करनाल के पूर्व एसडीएम पर कार्रवाई को लेकर सचिवालय के बाहर डटे किसान जारी रखेंगे धरना

हरियाणा के करनाल में किसानों के प्रदर्शन के दौरान ड्यूटी मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात करनाल एसडीएम आयुष सिन्हा कैमरे के सामने पुलिस से कथित तौर पर उनका सिर फोड़ने के लिए कहते हुए नज़र आए थे. किसानों ने कहा कि वे अनिश्चितकालीन धरना जारी रखेंगे. उनका कहना है कि पर्याप्त वीडियो साक्ष्य होने के बावजूद हरियाणा सरकार आईएएस अधिकारी को निलंबित तक करने को तैयार नहीं है, उनके ख़िलाफ़ केवल एक मुक़दमा दर्ज कर छोड़ दिया.

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करनाल में लघु सचिवालय परिसर के प्रवेश द्वार पर किसानों का प्रदर्शन जारी है. (फोटो साभार: ट्विटर/@GurnamsinghBku)

हरियाणा के करनाल में किसानों के प्रदर्शन के दौरान ड्यूटी मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात करनाल एसडीएम आयुष सिन्हा कैमरे के सामने पुलिस से कथित तौर पर उनका सिर फोड़ने के लिए कहते हुए नज़र आए थे. किसानों ने कहा कि वे अनिश्चितकालीन धरना जारी रखेंगे. उनका कहना है कि पर्याप्त वीडियो साक्ष्य होने के बावजूद हरियाणा सरकार आईएएस अधिकारी को निलंबित तक करने को तैयार नहीं है, उनके ख़िलाफ़ केवल एक मुक़दमा दर्ज कर छोड़ दिया.

करनाल में लघु सचिवालय परिसर के प्रवेश द्वार पर किसानों का प्रदर्शन जारी है. (फोटो साभार: ट्विटर/@GurnamsinghBku)

करनाल/चंडीगढ़: पंजाब के करनाल शहर में किसानों के एक समूह पर पिछले महीने पुलिस को लाठीचार्ज करने का आदेश देने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी (तत्कालीन करनाल एसडीएम) आयुष सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी किसानों और जिले के अधिकारियों के बीच एक और दौर की वार्ता बुधवार को विफल रही.

इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे यहां जिला मुख्यालय पर ‘अनिश्चितकालीन’ धरना जारी रखेंगे. इस बीच धरने के तीसरे दिन प्रदर्शनकारी करनाल में लघु सचिवालय परिसर के प्रवेश द्वार पर डटे हुए हैं. किसान संघ के नेताओं ने कहा कि अधिकारियों और आम जनता को प्रवेश करने से नहीं रोका जाएगा.

धरने के दूसरे दिन बुधवार को किसान नेताओं ने कहा था कि वे परिसर के द्वार पर डटे रहेंगे. हालांकि, अधिकारियों और आम जनता को प्रवेश करने से नहीं रोकेंगे.

करनाल में महापंचायत के बाद स्थानीय प्रशासन से बातचीत विफल रहने पर मंगलवार (सात सितंबर) शाम को किसान लघु सचिवालय के प्रवेश द्वारों के बाहर बैठे रहे. कई किसानों ने वहीं रात बिताई.

उनकी मुख्य मांग आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा से संबंधित है. प्रदर्शनकारी 28 अगस्त को करनाल शहर में लाठीचार्ज करने पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

किसान संघ के नेता, सिन्हा के निलंबन की मांग कर रहे हैं. करनाल में किसानों के प्रदर्शन के दौरान ड्यूटी मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात आयुष सिन्हा कैमरे के सामने पुलिस से कथित तौर पर ‘किसानों के सिर फोड़ने’ के लिए कहते हुए नजर आए थे.

उस दिन भारतीय जनता पार्टी के एक बैठक स्थल की ओर मार्च करने की कोशिश के दौरान पुलिस के साथ झड़प में करीब 10 प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे. उनके नेताओं ने यह भी दावा किया कि एक किसान की बाद में मौत भी हो गई थी. हालांकि प्रशासन ने इस आरोप से इनकार किया है.

बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता योगेंद्र यादव ने कहा, ‘सरकार का हठपूर्वक एसडीएम ‘सिर फोड़ू’ को बचाने का प्रयास जारी है. कल (बुधवार) वार्ता विफल होने के बाद किसानों का करनाल लघु सचिवालय पर अनिश्चितकालीन धरना जारी है. लड़ेंगे और जीतेंगे.’

धरनारत किसान आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत मुकदमा दर्ज करने, जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने, लाठीचार्ज के बाद मृतक किसान सुशील काजल के परिजन को नौकरी देने और गिरफ्तार किसानों को रिहा करने की भी मांग कर रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मृतक किसान प्रदर्शनकारी काजल के परिवार के लिए 25 लाख रुपये और कार्रवाई में घायल हुए लोगों के लिए 2-2 लाख रुपये की मांग कर रहे हैं.

यादव ने ट्वीट कर कहा, ‘जिस अफसर ने किसान का सिर फोड़ने की बात की, उस पर कार्रवाई करो और जिन किसानों को चोट लगी, उनको मुआवजा दो. इतनी छोटी-सी बात है. मुझे उम्मीद है सरकार को अक्ल आ जाएगी, क्योंकि जितना खीचेंगे उतना महंगा होता जाएगा.’

