तौर पर नहीं लड़ सकती. पार्टी (भाजपा) विधानसभा चुनावों में हार गई थी और अब वे केंद्रीय एजेंसियों का हमारे नेताओं जैसे अभिषेक बनर्जी व अन्य के खिलाफ उपयोग कर रहे हैं. लेकिन मैं उन्हें बता दूं, वे हमें डरा धमका नहीं सकते. हम उनके खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.’

बनर्जी ने कहा, ‘यदि आप (भाजपा) हमें प्रवर्तन निदेशालय का डर दिखाते हैं, तो हम एजेंसी को भाजपा नेताओं के खिलाफ सबूत भी भेजेंगे. भाजपा के मंत्रियों और नेताओं का एक धड़ा कोयला माफिया के साथ मिलकर काम कर रहा है. वे चुनाव के दौरान उनके द्वारा संचालित होटलों में भी रुके थे.’

ममता बनर्जी ने कहा, ‘हमारी प्राथमिकता लोगों के लिए काम करना है. जब केंद्र में बैटी भाजपा सरकार राजनीति में हमारा मुकाबला नहीं कर पाती तो वह एजेंसियों का इस्तेमाल करती है. कुछ लोग हमें छोड़कर चले गए थे, लेकिन अब वे लौट आए हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि उनका घर (टीएमसी) यही है.’

ममता ने कहा, ‘आप हमारे खिलाफ ईडी का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं? हम जानते हैं कि आपसे कैसे लड़ना है, हम गुजरात के इतिहास को भी जानते हैं. आपके एक केस के खिलाफ हम झोला भरकर मामले उठाएंगे. कोयले में भ्रष्टाचार के लिए तृणमूल पर उंगली उठाने का कोई फायदा नहीं है. यह केंद्र के अधीन है. इसके मंत्रियों के बारे में क्या है? उन भाजपा नेताओं के बारे में क्या है जिन्होंने बंगाल, आसनसोल क्षेत्र के कोयला बेल्ट को लूट लिया.’

मालूम हो कि एजेंसी ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें से एक व्यक्ति तृणमूल कांग्रेस की युवा इकाई के नेता विनय मिश्रा के भाई विकास मिश्रा हैं.

ऐसा बताया जा रहा है कि विनय मिश्रा कुछ समय पहले देश से बाहर चले गए और उन्होंने संभवत: देश की नागरिकता भी त्याग दी है.

इसके अलावा इस मामले में निदेशालय ने बांकुड़ा थाने के पूर्व प्रभारी निरीक्षक अशोक कुमार मिश्रा को इस साल की शुरुआत में गिरफ्तार किया था.

ईडी ने दावा किया है कि मिश्रा बंधुओं ने इस मामले में कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों की ओर से और खुद के लिए 730 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त की.

इस मामले में अनुमानित 1,352 करोड़ रुपये शामिल थे. निदेशालय ने इस मामले में इस साल मई में आरोप-पत्र दाखिल किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)