बीते 23 अगस्त को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने छह लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना की घोषणा की थी. सरकार मौद्रिकरण के ज़रिये सरकारी स्वामित्व वाली संपत्तियों में अपनी हिस्सेदारी निजी क्षेत्रों को बेचेगी. गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि 2014 में सत्ता में आने से पहले भाजपा पूछती थी कि कांग्रेस ने 70 साल में क्या किया है. इसका जवाब संपत्तियों की वह सूची है, जो वह बेच रही है.
अहमदाबाद/चेन्नई: गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने केंद्र सरकार द्वारा हाल में लाई गई सार्वजनिक (सरकारी स्वामित्व वाली) संपत्ति के मौद्रिकरण की योजना पर बृहस्पतिवार को निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस ने जो 70 वर्षों में बनाया है, भारतीय जनता पार्टी उसे बेच रही है.
खेड़ा ने कहा कि यदि इसे नहीं रोका गया तो पूरी पीढ़ी बर्बाद हो जाएगी. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने संपत्तियों की क्लीयरेंस सेल लगा दी है, क्योंकि उसके लिए देश का कोई महत्व नहीं है.
अहमदाबाद स्थित गुजरात कांग्रेस के मुख्यालय पर एक संवाददाता सम्मेलन में खेड़ा ने कहा कि सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को बेचने या लीज पर देने की केंद्र सरकार की योजना से प्रमुख क्षेत्रों में केवल एकाधिकार बढ़ेगा, जो कांग्रेस नीत पिछली सरकारें नहीं चाहती थीं.
उन्होंने कहा, ‘आज हमने अभी उन्हें नहीं रोका तो पूरी पीढ़ी बर्बाद हो जाएगी. 2014 में सत्ता में आने से पहले भाजपा पूछती थी कि कांग्रेस ने 70 साल में क्या किया है. इसका जवाब संपत्तियों की वह सूची है जो आज आप बेच रहे हैं. हमने 70 साल में भारत को बनाया, लेकिन भाजपा अब भारत को बेचने में व्यस्त है.’
खेड़ा ने कहा, ‘कांग्रेस की पिछली सरकारों और भाजपा की सरकार में अंतर है. एक समझदार सरकार हमेशा यह ध्यान रखती है कि रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र कुछ लोगों के हाथों में न जाएं. कोई समझदार सरकार एकाधिकार को प्रोत्साहन नहीं देती.’
उन्होंने कहा, ‘लेकिन भाजपा सरकार के लिए देश महत्वपूर्ण नहीं है. वे केवल वोट और भाजपा को दुनिया की सबसे अमीर पार्टी बनाने के बारे में सोचते हैं.’
खेड़ा ने कहा कि केंद्र की मौद्रिकरण योजना के विरुद्ध कांग्रेस के नेता पूरे देश का दौरा करेंगे और लोगों को इसके खतरों के बारे में बताएंगे.
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने देश की संपत्तियों की क्लीयरेंस सेल लगा दी है और अब वे दावा कर रहे हैं कि उन्होंने यह संपत्तियां लीज पर दी हैं. जो खरीदेंगे, वह बैंक से ऋण लेंगे. इसका अर्थ होगा है कि हमारी संपत्तियां हमारे ही पैसे से खरीदी जाएंगी और सब कुछ वसूल लेने के बाद वे उन संपत्तियों को हमें वापस कर देंगे.’
उन्होंने कहा कि अगर देश को बेचने से बचाना है तो लोगों और मीडिया को आवाज उठानी होगी.
उल्लेखनीय है कि बीते 23 अगस्त को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने छह लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना की घोषणा की. इसके तहत यात्री ट्रेन, रेलवे स्टेशन से लेकर हवाई अड्डे, सड़कें और स्टेडियम का मौद्रिकरण किया जाना शामिल हैं. इन बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निजी कंपनियों को शामिल करते हुए संसाधन जुटाए जाएगे और संपत्तियों का विकास किया जायेगा.
सरकार ने मौद्रिकरण के लिए कुल 400 रेलवे स्टेशनों, 90 यात्री रेलगाड़ियों, रेलवे के कई खेल स्टेडियम और कॉलोनियों के साथ ही प्रसिद्ध कोंकण और पहाड़ी रेलवे की पहचान की है.
सड़क के बाद रेलवे दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है, जिसे महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना में शामिल किया गया है. वित्त वर्ष 2025 तक चार वर्षों में रेलवे की ब्राउनफील्ड अवसंरचना संपत्तियों का मौद्रिकरण कर 1.52 लाख करोड़ रुपये से अधिक हासिल किए गाएंगे.
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना को लेकर लगातार केंद्र को निशाना साध रहे हैं. हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे युवाओं के ‘भविष्य पर आक्रमण’ करार दिया था और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 70 साल में जनता के पैसे से बनी देश की बहुमूल्य संपत्तियों को अपने कुछ उद्योगपति मित्रों को ‘उपहार’ के रूप में दे रहे हैं.
सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण राष्ट्रहित में नहीं, केंद्र की योजना का विरोध करेंगे: स्टालिन
इस बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बृहस्पतिवार को राज्य की विधानसभा में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण राष्ट्रहित में नहीं है और उनकी सरकार सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण के केंद्र के प्रयास का विरोध करेगी.
स्टालिन ने कहा कि भारत के सार्वजनिक उपक्रम सार्वजनिक संपत्ति हैं, जिन्हें आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है और ये छोटे व सूक्ष्म उद्यमों का आधार भी हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचना या पट्टे पर देना राष्ट्रहित में नहीं है.’
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां सार्वजनिक बेहतरी और कल्याण के बड़े लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए काम करती हैं और केवल लाभ कमाना ऐसे उद्यमों का मकसद नहीं है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण की प्रवृत्ति को लेकर केंद्र सरकार के प्रति अपनी सरकार के विरोध को व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महीनों पहले कहा था कि ‘सरकार का काम कारोबार करना नहीं है.’
सरकार ने कहा था कि चार रणनीतिक क्षेत्रों को छोड़कर वह सभी सार्वजनिक उपक्रमों और अन्य क्षेत्रों का निजीकरण करना चाहती है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)