यूपी: मुख़्तार अंसारी को टिकट नहीं, मायावती ने कहा- किसी माफिया को टिकट नहीं देगी बसपा

बसपा प्रमुख मायावती ने मऊ से बसपा विधायक मुख़्तार अंसारी के भाई सिगबतुल्लाह अंसारी के समाजवादी पार्टी में शामिल होने के कुछ दिन बाद यह घोषणा की है. मायावती ने कहा कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर मऊ सीट से चुनाव लड़ेंगे.

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मुख़्तार अंसारी. (फोटो साभार: फेसबुक)

बसपा प्रमुख मायावती ने मऊ से बसपा विधायक मुख़्तार अंसारी के भाई सिगबतुल्लाह अंसारी के समाजवादी पार्टी में शामिल होने के कुछ दिन बाद यह घोषणा की है. मायावती ने कहा कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर मऊ सीट से चुनाव लड़ेंगे.

मुख़्तार अंसारी. (फोटो साभार: फेसबुक)

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को कहा कि बसपा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में ‘बाहुबली’ अथवा माफिया आदि को उम्मीदवार नहीं बनाने के प्रयास करेगी और इसी के साथ उन्होंने गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी को मऊ से दोबारा पार्टी का टिकट न देने की घोषणा की.

मायावती ने कहा कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर मऊ सीट से चुनाव लड़ेंगे. मऊ से विधायक अंसारी बांदा जेल में बंद हैं और उनके खिलाई कई आपराधिक मामले लंबित हैं.

बसपा प्रमुख ने यह घोषणा मुख्तार के भाई सिगबतुल्लाह अंसारी के समाजवादी पार्टी में शामिल होने के कुछ दिन बाद की है.

दिलचस्प बात है कि साल 2012 के विधानसभा चुनाव में राजभर इसी सीट पर अंसारी से हार गए थे.

मायावती ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘बसपा का अगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रयास होगा कि किसी भी बाहुबली व माफिया आदि को पार्टी से चुनाव न लड़ाया जाए. इसके मद्देनजर ही आजमगढ़ मंडल की मऊ विधानसभा सीट से अब मुख्तार अंसारी का नहीं बल्कि बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर का नाम तय किया गया है.’

उन्होंने कहा, ‘जनता की कसौटी व उसकी उम्मीदों पर खरा उतरने के प्रयासों के तहत लिए गए इस निर्णय के फलस्वरूप पार्टी प्रभारियों से अपील है कि वे पार्टी उम्मीदवारों का चयन करते समय इस बात का खास ध्यान रखें ताकि सरकार बनने पर ऐसे तत्वों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने में कोई भी दिक्कत न हो.’

मायावती ने कहा, ‘बसपा का संकल्प ‘कानून द्वारा कानून का राज’ के साथ राज्य की तस्वीर बदलने का है ताकि प्रदेश व देश ही नहीं बल्कि बच्चा-बच्चा कहे कि सरकार हो तो बहनजी की ‘सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’ जैसी.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, साल 1996 में बसपा के टिकट पर मुख्तार अंसारी मऊ से विधायक बने थे. इसके बाद अगले दो विधानसभा चुनावों (2002 और 2007) में अंसारी ने इसी सीट से निर्दलीय प्रत्यासी के तौर पर जीत हासिल की थी.

साल 2009 के लोकसभा चुनावों से पहले अंसारी एक बार फिर बसपा में शामिल हो गए थे लेकिन पार्टी ने उन्हें वाराणसी से टिकट दिया था, जहां वह भाजपा के वरिष्ठ सदस्य मुरली मनोहर जोशी से हार गए थे.

इसके बाद अप्रैल 2010 में मायावती ने मुख्तार की आपराधिक गतिविधियों में कथित संलिप्तता का हवाला देते हुए उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था.

भाजपा के मनोज सिन्हा को 2019 के लोकसभा चुनाव में हराकर गाजीपुर सीट से बसपा सांसद चुने गए मुख्तार के भाई अफजल अंसारी को भी तब पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया था.

इसके बाद अंसारी ने कौमी एकता दल (क्यूईडी) नाम से अपना राजनीतिक सगंठन बना लिया और 2012 में मऊ से एक बार विधानसभा चुनाव जीत गए. फिलहाल, अंसारी बांदा जेल में बंद हैं.

2017 के विधानसभा चुनाव से पहले जनवरी में मायावती ने मुख्तार अंसारी और उनके परिवार के सदस्यों को पार्टी में शामिल किया था और कहा था कि उनके खिलाफ दर्ज गंभीर आपराधिक मामले राजनीति से प्रेरित हैं और उन्हें अभी तक साबित नहीं किया जा सका है.

अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि मुख्तार बसपा के टिकट पर मऊ, उनके बेटे अब्बास घोसी और उनके बड़े भाई सिगबतुल्लाह गाजीपुर के मोहम्मदाबाद से चुनाव लड़ेंगे.

मायावती ने तब कहा था कि उनकी पिछली सरकारों ने हमेशा यह सुनिश्चित किया था कि उन लोगों के साथ कोई अन्याय न हो, जिन पर उनके विरोधियों द्वारा उनके समुदाय में उनके प्रभाव के कारण गंभीर आपराधिक मामलों का आरोप लगाया गया था.

साल 2017 में अंसारी परिवार तब बसपा में वापस चला गया था जब समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने क्यूईडी का अपनी पार्टी में विलय करने से इनकार कर दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)