महाराष्ट्रः मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह ‘लापता’, लुकआउट नोटिस जारी हुआ

दक्षिण मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर कथित तौर पर विस्फोटक मिलने के मामले की जांच कर रही एनआईए ने बयान दर्ज करने के लिए अगस्त में परमबीर सिंह को तलब किया था. उन्हें तब से कई बार समन दिए गए पर वो पेश नहीं हुए. अपुष्ट ख़बरें हैं कि गिरफ़्तारी से डर से सिंह देश छोड़कर भाग गए हैं.

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Maharashtra ADG Param Bir Singh with Pune's Additional CP Shivaji Bodke (L)Dr.Shivaji Pawar(R) adressed a press conference about the house arrest of rights activists in Bhima Koregaon case, at DGP office, in Mumbai on Friday.(PTI )
मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह. (फाइल फोटो: पीटीआई)

दक्षिण मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर कथित तौर पर विस्फोटक मिलने के मामले की जांच कर रही एनआईए ने बयान दर्ज करने के लिए अगस्त में परमबीर सिंह को तलब किया था. उन्हें तब से कई बार समन दिए गए पर वो पेश नहीं हुए. अपुष्ट ख़बरें हैं कि गिरफ़्तारी से डर से सिंह देश छोड़कर भाग गए हैं.

Maharashtra ADG Param Bir Singh with Pune's Additional CP Shivaji Bodke (L)Dr.Shivaji Pawar(R) adressed a press conference about the house arrest of rights activists in Bhima Koregaon case, at DGP office, in Mumbai on Friday.(PTI )
मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह. (फाइल फोटो: पीटीआई)

मुंबईः महाराष्ट्र की मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त के देश छोड़कर फरार होने की खबरों के बीच उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है.

महाराष्ट्र के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने पुष्टि की है कि सिंह के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है.

दरअसल, सिंह के अपने घर पर नहीं पाए जाने और केंद्र और राज्य की एजेंसियों द्वारा कई बार समन दिए जाने के बावजूद पेश न होने के बाद यह नोटिस जारी किया गया है.

हालांकि, पाटिल ने संकेत दिया है कि ऐसा हो सकता है कि सिंह गिरफ्तारी के डर से देश छोड़कर फरार हो गए हों.

भ्रष्टाचार से लेकर जातिगत अत्याचार के कई मामलों में आरोपी सिंह अपने हालिया होमगार्ड के महानिदेशक पद से पांच मई को छुट्टी पर चले गए थे.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी, केंद्रीय जांच ब्यूरो और मुंबई की कई स्थानीय पुलिस इकाइयों ने सिंह को कई बार तलब किया गया लेकिन वह पेश नहीं हुए.

बता दें कि दक्षिण मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर कथित तौर पर विस्फोटक मामले की जांच कर रही एनआईए ने बयान दर्ज करने के लिए अगस्त में सिंह को तलब किया था.

सिंह के करीबी सहयोगी और सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वझे को पहले ही इस मामले में कई अन्य जूनियर स्तर के पुलिसकर्मियो के साथ गिरफ्तार किया जा चुका है.

यह पहली बार नहीं है कि वझे पर आपराधिक आरोप लगे हैं. स्वयंभू एनकाउंटर विशेषज्ञ वझे को 2004 में 27 साल के इंजीनियर ख्वाजा युनुस की कथित न्यायेत्तर हत्या मामले में भी गिरफ्तार किया गया था.

वझे को निलंबित कर दिया गया था और 2020 में दोबारा बहाल किया गया. युनुस हत्याकांड मामले की सुनवाई अभी भी जारी है.

बता दें कि 25 फरवरी को एंटीलिया के बाहर पार्क एक स्कॉर्पियो कार से जिलेटिन की 20 छड़ें बरामद की गई थीं. इसके साथ ही एक धमकी भरा पत्र भी मिला था. मामले में कारोबारी मनसुख हिरेन का नाम सामने आया, जो ठाणे में ऑटो पार्ट्स की दुकान का मालिक है.

चार मार्च को हिरेन लापता हो गए थे लेकिन अगले दिन उनका शव ठाणे जिले के कलवा के एक नाले से बरामद किया गया था. वझे पर हिरेन की हत्या और उनके शव को ठिकाने लगाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप है.

