केरल हाईकोर्ट ने कहा कि जब लोगों को टीका लेने या इससे इनकार करने का अधिकार है, तो कोई कारण नहीं है कि राज्य को यह रुख़ अपनाना चाहिए कि उन्हें मूल प्रोटोकॉल के संदर्भ में चार सप्ताह के बाद दूसरी खुराक लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी. ख़ासतौर से तब, जब वे टीके के लिए अपनी जेब से पैसे ख़र्च कर रहे हैं.
कोच्चि: केरल हाईकोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि जो लोग कोविशील्ड टीके की पहली खुराक के बाद वर्तमान में सुझाए गए 84 दिनों के अंतराल से पहले दूसरी खुराक लेना चाहते हैं, उनके लिए पहली खुराक लेने के चार सप्ताह बाद को-विन पोर्टल पर दूसरी खुराक का समय लेने की अनुमति दी जाए.
जस्टिस पीबी सुरेश कुमार ने कहा कि यदि केंद्र और राज्य सरकारें विदेश यात्रा करने वाले व्यक्तियों को कोविड-19 से जल्दी और बेहतर सुरक्षा के बीच चयन करने की अनुमति दे सकती हैं, तो कोई कारण नहीं है कि समान विशेषाधिकार यहां उन लोगों को नहीं दिया जा सकता है जो अपने रोजगार या शिक्षा के संबंध में जल्द सुरक्षा चाहते हैं.
अदालत ने कहा, ‘सभी लोग ऐसे नहीं हैं जो कि स्थायी रूप से विदेश में रहते हैं या वहां बस गए हैं. अधिकतर लोग ऐसे हैं जिन्हें अपना काम पूरा होने के बाद जल्द ही वापस भारत आना होगा.’
सोमवार को उपलब्ध कराए गए अपने तीन सितंबर के आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की नीति के अनुसार भी लोगों के पास जल्दी टीकाकरण कराने का विकल्प है, जिसके कार्यान्वयन के लिए निजी अस्पतालों के माध्यम से भी भुगतान के आधार पर टीका वितरित किया जा रहा है.
अदालत ने यह भी कहा कि केंद्र के अनुसार टीकाकरण स्वैच्छिक था और यह अनिवार्य नहीं था, इसलिए टीके के बेहतर प्रभाव के मद्देनजर दोनों खुराक के बीच के अंतराल के सुझाव को केवल परामर्श के तौर पर लिया जा सकता है.
अदालत ने कहा कि जब लोगों को टीका लेने या इससे इनकार करने का अधिकार है, तो कोई कारण नहीं है कि राज्य को यह रुख अपनाना चाहिए कि उन्हें मूल प्रोटोकॉल के संदर्भ में चार सप्ताह के बाद दूसरी खुराक लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी. खासतौर से तब, जब वे टीके के लिए अपनी जेब से पैसे खर्च कर रहे हैं.
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘चौथे प्रतिवादी (केंद्र) को को-विन पोर्टल में तुरंत आवश्यक प्रावधान करने का निर्देश दिया जाता है, ताकि लोग शुरुआती प्रोटोकॉल के अनुसार पहली खुराक के चार सप्ताह के बाद कोविशील्ड टीके की दूसरी खुराक का समय ले सकें.’
अदालत ने काइटेक्स गारमेंट्स लिमिटेड की याचिका को स्वीकार करते हुए यह निर्देश दिए, जिसमें 84 दिनों तक इंतजार किए बिना अपने कर्मचारियों को कोविशील्ड टीके की दूसरी खुराक देने की अनुमति प्रदान करने का अनुरोध किया गया था.
कंपनी ने अपनी याचिका में कहा कि वह पहले ही अपने 5,000 से अधिक कामगारों को टीके की पहली खुराक लगवा चुकी है और उसने लगभग 93 लाख रुपये की लागत से दूसरी खुराक की व्यवस्था भी की है, लेकिन मौजूदा प्रतिबंधों के कारण इसे कामगारों को लगवाने में वह असमर्थ है.
केंद्र ने टीका संबंधी विशेषज्ञों की अनुशंसा का हवाला देते हुए याचिका का विरोध किया और दलील दी थी कि कोविशील्ड की दो खुराक के बीच 84 दिनों का अंतराल टीके की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए तय किया गया था.
मामले की पिछली सुनवाई पर केरल हाईकोर्ट ने केंद्र से सवाल किया था कि कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच 84 दिन का अंतराल टीके की उपलब्धता पर आधारित है या उसकी प्रभावकारिता पर.
न्यायाधीश ने यह भी कहा था कि यदि अंतराल का कारण टीका के प्रभावी होने से जुड़ा है, तो वह ‘चिंतित’ हैं, क्योंकि उन्हें दूसरी खुराक पहली खुराक दिए जाने के 4-6 सप्ताह के भीतर दे दी गई थी.
बता दें कि केंद्र सरकार ने कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच के अंतर को छह से आठ सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह करने के फैसले को 13 मई को मंजूरी दी थी. टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी परामर्श समूह (एनटीएजीआई) की सिफारिश पर यह मंजूरी दी गई थी.
इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मार्च में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा था कि वह कोविशील्ड टीके के दो डोज के बीच समयांतर को 4-6 सप्ताह के बीच देने की बजाय से बढ़ाकर 4 से 8 सप्ताह तक कर दें.
हालांकि, भारत सरकार ने जिस वैज्ञानिक समूह की मंजूरी के आधार पर एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन कोविशील्ड की दो खुराक के बीच के अंतर को दोगुना किया था, उस वैज्ञानिक सलाहकार समूह के तीन सदस्यों ने इससे इनकार किया था. वैज्ञानिक समिति के सदस्यों ने कहा था कि उन्होंने कोविशील्ड खुराक में अंतर दोगुना करने की सिफारिश नहीं की थी.
वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी परामर्श समूह (एनटीएजीआई) के अध्यक्ष एनके अरोड़ा के हवाले से कहा था कि कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच अंतराल को बढ़ाने का निर्णय वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर पारदर्शी तरीके से लिया गया है.
इसके साथ ही महामारी की प्रतिक्रिया पर केंद्र सरकार की आलोचना करने के बाद वायरस वैरिएंट पर गठित एक सरकारी पैनल ‘इंडियन सार्स-सीओवी-2 जिनोम सिक्वेंसिंग कॉन्सोर्सिया’ (आईएनएसएसीओजी) को छोड़ने वाले एक शीर्ष भारतीय वायरोलॉजिस्ट शाहीद जमील ने कहा था कि अधिकारियों को खुराक के बीच के अंतर को दोगुना करने के निर्णय के कारणों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)