आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की थी, जिसमें आरोप है कि राज्य में अहम पदों पर बैठे कुछ महत्वपूर्ण लोगों ने जान-बूझकर सुप्रीम और हाईकोर्ट के कुछ जजों पर आदेश सुनाने में जाति और भ्रष्टाचार संबंधी आरोप लगाए हैं.
नई दिल्ली: सीबीआई ने न्यायाधीशों और न्यायपालिका के खिलाफ सोशल मीडिया पर कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए चार आरोपियों के खिलाफ बीते सोमवार को अलग-अलग आरोप-पत्र दायर किए. एजेंसी ने कहा कि उसने आंध्र प्रदेश के गुंटूर में एक विशेष अदालत के समक्ष आरोप-पत्र दायर किया है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ये आरोप-पत्र धामी रेड्डी कोंडा रेड्डी, पामुला सुधीर, पत्तापू आदर्श और एल. सांबा शिवा रेड्डी के खिलाफ दायर की गई है.
सीबीआई ने इस मामले में पिछले साल 11 नवंबर को 16 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था और आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सीआईडी से 12 मामलों की जांच अपने हाथ में ले ली थी.
सीबीआई ने एक बयान में कहा, ‘यह आरोप लगाया गया था कि आंध्र प्रदेश में प्रमुख पदों पर बैठे लोगों ने जान-बूझकर न्यायपालिका को निशाना बनाया, अदालत के कुछ फैसलों के बाद न्यायाधीशों और न्यायपालिका के खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपमानजनक पोस्ट किए गए. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, सार्वजनिक पटल से आपत्तिजनक पोस्ट हटाने के लिए यह मामला दर्ज करने के बाद सीबीआई द्वारा कार्रवाई भी शुरू की गई थी और इस तरह के बहुत सारे पोस्ट/अकाउंट को इंटरनेट से हटा दिया गया था.’
इससे पहले पिछले महीने सीबीआई ने बताया था कि मामले पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में वाईएसआर कांग्रेस के लोकसभा सदस्य नंदीगाम सुरेश और इसी पार्टी के एक और नेता अमांची कृष्ण मोहन की भूमिका जांच के दायरे में है और एजेंसी ने किसी बड़े षड्यंत्र का खुलासा करने के प्रयास में दोनों से पूछताछ की है.
आंध प्रदेश से दो लोगों- पत्तापू आदर्श और एल. सांबा शिवा रेड्डी को गिरफ्तार किया गया था. इससे पहले सीबीआई ने 28 जुलाई को धामी रेड्डी कोंडा रेड्डी और पामुला सुधीर को गिरफ्तार किया था. वहीं कुवैत निवासी लिंगारेड्डी राजशेखर रेड्डी को नौ जुलाई को भारत पहुंचने पर गिरफ्तार किया गया था.
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों की सुरक्षा से संबंधित मामलों में ‘न्यायपालिका की बिल्कुल भी मदद नहीं करने’ के लिए सीबीआई और आईबी की आलोचना की थी. टिप्पणी के एक दिन बाद सीबीआई ने दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था.
बता दें कि आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश पर अदालत के रजिस्ट्रार जनरल बी. राजशेखर की शिकायत पर ये मामला दर्ज किया गया था.
शिकायत में आरोप लगाया गया है, ‘आंध्र प्रदेश राज्य में अहम पदों पर बैठे कुछ महत्वपूर्ण लोगों ने जान-बूझकर न्यायाधीशों पर निशाना साधते हुए साक्षात्कार दिए, टिप्पणियां कीं और भाषण दिए और इनमें उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के कुछ न्यायाधीशों पर आदेश सुनाने में जाति तथा भ्रष्टाचार संबंधी आरोप लगाए गए.’
शिकायत के अनुसार, ‘इन लोगों ने उन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा हाल ही में सुनाए गए फैसलों और आदेशों को लेकर फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया पर जजों के खिलाफ धमकाने वाले और अपशब्दों से भरे पोस्ट किए.’
उच्च न्यायालय ने पिछले साल 12 अक्टूबर को सीबीआई को मामले की जांच करने का तथा आठ सप्ताह में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया था.
दरअसल उच्च न्यायालय ने राज्य की सत्तारूढ़ जगनमोहन सरकार के खिलाफ कई आदेश पारित किए हैं, जिसके चलते न्यायपालिका और राज्य सरकार के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई थी.
जिन फैसलों को उच्च न्यायालय द्वारा रोका गया है उनमें अमरावती से राजधानी के स्थानांतरण के माध्यम से प्रशासन का विकेंद्रीकरण, आंध्र प्रदेश परिषद को खत्म करने और आंध्र प्रदेश राज्य चुनाव आयोग आयुक्त एन. रमेश कुमार को पद से हटाने के निर्णय शामिल हैं.