इस मामले में अन्य आरोपी सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी प्रदीप शर्मा, सुनील माने, नरेश गौड़, विनायक शिंदे, रियाजुद्दीन काजी, संतोष शेलार, आनंद जाधव, सतीश मोथकुरी और मनीष सोनी है.

एक साइबर विशेषज्ञ ने सिंह पर आरोप लगाया था कि जैश-उल-हिंद से संबंधित एक रिपोर्ट में कथित तौर पर संशोधन करने के लिए उन्हें सिंह ने पांच लाख रुपये दिए थे. दरअसल इस रिपोर्ट में यह संशोधन कराया गया था कि जैश-उल-हिंद ने एंटीलिया के पास विस्फोटकों से भरी कार को पार्क करने की जिम्मेदारी ली है. इसके बाद सिंह को पूछताछ के लिए तलब किया गया था.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘अगस्त से सिंह को कई बार तलब किया गया है लेकिन वह पेश नहीं हुए.’

एनआईए के एक अधिकारी ने कहा, ‘एनआईए तभी से मुंबई में उनके आधिकारिक आवास और रोहतक एवं चंडीगढ़ में उनके अन्य घरों पर उनकी तलाश कर रही है. उन्हें समन जारी करने के लिए हमारे अधिकारी हरियाणा में उनके घर भी गए थे लेकिन वह वहां नहीं थे.’

केंद्र और राज्य एजेंसियों को अब संदेह है कि सिंह देश छोड़कर फरार हो गए हैं. कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि सिंह रूस चले गए हैं.

वहीं, पाटिल ने इन दावों का खंडन नहीं किया है. उन्होंने कहा, ‘यह संभव है. मैंने भी यह सुना है. हम उनके ठिकाने के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. अगर वह असल में फरार हुए हैं तो यह ठीक नहीं है.’

मालूम हो कि एक सेवारत अधिकारी के रूप में देश छोड़कर फरार होने से पहले सरकार को सूचित करना जरूरी है.

पाटिल ने मुंबई में मीडिया को बताया, ‘एक प्रक्रिया होती है. हर अधिकारी को देश छोड़ने से पहले उचित तरह से मंजूरी लेनी होती है. मेरी जानकारी में सिंह ने इस तरह की कोई मंजूरी नहीं ली.’

गौरतलब है कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ रिश्वत के आरोप लगाए थे और अदालत ने जांच एजेंसी को इन आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया था.

देशमुख ने इन आरोपों के बाद अप्रैल में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने इन आरोपों को खारिज किया था.

उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के बाहर एक एसयूवी से विस्फोटक सामग्री मिलने के मामले की जांच के दौरान सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वझे की भूमिका सामने आने के बाद सिंह को उनके पद से हटा दिया गया था. वझे को भी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.

पुलिस आयुक्त के पद से हटाए जाने के बाद सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि देशमुख ने वझे को मुंबई के बार और रेस्तरां से एक महीने में 100 करोड़ रुपये से अधिक की रकम वसूलने को कहा था.

सिंह ने अपने पत्र में आरोप लगाया था कि जब देशमुख ने वझे से धन वसूलने को कहा था, उस समय पलांडे भी वहां मौजूद थे. पलांडे और शिंदे से सीबीआई भी पहले पूछताछ कर चुकी है.

सिंह ने कहा कि वझे पर अत्यधिक दबाव था और उन्होंने इसकी शिकायत कई बार सिंह से की थी.

सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों इन आरोपों की जांच कर रहे हैं और कई बार देशमुख को पूछताछ के लिए तलब भी किया जा चुका है. वहीं, देशमुख ने इन जांच के खिलाफ अदालत का रुख किया था और इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया था.

राज्य सरकार ने सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए सेवानिवृत्त जज केयू चांदीवाल की अध्यक्षता में एख आयोग का गठन किया था.

इस आयोग ने कई बार सिंह को तलब किया और यहां तक कि एक बार सिंह के खिलाफ जमानती वारंट भी जारी किया गया लेकिन सिंह आयोग के समक्ष पेश नहीं हुए.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)