ईडी मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर से जुड़े कई परिसरों- वसंत कुंज में उनके घर, अधचीनी में उनके कार्यालय और महरौली में एक बाल गृह- पर छापेमारी कर रहा है.
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धनशोधन के मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर के दिल्ली से जुड़े कई परिसरों (वसंत कुंज में उनके घर, अधचीनी में उनके कार्यालय और महरौली में एक बाल गृह) पर गुरुवार को छापे मारे.
माना जा रहा है कि ईडी का यह मामला दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की ओर से फरवरी में सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (सीईएस) के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी से जुड़ा है. यह संस्थान मंदर चलाते हैं और वह इसके निदेशक भी हैं.
द वायर को पता चला कि अधचीनी में सीईएस कार्यालय में ईडी के कम से कम सात अधिकारी मौजूद थे. राजनीतिक विश्लेषक जोया हसन, कार्यकर्ता बेजवाड़ा विल्सन, दिवंगत नौकरशाह केशव देसिराजू और अर्थशास्त्री दीपा सिन्हा सीईएस के बोर्ड सदस्य हैं.
मंदर ने कई पुस्तक लिखी हैं और सामाजिक कार्यों के अलावा वह सामाजिक न्याय और मानवाधिकार जैसे विषयों पर अखबारों में संपादकीय भी लिखते हैं. मंदर मोदी सरकार के बड़े आलोचकों में से एक हैं.
Delhi | Enforcement Directorate is conducting raids at the premises linked to retired IAS officer Harsh Mander, in connection with an alleged money laundering case. Raids being conducted at his residence and office and a children's home run by him in the city.
— ANI (@ANI) September 16, 2021
ईडी ने गुरुवार को जिन विभिन्न स्थानों पर छापा मारा, उनमें एक बाल गृह है, जिसे उम्मीद अमन घर कहा जाता है.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो और उनकी टीम ने 1 अक्टूबर, 2020 को बेघर लड़कों के लिए ‘उम्मीद अमन घर’ और लड़कियों के लिए ‘खुशी रेनबो होम’ आश्रय गृह में औचक निरीक्षण किया था, जो दक्षिण दिल्ली में स्थित हैं.
इसके बाद जनवरी 2021 में शीर्ष बाल अधिकार निकाय ने बुनियादी ढांचे, वित्त पोषण और संचालन लाइसेंस में कई अनियमितताओं की सूचना दी, जिनमें से सभी ने कथित तौर पर किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 (जेजे अधिनियम) और इसके नियमों का उल्लंघन किया. इसने यह भी कहा कि घरों में कोविड-19 प्रोटोकॉल का ठीक से पालन नहीं किया गया.
एक सनसनीखेज दावे में यह भी कहा गया कि हो सकता है कि ‘उम्मीद अमन घर’ ने पिछले वर्षों में यौन शोषण के मामलों को छुपाया हो.
इसे लेकर एनसीपीसीआर के रजिस्ट्रार की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) , किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 और 83 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
हालांकि दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) ने इस मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट को सौंपे एक हलफनामे में एनसीपीसीआर द्वारा इन दो बाल आश्रय गृहों को लेकर किए गए अधिकांश आपत्तिजनक दावों का खंडन किया था.
उन्होंने कहा कि कुछ कमियों को छोड़कर, एनसीपीसीआर की टिप्पणियों में सबूतों और योग्यता की कमी है और ये दावे साबित नहीं होते हैं.
मंदर और उनकी पत्नी बुधवार रात जर्मनी के लिए रवाना हुए थे, जहां कार्यकर्ता नौ महीने के फेलोशिप कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं. उनकी बेटी सुरूर मंदर, जो वकील हैं, ने कार्यकर्ता कविता कृष्णन को बताया कि इस समय किसी को भी घर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है.