पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि तेल कंपनियां पेट्रोल-डीज़ल के दाम तय करने के लिए आज़ाद हैं.
नई दिल्ली: कांग्रेस ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम होने के बावजूद भारत में पेट्रोल-डीजल आदि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में लगातार इजाफे का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में देश की जनता के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. उधर, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेट्रोल और डीजल के दाम की दैनिक आधार पर समीक्षा करने से रोकने के लिए सरकार के हस्तक्षेप से इनकार किया है.
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा कि मई 2008 में जब संप्रग सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम चार साल तक स्थिर रखने के बाद बढ़ाए तो भाजपा ने तत्कालीन सरकार पर आर्थिक आतंकवाद का आरोप लगाया था.
उन्होंने कहा कि उस समय कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत 120 डालर प्रति बैरल पहुंच गई थी. उन्होंने कहा कि वास्तविक आर्थिक आतंकवाद का पता इस बात से चलता है कि कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय दाम में 55 प्रतिशत की कमी आने बावजूद मई 2014 से पेट्रोल-डीजल के मूल्य में लगातार वृद्धि हो रही है.
पेट्रोल 38 रुपये, डीजल 29 रुपये लीटर होना चाहिए
तिवारी ने कहा कि अब पेट्रोल एवं डीजल की कीमतें प्रति दिन के आधार पर बढ़ रही हैं जबकि रसोई गैस सिलेंडर एवं मिट्टी के तेल की कीमतों में भी वृद्धि हुई है. उन्होंने आरोप लगाया कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें बढ़ाकर आम आदमी की कमर तोड़ी जा रही है.
उन्होंने कहा कि यदि आज करों को हटा लिया जाए तो पेट्रोल के दाम करीब 38 रुपये और डीजल के करीब 29 रुपये प्रति लीटर होने चाहिए.
उन्होंने कहा कि सरकार पेट्रोलियम पदार्थों पर कर इसलिए लगा रही है क्योंकि सरकारी खजाना खाली है. जीएसटी लागू होने के साथ ही विफल हो गया है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा, प्रधानमंत्री एवं पेट्रोलियम मंत्री को यह जवाब देना चाहिए कि क्या पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ाकर आम आम आदमी की कमर नहीं तोड़ी जा रही है और क्या यह आर्थिक आतंकवाद नहीं है?
सरकार ने आलोचना को अनुचित बताया
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेट्रोल और डीजल के दाम की दैनिक आधार पर समीक्षा करने से रोकने के लिए सरकार के हस्तक्षेप से इनकार किया है. ईंधन के दाम में जुलाई के बाद से 7.3 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि के साथ उठ रहे सवालों के बीच उन्होंने गुरुवार को यह बात कही. मंत्री ने यह भी कहा कि सुधार जारी रहेगा.
उनसे संवाददाताओं ने पूछा था कि क्या मूल्य वृद्धि को देखते हुए सरकार की दैनिक आधार पर कीमत में बदलाव की प्रक्रिया रोकने की योजना है. उन्होंने तीन जुलाई से कीमतों में वृद्धि के प्रभाव को हल्का करने के लिए कर में कटौती को लेकर भी कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई. सरकार को ढांचागत सुविधा और सामाजिक बुनियादी ढांचे के बड़े पैमाने पर वित्त पोषण की जरूरत है.
कीमतों में वृद्धि को लेकर आलोचना को अनुचित करार देते हुए प्रधान ने कहा कि 16 जून को दैनिक आधार पर कीमत समीक्षा के बाद एक पखवाड़े तक कीमतों में आई कमी की अनदेखी की गई और केवल अस्थायी तौर पर मूल्य वृद्धि की प्रवृत्ति को जोर-शोर से उठाया जा रहा है.
दैनिक आधार पर बदली जाती है दर
देश अपनी जरूरतों का 80 प्रतिशत आयात से पूरा करता है और इसीलिए 2002 से घरेलू ईंधन की दरों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव से जोड़ा गया है.
उन्होंने कहा कि पहले दरों को हर पखवाड़े बदला जाता था लेकिन 16 जून से इसे दैनिक आधार पर बदला जा रहा है. दैनिक आधार पर समीक्षा में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम में अगर कोई कटौती होती है तो उसका तुरंत लाभ ग्राहकों को मिलता है. इससे कीमतों में एक बार में अचानक से वृद्धि के बजाय कम मात्रा में वृद्धि होती है.
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के प्रमुखों के साथ बैठक के बाद प्रधान ने कहा, सरकार का तेल कंपनियों के रोजाना के कामकाज से कोई लेना-देना नहीं है. केवल कुशलता ऐसा क्षेत्र है जहां सरकार तेल कंपनियों की दक्षता में सुधार के लिए हस्तक्षेप करेगी.
अमेरिका में चक्रवात के कारण वृद्धि
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अमेरिका में चक्रवात जैसे कारणों से वैश्विक कीमतों में वृद्धि आई है और इसमें कीमत के संकेत पहले से दिख रहे हैं.
उन्होंने कहा, इस चक्रवात के कारण अमेरिका की कुल रिफाइनरी क्षमता 13 प्रतिशत प्रभावित हुई है. यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार इस वृद्धि के प्रभाव को कम करने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती करेगी.
उन्होंने कहा कि इस बारे में वित्त मंत्रालय को निर्णय करना है लेकिन एक चीज बिल्कुल साफ है. हमें उपभोक्ताओं की आकांक्षाओं के साथ विकास जरूरतों के बीच संतुलन रखना है.
विकास योजनाओं के लिए संसाधन चाहिए
मंत्री ने कहा, हमें बड़े पैमाने पर राजमार्ग और सड़क विकास योजनाओं, रेलवे के आधुनिकीकरण एवं विस्तार, ग्रामीण स्वच्छता, पेय जल, प्राथमिक स्वास्थ्य तथा शिक्षा का वित्त पोषण करना है. इन मदों में आबंटन उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है. हमें इसके लिए संसाधन कहां से मिलेगा.
सरकार ने नवंबर 2014 और जनवरी 2016 के दौरान नौ बार पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाया. वैश्विक स्तर पर ईंधन के दाम में नरमी को देखते हुए उत्पाद शुल्क बढ़ाए गए. कुल मिलाकर इस दौरान पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 11.77 रुपये प्रति लीटर तथा डीजल पर 13.47 रुपये की वृद्धि की गई.
शुल्क वृद्धि से सरकार का 2016-17 में उत्पाद शुल्क संग्रह बढ़कर 2,42,000 करोड़ रुपये हो गया. प्रधान ने कहा कि उत्पाद शुल्क संग्रह में से 42 प्रतिशत राज्य सरकारों को बुनियादी ढांचा और कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए हस्तांतरित किए गए.
उन्होंने कहा, समय आ गया है कि जीएसटी परिषद पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार करे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)