इससे पहले गतिरोध को समाप्त करने के मकसद से जिला प्रशासन ने एक बार फिर बीते बुधवार अपराह्न दो बजे संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए बुलाया था, जिसमें योगेंद्र यादव, गुरनाम सिंह चढ़ूनी और राकेश टिकैत भी मौजूद रहे.

तीन घंटे चली बैठक के बाद योगेंद्र यादव ने संवाददाताओं से कहा था, ‘हमें खेद के साथ बताना पड़ रहा है कि वार्ता पूरी तरह विफल रही, क्योंकि सरकार असंवेदनहीन व अड़ियल रवैया अपना रही है. उनका रवैया कल जैसा ही है और इसमें कोई बदलाव नहीं आया है.’

यादव ने कहा था कि उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक बैठक में मौजूद थे और बाद में करनाल के मंडल आयुक्त भी शामिल हुए.

उन्होंने और टिकैत ने दावा किया कि ‘स्थानीय प्रशासन चंडीगढ़ से निर्देश ले रहा था.’ उनका इशारा भाजपा नीत हरियाणा सरकार की ओर था.

मालूम हो कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने तत्कालीन करनाल एसडीएम आयुष सिन्हा का बचाव करते हुए कहा था कि आईएएस अधिकारी का शब्द चयन सही नहीं था, लेकिन वहां कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्ती की जरूरत थी.

विवादों को बीच बीते एक सितंबर को करनाल एसडीएम आयुष सिन्हा को नागरिक संसाधन सूचना विभाग के अतिरिक्त सचिव के रूप तबादला कर दिया गया था, जबकि किसान उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं.

योगेंद्र यादव ने कहा था कि किसानों ने पूर्व में आईएएस अधिकारी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी. उन्होंने कहा कि पर्याप्त वीडियो साक्ष्य होने के बावजूद सरकार आईएएस अधिकारी को निलंबित तक करने को तैयार नहीं है, उनके खिलाफ केवल एक मुकदमा दर्ज कर छोड़ दिया गया है.

यादव ने आरोप लगाया था कि यह कदम दर्शाता है कि आईएएस अधिकारी खुद ये आदेश नहीं दे रहे थे, बल्कि उन्हें सरकार से निर्देश मिल रहे थे.

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी आरोप लगाया था कि सरकार अधिकारी को बचाने का प्रयास कर रही है.

टिकैत ने कहा था, ‘हमने इसी जगह पर धरना जारी रखने का निर्णय लिया है, जहां पिछली रात बिताई थी. उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब से भी किसान यहां धरने में शामिल हो रहे हैं.’

उन्होंने कहा था कि किसान इस बात का ध्यान रखेंगे कि उनके धरने से सचिवालय का काम प्रभावित न हो और जनता को असुविधा का सामना नहीं करना पड़े.

इससे पहले कई नेताओं के साथ किसानों ने लघु सचिवालय के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर रात बिताई. सुबह प्रदर्शनकारी घटनास्थल पर चाय बनाते हुए और नाश्ता देते हुए दिखाई दिए.

बुधवार को गुड़गांव में हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने संवाददाताओं से कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को विरोध करने और अपनी आवाज उठाने का अधिकार है. उन्होंने कहा, ‘उनकी (किसान) जो भी मांगें हैं, हमारे अधिकारी उनसे बात कर रहे हैं. बातचीत जारी है.’

करनाल में उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने एक बयान में कहा कि करनाल में सभी कार्यालय पूरी तरह कार्यात्मक हैं और प्रशासन प्रदर्शनकारियों के साथ नियमित बातचीत कर रहा है. हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि कानून और व्यवस्था को बाधित करने की कोशिश करने वालों से कड़ाई से निपटा जाएगा.

करनाल में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के निलंबन की अवधि बढ़ाई

करनाल में जिला मुख्यालय में प्रदर्शनरत किसानों का धरना ‘अनिश्चितकाल’ तक के लिए जारी रहने के बीच हरियाणा सरकार ने बृहस्पतिवार आधी रात तक जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं का निलंबन बढ़ा दिया है.

राज्य के गृह विभाग द्वारा बृहस्पतिवार को जारी एक आदेश में कहा गया है, ‘करनाल जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं सुबह सात बजे से रात 12 बजे तक निलंबित रहेंगी.’

इससे पहले छह सितंबर को रात 12:30 बजे से सात सितंबर को रात 11:59 बजे तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद की गई थीं और स्थिति के ‘अब भी संवेदनशील’ होने के कारण यह निलंबन बुधवार आधी रात तक के लिए बढ़ा दिया गया है.

अब ताजा आदेश में कहा गया है कि स्थिति की समीक्षा की गई और इसे अब भी तनावपूर्ण माना गया है.

आदेश में प्रदर्शनकारियों के ‘अनिश्चितकाल’ तक धरना करने के आह्वान का जिक्र करते हुए कहा गया है, ‘हरियाणा के एडीजीपी (सीआईडी) नौ सितंबर को मेरे संज्ञान में लेकर आए कि स्थिति की समीक्षा की गई है और हालात अब भी तनावपूर्ण हैं और कभी भी स्थिति बिगड़ सकती है जिससे करनाल जिले में जन सुरक्षा और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.’

अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राजीव अरोड़ा द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि करनाल जिले में वॉयस कॉलिंग के अलावा मोबाइल नेटवर्क पर मुहैया कराए जाने वाली सभी सेवाएं निलंबित रहेगी.

इसमें कहा गयाा है कि मोबाइल फोन पर सोशल मीडिया मंचों जैसे कि वॉट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर के जरिये गलत सूचनाओं और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के निलंबन का आदेश दिया गया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)