बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले में शुक्रवार को आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल की दो अज्ञात व्यक्तियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. अग्रवाल ने ज़िले में कथित रूप से अतिक्रमण की गई सरकारी ज़मीन और संपत्ति का ब्योरा मांगते हुए कई आरटीआई आवेदन दायर किए थे. विपिन अग्रवाल पर इससे पहले साल 2020 में उनके घर पर हमला किया गया था.
मोतीहारी: बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में शुक्रवार को एक आरटीआई कार्यकर्ता की दो अज्ञात व्यक्तियों ने गोली मारकर हत्या कर दी.
पुलिस अधीक्षक नवीनचंद्र झा ने बताया कि हरसिद्धि में सुबह 11ः30 बजे विपिन अग्रवाल (47) की उनके निवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई. दो आरोपी अग्रवाल को गोलियां मारने के बाद मौके से भाग गए. दोनों मोटरसाइकिल से आए थे.
झा के अनुसार, अग्रवाल को तत्काल एक स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. उनके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है.
एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि विपिन अग्रवाल ने जिले में कथित रूप से अतिक्रमण की गई सरकारी जमीन और संपत्ति का ब्योरा मांगते हुए कई आरटीआई आवेदन दिए थे. अग्रवाल ने इस क्षेत्र में भ्रष्ट गतिविधियों को लेकर अपनी आवाज उठाई थी.
अधिकारी के अनुसार, आरटीआई कार्यकर्ता के परिवार के सदस्यों ने कहा कि उनकी हत्या के पीछे स्थानीय भू-माफिया हो सकते हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अग्रवाल के परिवार ने हत्या के लिए स्थानीय भू-माफिया को जिम्मेदार ठहराते हुए हमलावरों का पता लगाने के लिए निष्पक्ष जांच की मांग की.
उन्होंने कहा कि अग्रवाल ने अपनी जान को खतरा होने की आशंका जताई थी और पुलिस सुरक्षा की मांग की थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने कहा कि मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. 2008 से अब तक बिहार में कम से कम 20 आरटीआई कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं.
स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि अग्रवाल ने हरसिद्धि ब्लॉक में करीब आठ एकड़ जमीन पर कथित अवैध कब्जे को लेकर 2013 में पटना हाईकोर्ट में मामला दर्ज कराया था. इसके बाद हाईकोर्ट ने 90 लोगों को जमीन खाली करने के लिए नोटिस जारी किया था.
पुलिस ने कहा कि विपिन अग्रवाल पर 2020 में हरसिद्धि स्थित उनके घर पर हमला किया गया था.
अग्रवाल के पिता विजय कुमार अग्रवाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘मेरा बेटा सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को लेकर आरटीआई अर्जी दाखिल करता था. स्थानीय भू-माफिया उसे निशाना बना रहे थे. हाल ही में उन्होंने हरसिद्धि बाजार में कुछ भूमि अतिक्रमणकारियों का पर्दाफाश किया था.’
उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने पुलिस सुरक्षा और उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने की आशंका जताते हुए एक स्थानीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
अरेराज डीएसपी अभिनव धीमान ने कहा, ‘हमें पुलिस सुरक्षा की मांग करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता के बारे में कोई जानकारी नहीं है. हम संदिग्धों की तलाश में छापेमारी कर रहे हैं. मामला जमीन पर कब्जा करने वालों से जुड़ा लग रहा है.’
रिपोर्ट के अनुसार, अब तक किसी भी संदिग्ध को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है. बिहार में साल 2008 से लेकर अब तक 20 आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है.
नागरिक अधिकार मंच के संयोजक और प्रमुख आरटीआई कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय ने कहा, ‘अग्रवाल ने भूमि अतिक्रमणकारियों का पर्दाफाश करने के लिए कई आरटीआई दायर किए थे. राज्य में किस तरह से आरटीआई कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है, यह देखना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. 2014 में मुजफ्फरपुर स्थित एक संगठन ने भूमि अतिक्रमण और पीडीएस अनियमितताओं को उजागर करने के लिए अग्रवाल को यूथ आइकन अवॉर्ड दिया था.’
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, विपन अग्रवाल के पिता विजय अग्रवाल ने कहा कि 16 फरवरी, 2020 को बदमाशों ने हमारे घर पर हमला किया और तोड़फोड़ की थी. उनकी पत्नी को सड़क पर घसीटा गया.
उन्होंने कहा, ‘इस संबंध में कई लोगों पर मुकदमा दायर किया था, लेकिन किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया. हमने सुरक्षा के लिए कई बार आवेदन किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.’
विजय अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में अरेराज की अनुमंडल अदालत में लगभग 100 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.
पूर्वी चंपारण के एसपी नवीन चंद्र झा ने कहा, ‘देखेंगे कि क्या उन्होंने सुरक्षा मांगी थी.’
विजय अग्रवाल के पिता ने कहा कि झूठे हत्या के मामले में अग्रवाल को फंसाने का भी प्रयास किया गया था, उनके बेटे को लगा था कि प्रभावशाली लोगों द्वारा भूमि अतिक्रमण के मामलों को उजागर करने के लिए उनकी हत्या की जा सकती है या झूठे मामले में फंसाया जा सकता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)