कोर्ट ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से जुड़े फ़ैसलों की रिपोर्टिंग पर लगाई रोक

बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे आदेशों को न्यायालय की वेबसाइट पर भी अपलोड नहीं किया जाना चाहिए और इन शर्तों का पालन न करना अदालत की अवमानना ​​होगी. हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी भी फ़ैसले को सार्वजनिक किया जाना है तो पहले उसके लिए न्यायालय के आदेश की आवश्यकता होगी.

बॉम्बे हाई कोर्ट (फोटो : पीटीआई)

बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे आदेशों को न्यायालय की वेबसाइट पर भी अपलोड नहीं किया जाना चाहिए और इन शर्तों का पालन न करना अदालत की अवमानना ​​होगी. हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी भी फ़ैसले को सार्वजनिक किया जाना है तो पहले उसके लिए न्यायालय के आदेश की आवश्यकता होगी.

बॉम्बे हाई कोर्ट (फोटो : पीटीआई)

नई दिल्ली: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते शुक्रवार (24 सितंबर) को एक आदेश में कहा कि अदालत की अनुमति के बिना कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत दिए गए फैसलों की मीडिया रिपोर्टिंग न की जाए.

न्यायालय ने यह भी कहा कि ऐसे आदेशों को हाईकोर्ट की वेबसाइट पर भी अपलोड नहीं किया जाना चाहिए और इन शर्तों का पालन न करना अदालत की अवमानना ​​होगी.

हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायालय की इजाजत के बिना दोनों पक्ष के लोगों यानी कि पीड़ित, आरोपी, वकीलों, गवाहों इत्यादि इस मामले को लेकर कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं या मीडिया में किसी भी रूप में ऐसी कोई सामग्री प्रकाशित नहीं करवा सकते हैं.

जस्टिस गौतम पटेल की पीठ ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की.

उन्होंने कहा कि चूंकि इस संबंध में अभी तक कोई गाइडलाइन उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए ये दिशानिर्देश पक्षकारों की पहचान का खुलासा होने से बचाने कि लिए ‘न्यूनतम जरूरत’ हैं.

बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा जारी की गई गाइडलाइन निम्नलिखित है:

  • पार्टियों के नामों का उल्लेख नहीं किया जाएगा और ‘ए बनाम बी’, ‘पी बनाम डी’ आदि पढ़ा जाना चाहिए.
  • पार्टियों को उनके नाम से नहीं बल्कि केवल वादी, प्रतिवादी नंबर 1 आदि के रूप में संदर्भित किया जाएगा.
  • आदेश में किसी भी व्यक्तिगत जानकारी जैसे ईमेल आईडी, मोबाइल या टेलीफोन नंबर, पते आदि का उल्लेख नहीं होना चाहिए. किसी गवाह के नाम का उल्लेख नहीं किया जाएगा और न ही उनके पते का उल्लेख किया जाएगा.
  • सभी आदेश और निर्णय निजी तौर पर दिए जाएंगे, यानी कि फैसले खुली अदालत में नहीं बल्कि केवल इन-कैमरा या बंद कमरे में सुनाए जाएंगे.
  • कार्यवाही के किसी भी भाग की किसी भी प्रकार की रिकॉर्डिंग सख्त वर्जित है.

कोर्ट ने कहा कि यदि किसी भी फैसले को सार्वजनिक किया जाना है तो पहले उसके लिए न्यायालय के आदेश की आवश्यकता होगी.

(इसे अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

https://arch.bru.ac.th/wp-includes/js/pkv-games/ https://arch.bru.ac.th/wp-includes/js/bandarqq/ https://arch.bru.ac.th/wp-includes/js/dominoqq/ https://ojs.iai-darussalam.ac.id/platinum/slot-depo-5k/ https://ojs.iai-darussalam.ac.id/platinum/slot-depo-10k/ https://ikpmkalsel.org/js/pkv-games/ http://ekip.mubakab.go.id/esakip/assets/ http://ekip.mubakab.go.id/esakip/assets/scatter-hitam/ https://speechify.com/wp-content/plugins/fix/scatter-hitam.html https://www.midweek.com/wp-content/plugins/fix/ https://www.midweek.com/wp-content/plugins/fix/bandarqq.html https://www.midweek.com/wp-content/plugins/fix/dominoqq.html https://betterbasketball.com/wp-content/plugins/fix/ https://betterbasketball.com/wp-content/plugins/fix/bandarqq.html https://betterbasketball.com/wp-content/plugins/fix/dominoqq.html https://naefinancialhealth.org/wp-content/plugins/fix/ https://naefinancialhealth.org/wp-content/plugins/fix/bandarqq.html https://onestopservice.rtaf.mi.th/web/rtaf/ https://www.rsudprambanan.com/rembulan/pkv-games/ depo 20 bonus 20 depo 10 bonus 10 poker qq pkv games bandarqq pkv games pkv games pkv games pkv games dominoqq bandarqq pkv games dominoqq bandarqq pkv games dominoqq bandarqq