उत्तर प्रदेश में भाजपा और निषाद पार्टी मिलकर लड़ेंगे विधानसभा का चुनाव: धर्मेंद्र प्रधान

2022 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के लिए अलग-अलग समय पर भाजपा से कोई न कोई शर्त रखने वाले निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने शुक्रवार की पत्रकार वार्ता में किसी सवाल का जवाब नहीं दिया और भाजपा नेताओं के बयान पर सहमति में सिर हिलाते रहे. बीते दिनों में निषाद भाजपा से ख़ुद को उप-मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुनाव मैदान में उतारने की मांग भी कर चुके हैं.

केंद्रीय मंत्री और भाजपा के यूपी चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान लखनऊ में उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह (बाएं) और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद (दाएं) के साथ. (फोटो: पीटीआई)

2022 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के लिए अलग-अलग समय पर भाजपा से कोई न कोई शर्त रखने वाले निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने शुक्रवार की पत्रकार वार्ता में किसी सवाल का जवाब नहीं दिया और भाजपा नेताओं के बयान पर सहमति में सिर हिलाते रहे. बीते दिनों में निषाद भाजपा से ख़ुद को उप-मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुनाव मैदान में उतारने की मांग भी कर चुके हैं.

केंद्रीय मंत्री और भाजपा के यूपी चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान लखनऊ में उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह (बाएं) और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद (दाएं) के साथ. (फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: उत्‍तर प्रदेश में अगले वर्ष के शुरू में होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद पार्टी) साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. उत्तर प्रदेश के भाजपा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने इसकी घोषणा की है.

भाजपा मुख्यालय में शुक्रवार को भाजपा के उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह तथा प्रदेश सरकार के मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह की मौजूदगी में इस गठबंधन की औपचारिक घोषणा की गई.

प्रधान ने लखनऊ में आयोजित साझा पत्रकार वार्ता में कहा, ‘2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हम (भाजपा-निषाद पार्टी) साथ मिलकर लड़ेंगे और आज दोनों दलों के नेताओं ने इसकी औपचारिक घोषणा की है. हमारे गठबंधन में अपना दल (सोनेलाल) भी जुड़ा है.’

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले डॉ. संजय निषाद ने भाजपा से खुद को उप-मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुनाव मैदान में उतारने की मांग करते हुए दावा किया था कि राज्य में निषाद (मछुआरा) समाज का 18 प्रतिशत मत है और 160 सीटों पर उनकी बिरादरी के मतदाताओं की निर्णायक भूमिका है.

बीते जुलाई महीने में अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने पर संजय निषाद ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि अगर अनुप्रिया को मंत्री पद दिया जा सकता है तो उनके सांसद पुत्र प्रवीण निषाद को क्यों नहीं?

उन्होंने कहा था कि निषाद समुदाय के लोग पहले ही भाजपा से दूर जा रहे हैं और अगर पार्टी ने अपनी गलतियां नहीं सुधारी तो आने वाले विधानसभा चुनाव में उसे इसके नतीजे भुगतने पड़ेंगे.

निषाद ने कहा था कि अनुप्रिया पटेल का जनाधार उत्तर प्रदेश की मात्र कुछ सीटों तक ही सीमित है, अगर उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है तो प्रवीण निषाद को क्यों नहीं, जिनकी लोकप्रियता 160 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में है.

इससे पहले इस साल फरवरी में निषाद ने कहा था कि अगर उनकी पार्टी को समझौते के आधार पर राज्य सरकार में सम्मानजनक जगह नहीं दी गई, तो 2022 का चुनाव निषाद पार्टी अकेले लड़ेगी.

बहरहाल 2022 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के लिए अलग-अलग समय पर भाजपा से कोई न कोई शर्त रखने वाले डॉ. निषाद ने शुक्रवार की पत्रकार वार्ता में किसी सवाल का जवाब नहीं दिया और वह भाजपा नेताओं के बयान पर सहमति में सिर हिलाते रहे.

