एक अप्रैल, 2017 को पहलू ख़ान, उनके दो बेटे और दो अन्य लोग जयपुर में लगे पशु मेले से लौट रहे थे, तब अलवर के बहरोड़ में कथित गोरक्षकों ने उन्हें रोका और बुरी तरह से पिटाई की. हमले में बुरी तरह से घायल पहलू ख़ान की मौत हो गई थी. अगस्त 2019 में अलवर की निचली अदालत ने मामले के छह आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था.
जयपुर: साल 2017 के पहलू खान लिंचिंग मामले में बरी किए गए छह आरोपियों को सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने समन भेजा है. यह समन पीड़ितों के बेटों, इरशाद और आरिफ सहित अन्य द्वारा दाखिल अपील पर भेजा गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने आरोपी-प्रतिवादियों के खिलाफ 10,000 रुपये की राशि में इस अदालत के समक्ष अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए जमानती वारंट जारी किया, जो आठ सप्ताह की अवधि के भीतर वापस करने योग्य है.
इसने निचली अदालत के बरी करने के आदेश के खिलाफ राजस्थान सरकार द्वारा दायर 2019 की अपील के साथ भी याचिका को जोड़ दिया.
अगस्त 2019 में अलवर की निचली अदालत ने पहलू खान की पीट-पीटकर हत्या के मामले में छह आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था. अदालत ने अपने फैसले में इस बात पर आश्चर्य जताया था कि जिन वीडियो और तस्वीरों के आधार पर आरोपियों की पहचान की गई थी, उन्हें अदालत में पेश नहीं किया गया.
एक अप्रैल, 2017 को 55 वर्षीय पशुपालक पहलू खान, उनके दो बेटे और दो अन्य लोग जयपुर में लगे पशु मेले से लौट रहे थे, तब अलवर के बहरोड़ में कथित गोरक्षकों ने उन्हें रोका और बुरी तरह से पिटाई की. भीड़ ने उन पर मवेशियों की तस्करी करने का आरोप लगाया था. हमले में बुरी तरह से घायल खान की तीन अप्रैल (2017) को अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी.
सोमवार को हाईकोर्ट के जस्टिस गोवर्धन बरधर और विजय बिश्नोई की पीठ ने पहलू खान के दोनों बेटों और उनके रिश्तेदारों अजमत और रफीक की अपील को स्वीकार किया, जो बरी किए जा चुके सभी आरोपियों- विपिन यादव, रविंद्र कुमार, कालूराम, दयानंद, योगेश और भीम सिंह के खिलाफ दाखिल की गई थी.
इस तरह मामले में पहली दोषसिद्धि मार्च, 2020 में तब हुई जब अलवर के किशोर न्याय बोर्ड ने दो नाबालिगों को दोषी करार दिया था. जबकि घटना के समय किशोर रहा एक तीसरा आरोपी अभी भी फरार है.
पहलू खान के बेटों की ओर से अपील दाखिल करने वाले वरिष्ठ वकील नासिर अली नकवी ने कहा कि हाईकोर्ट ने प्रथमदृष्टया पाया कि अपील में कुछ तथ्य हैं, इसलिए आरोपियों को जमानती वारंट के माध्यम से तलब किया है.
नकवी ने कहा, ‘हमारी दलील थी कि घायल चश्मदीद हैं और वे आरोपियों के नाम ले रहे हैं. फिर, मृतक को कई चोटें लगीं और उन चोटों के कारण उसकी मृत्यु हो गई, साथ ही यह तथ्य है कि आरोपियों से हथियार बरामद किए गए थे. इसके बावजूद ट्रायल कोर्ट ने चश्मदीदों की गवाही खारिज कर दी.’
साल 2019 में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सरिता स्वामी ने जांच में कई विसंगतियों को नोट किया था इस निष्कर्ष तक पहुंची थीं कि आरोपियों को संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए. अदालत ने उल्लेख किया था कि कैसे पहलू खान के बयान में आरोपियों का नाम नहीं लिया गया था और पुलिस ने लिंचिंग के वीडियो को रिकॉर्ड करने के लिए इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन को जब्त नहीं किया था, जो चार्जशीट का आधार था.