बीते एक सितंबर को अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बाद कश्मीर घाटी के ज़्यादातर हिस्सों में लोगों के एकत्रित होने पर रोक लगाने के लिए प्रशासन द्वारा पाबंदी लगाई गई है. इंटरनेट सेवाओं और मोबाइल टेलीफोन सेवाओं को दो दिन तक बंद रखने के बाद शुक्रवार रात को बहाल किया गया था, लेकिन मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को शनिवार सुबह फ़िर से बंद कर दिया गया.
श्रीनगर: अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बाद कश्मीर घाटी के ज्यादातर हिस्सों में लोगों के एकत्रित होने पर लगाई गई पाबंदी जारी है. वहीं मोबाइल इंटरनेट सेवाएं शनिवार सुबह फिर बंद कर दी गईं. गत रात को इंटरनेट सेवाएं बहाल की गई थीं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
गिलानी (91) का लंबी बीमारी के बाद बुधवार (एक सितंबर) रात को श्रीनगर स्थित उनके आवास में निधन हो गया था. वह हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के संस्थापक सदस्य थे.
जम्मू कश्मीर में तीन दशक से अधिक समय तक अलगाववादी मुहिम का नेतृत्व करने वाले और पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता को उनके आवास के समीप एक मस्जिद में सुपुर्द-ए-खाक किया गया.
उनके निधन के बाद घाटी में एहतियात के तौर पर पाबंदियां लगाई गईं. अधिकारियों ने बताया कि घाटी के ज्यादातर हिस्सों में लोगों के एकत्रित होने पर पाबंदियां लगी हुई हैं, लेकिन कुछ हिस्सों में लोगों की आवाजाही में ढील दी गई है. श्रीनगर के पुराने इलाके और हैदरपुरा में पाबंदियां जारी हैं. गिलानी हैदरपुरा के रहने वाले थे.
उन्होंने बताया कि यहां हैदरपुरा इलाके में गिलानी के आवास तक जाने वाली सड़कें बंद हैं और लोगों की आवाजाही को रोकने के लिए अवरोधक लगाए गए हैं.
अधिकारियों ने बताया कि कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बड़ी तादाद में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है.
इंटरनेट सेवाओं और मोबाइल टेलीफोन सेवाओं को दो दिन तक बंद रखने के बाद शुक्रवार रात को बहाल किया गया. हालांकि मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को शनिवार सुबह फिर से बंद कर दिया गया.
एक सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर रॉयटर्स को बताया, ‘संवेदनशील क्षेत्रों में अधिक सैनिकों को तैनात किया गया है और अधिक सड़कों पर बैरिकेडिंग की गई है.’
अधिकारी ने कहा कि कर्फ्यू के बावजूद कश्मीर में कम से कम एक दर्जन स्थानों पर हिंसा हुई, जिसमें अर्धसैनिक बल का एक जवान घायल हो गया. उन्होंने कहा कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा.
शुक्रवार को श्रीनगर के कुछ हिस्सों में दुकानें बंद थीं, कई सड़कें सुनसान थीं और उन पर कंटीली तारें लगाई गई थीं. सैनिकों को असॉल्ट राइफलों के साथ चौकियां में तैनात किया गया था.
स्वास्थ्य कार्यकर्ता शकील अहमद ने कहा कि उन्हें एक दिन पहले की तुलना में शुक्रवार को अपने अस्पताल जाने के लिए अधिक बैरिकेड्स को पार करना पड़ा. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगभग एक दर्जन स्थानों पर रोका गया.’
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस बीच, मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व में हुर्रियत कांफ्रेंस ने पिछले तीन दशकों से उनके द्वारा प्रदर्शित स्थिरता, दृढ़ता और साहस के लिए गिलानी को श्रद्धांजलि दी.
हुर्रियत ने एक बयान में कहा, ‘सैयद अली शाह गिलानी को राजनीतिक और प्रतिरोध के मोर्चों पर उनके अपार योगदान और बलिदान के लिए भावभीनी श्रद्धांजलि. गिलानी साहब के निधन ने न केवल जम्मू कश्मीर के राजनीतिक गलियारों में एक बड़ा शून्य पैदा किया है, बल्कि एक युग के पूरा होने का भी संकेत दिया है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)