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने डॉ. अयूब के नेतृत्व वाली पीस पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. तब निषाद पार्टी ने 72 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें भदोही जिले के ज्ञानपुर में पार्टी उम्मीदवार विजय मिश्रा को जीत मिली.

निषाद की पार्टी को उन सीटों पर 3.58 प्रतिशत मत मिले थे, जहां उसने उम्मीदवार उतारे थे, इसके अलावा पीस पार्टी ने 68 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे 1.56 प्रतिशत मत मिले.

राजनीतिक दल बनने के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में जातीय आधार पर अपना प्रभाव रखने वाली निषाद पार्टी का चुनाव मैदान में आने का वह पहला तर्जुबा था.

इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे से रिक्त हुई गोरखपुर संसदीय सीट पर 2018 में हुए उपचुनाव में संजय निषाद ने समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल किया और सपा ने उनके बेटे प्रवीण निषाद को गोरखपुर से उम्मीदवार बनाया.

यह उपचुनाव प्रवीण जीत गए, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में संजय निषाद ने सपा से नाता तोड़कर भाजपा से गठजोड़ कर लिया.

प्रवीण निषाद को इस बार भाजपा ने संत कबीर नगर से उम्मीदवार बनाया और वह चुनाव जीतकर दोबारा लोकसभा में पहुंच गए. उधर, भाजपा आम चुनाव में गोरखपुर सीट भी जीत गई.

विधानसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा, यह पूछे जाने पर प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा.

निषाद को दी जाने वाली सीटों के सवाल पर प्रधान ने कहा कि सभी विषयों पर बातचीत हो गई है और सही समय पर इसकी घोषणा की जाएगी.

निषाद पार्टी का पूर्वी उत्तर प्रदेश में खासकर गोरखपुर के क्षेत्र के आसपास मछुआरों और नाविक समुदाय के बीच प्रभाव बताया जाता है.

विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने के बावजूद भाजपा द्वारा जातीय क्षत्रपों को साधने के सवाल पर प्रधान ने कहा कि 2022 के चुनाव में भाजपा अन्य समाज के लोगों को भी गहराई के साथ जोड़ने में सफल होगी.

उन्होंने दावा किया कि भाजपा किसानों की असली हितैषी है और किसानों की आय दोगुनी करने को वचनबद्ध है.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा, ‘निषाद पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा है. लोकसभा चुनाव हमने साथ लड़ा था और विधानसभा चुनाव में भी हम मिलकर कमल खिलाएंगे.’

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगी भाजपा: उप-मुख्यमंत्री

उत्‍तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने उच्च जातियों,

योगी आदित्यनाथ और दिनेश शर्मा. (फोटो: पीटीआई)

विशेष तौर पर ब्राह्मणों के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से दूर होने के दावे को खारिज करते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने समाज के हर वर्ग के लिए काम किया है.

साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री को लेकर कोई विवाद नहीं है और केंद्रीय नेतृत्व ने तय कर दिया है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के चेहरे के साथ भाजपा विधानसभा चुनाव में उतरेगी.

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक रहे उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने एक साक्षात्कार में मुख्यमंत्री के मसले पर कहा, ‘यह एक सुलझा हुआ मसला है, क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा दोबारा सरकार बनाने के लिए योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगी.’

राज्य में भाजपा के ब्राह्मण चेहरे डॉ. शर्मा ने उन अटकलों को खारिज किया कि उच्च जातियां, विशेष रूप से ब्राह्मण भाजपा से दूर जा रहे हैं, जिन्हें बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी समेत अन्य लोग लुभाने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने जाति और पंथ के चश्‍में से कोई चेहरा नहीं देखा, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए काम किया है.

भाजपा के लिए ब्राह्मणों के वोटों के नुकसान पर शर्मा ने कहा, ‘यह प्रतिद्वंद्वियों द्वारा उनके (ब्राह्मण) वोट के लिए एक झूठा प्रचार है.’

