सरकार के आलोचकों को चुप कराने के लिए हो रहीं आयकर विभाग की छापेमारीः मानवाधिकार संगठन

मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और सरकार के अन्य आलोचकों को ख़ामोश कराने के लिए कर चोरी और वित्तीय अनियमितता जैसे राजनीति से प्रेरित आरोप लगा रही है.

(फोटो: रॉयटर्स)

मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और सरकार के अन्य आलोचकों को ख़ामोश कराने के लिए कर चोरी और वित्तीय अनियमितता जैसे राजनीति से प्रेरित आरोप लगा रही है.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्लीः मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने शुक्रवार को कहा कि पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और समाचार संगठनों के कार्यालयों पर आयकर विभाग की छापेमारी सत्ता में आने के बाद से भाजपा की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का प्रयास है.

एचआरडब्ल्यू ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और सरकार के अन्य आलोचकों को चुप कराने के लिए कर चोरी और वित्तीय अनियमितता जैसे राजनीति से प्रेरित आरोप लगा रही है.

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर के घर और कार्यालय परिसरों पर आईटी विभाग की छापेमारी, कलाकार सोनू सूद के घर पर आईटी विभाग के ‘सर्वे’ और ऑनलाइन न्यूज पोर्टल न्यूजलॉन्ड्री और न्यूजक्लिक के कार्यालयों पर भी आईटी विभाग के ‘सर्वे’ का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकारी एजेंसियों की इन कार्रवाइयों का उद्देश्य सरकार के आलोचकों को डराना और उनका उत्पीड़न करना है.

ह्यूमन राइट्स वॉच की दक्षिण एशिया क्षेत्र की निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि सरकारी एजेंसियों की छापेमारी सरकार के आलोचकों का उत्पीड़न करने और उन्हें डराने के इरादे से की गई, जो दरअसल सभी आलोचकों को चुप कराने का प्रयास करने के व्यापक पैटर्न को दिखाता है.’

उन्होंने कहा, ‘इन हथकंडों से भारत के मूल लोकतांत्रिक संस्थान कमजोर होते हैं और मौलिक स्वतंत्रता बाधित होती है.’

एचआरडब्ल्यू ने बयान में कहा, ‘पहले भी प्रशासन ने राजनीतिक से प्रेरित आपराधिक मामले दर्ज किए हैं, जिनमें कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, शिक्षाविदों, छात्रों और अन्य के खिलाफ आतंकवाद और राजद्रोह के मामले दर्ज करना शामिल है.’

इसके साथ ही सरकार की आलोचना करने वालों पर विदेशी फंडिंग नियमों और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप भी लगाए जाते रहे हैं.

कार्यकर्ता हर्ष मंदर के घर और कार्यालयों पर आईटी की छापेमारी पर एचआरडब्ल्यू ने कहा कि मंदर को लगातार निशाना बनाया गया क्योंकि वह अल्पसंख्यकों के खिलाफ भाजपा सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों की मुखर आलोचना करते रहे हैं और सांप्रदायिक हिंसा पीड़ितों के साथ काम करते रहे हैं.

एचआरडब्ल्यू ने कहा कि पत्रकार हिलाल मीर, शाह अब्बास, शौकत मोट्टा और अजहर कादरी के लैपटॉप जब्त करने का जम्मू कश्मीर पुलिस का फैसला उस उत्पीड़न का सबूत हैं, जिनका सामना कश्मीरी मीडियाकर्मी करते आए हैं.

संगठन ने न्यूजलॉन्ड्री और न्यूजक्लिक के ऑफिसों पर आयकर विभाग के ‘सर्वे’, दैनिक भास्कर के कार्यालय पर छापेमारी और उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा पत्रकार राणा अय्यूब के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की भी आलोचना की.

एचआरडब्ल्यू ने कहा, ‘कलाकार सोनू सूद के कार्यालयों में आयकर विभाग का सर्वे राजनीति से प्रेरित लगता है क्योंकि सोनू को कोरोना महामारी के दौरान अपने मददगार कामों के लिए आम जनता, मीडिया और विपक्षी दलों के नेताओं की ओर से व्यापक स्तर पर सराहा गया था.’

संगठन ने कहा कि मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त और विभिन्न संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने बीते कुछ सालों में भारत में नागरिक समाज संगठनों के लिए खत्म हो रही संभावनाओं को लेकर लगातार चिंता जताई है.

गांगुली ने कहा, ‘देश में मौलिक स्वतंत्रता का गला घोंटकर भारत वैश्विक तौर पर अपने प्रभाव को कम कर रहा है. सरकार को अपना तरीका बदलने और लोगों के मूलभूत अधिकारों को बनाए रखने की जरूरत है.

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