कांग्रेस के प्रमुख ब्राह्मण नेता जितिन प्रसाद (पूर्व केंद्रीय मंत्री) को भाजपा में शामिल किए जाने पर शर्मा ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम से प्रभावित होकर भाजपा में शामिल हुए हैं.

उन्होंने उन अटकलों को भी खारिज कर दिया कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के विरोध से विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सौ से अधिक सीटों पर भाजपा को भारी नुकसान होगा.

उन्होंने विपक्षी दलों पर अन्नदाता अनाज उत्पादकों के बीच, अपना वोट हासिल करने के लिए असंतोष फैलाने का आरोप लगाया.

किसान आंदोलन के मसले पर उन्होंने कहा कि किसान भाजपा की सर्वोच्‍च प्राथमिकता है, लेकिन अगर कोई किसान के रूप में भेष बदलकर अपने निहित राजनीतिक हितों को पूरा करने की कोशिश करता है तो लोग उसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे.

माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग संभालने वाले शर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव किया है.

पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कटाक्ष किया कि पहले राज्य सरकार बोर्ड परीक्षाओं में धोखाधड़ी के आयोजन के लिए निविदा देने के लिए जानी जाती थी, लेकिन अब उत्तर प्रदेश में नकल मुक्त परीक्षा आयोजित करने और छात्रों को सब्सिडी वाली किताबें प्रदान करने के लिए सरकार की प्रशंसा हो रही है.

शर्मा ने कहा, ‘यह वही उत्तर प्रदेश है जिसमें प्रधानमंत्री ने 2017 में (विधानसभा चुनाव रैली) गोंडा में कहा था कि सामूहिक नकल (बोर्ड परीक्षाओं में) के लिए निविदाएं मंगाई जाती हैं. लेकिन आज यह नकल मुक्त परीक्षा के लिए अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल बन गया है.’

उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश ‘सी ग्रेड’ में था, लेकिन आज यह ‘ए ग्रेड’ में है.

यह पूछे जाने पर कि क्या आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य में भाजपा और सपा के बीच सीधी या मायावती की बसपा सहित त्रिकोणीय लड़ाई होगी, शर्मा ने कहा, ‘भाजपा बंपर जीत रही है और ये विपक्षी दल एक-दूसरे से आगे निकलने के लिए आपस में लड़ रहे हैं.’

इस बार प्रियंका गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की संभावना पर उन्होंने बिना नाम लिए कहा, ‘जब चुनाव नजदीक है तो राजनीतिक पर्यटक लोग भी अच्छी तरह से जानते हैं कि चुनाव के दौरान उनके साथ कौन खड़ा है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या अयोध्या आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए आधार होगी, शर्मा ने कहा, ‘भाजपा के लिए राम मंदिर का निर्माण कभी भी चुनावी मुद्दा नहीं था, बल्कि आस्था का विषय था. यह भाजपा थी, जिसने अकेले राम मंदिर आंदोलन को समर्थन दिया और बाधाओं को दूर किया. ’

उन्होंने याद दिलाया, ‘राम मंदिर के लिए कल्याण सिंह जी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया था और जो लोग आज बुद्धिजीवियों की सभा आयोजित कर रहे हैं, उनके शासन काल में राम भक्तों पर गोलियां चलाई गईं, ऐसे में जनता किसका समर्थन करेगी? क्या उन पर जिन्होंने राम भक्तों पर ‘गोली’ चलाई, या जो ‘राम नाम की बोली’ के नारे लगाते हुए उनके साथ खड़े रहे.’

यह पूछे जाने पर कि क्या वह चुनाव लड़ेंगे तो उन्होंने कहा, ‘भाजपा में यह प्रश्न नहीं आया करता है, भाजपा में नेता और कार्यकर्ता अपने बारे में नहीं तय करता है, बल्कि केंद्रीय नेतृत्व समय और आवश्यकता अनुसार भूमिका तय करता है.’

उन्होंने बताया कि विधान परिषद सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल 2027 तक है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)