कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भोपाल में अपनी किताब ‘नर्मदा की पथिक’ के विमोचन के मौके पर कहा कि 2017 के चुनाव के दौरान जब वे महाराष्ट्र से गुजरात की यात्रा कर रहे थे तो रात के समय गुजरात के जंगल में फंस गए थे. इस दौरान एक अधिकारी को भेजकर अमित शाह ने उनकी मदद की थी. उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक समन्वय, सामंजस्य और मित्रता का एक उदाहरण है, जिसका राजनीति और विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है.
भोपाल: कांग्रेस आलाकमान और इसके कुछ वरिष्ठ नेताओं (G-23) के साथ जारी गतिरोध के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की प्रशंसा करते हुए कहा कि चार साल पहले उनकी नर्मदा परिक्रमा यात्रा के दौरान शाह और आरएसएस कार्यकर्ताओं ने उनकी मदद की थी.
सिंह ने गुरुवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अपनी पुस्तक ‘नर्मदा की पथिक’ के विमोचन के मौके पर कहा, ‘2017 के चुनाव के दौरान हम महाराष्ट्र से गुजरात की यात्रा कर रहे थे. हम सब लगभग 10:30 बजे गुजरात में एक स्थान पर पहुंचे. वन क्षेत्र से आगे जाने का कोई रास्ता नहीं था. तभी वहां एक वन अधिकारी आए और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होंने मुझे बताया कि अमित शाह जी ने उन्हें हमारे साथ पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया था.
उन्होंने आगे कहा, ‘जबकि गुजरात में उस वक्त चुनाव चल रहे थे और मैं उनका (शाह) सबसे बड़ा आलोचक था, लेकिन उन्होंने सुनिश्चित किया कि हमारी यात्रा के दौरान हमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. वन अधिकारी ने पहाड़ों से हमारे लिए रास्ता बनाया और हम सभी के लिए भोजन की व्यवस्था भी की.’
#WATCH | Once, we reached Gujarat at 10:30 pm. There was no way ahead through forested area&no facility for an overnight stay. A forest officer arrived& you'll be surprised to know that he told me that Amit Shah had directed him to fully cooperate with us: Digvijaya Singh,Cong pic.twitter.com/9wa5umk0nk
— ANI (@ANI) September 30, 2021
दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘यह राजनीतिक संतुलन है, जिसे आजकल नेता भूल गए हैं. मैं आज तक अमित शाह जी से नहीं मिला, लेकिन मैंने उचित माध्यम से सहयोग के लिए उनका आभार व्यक्त किया. यह राजनीतिक समन्वय, सामंजस्य और मित्रता का एक उदाहरण है. जिसका राजनीति और विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है.’
सिंह ने कहा कि हालांकि वह आरएसएस के घोर आलोचक हैं, लेकिन नर्मदा यात्रा के दौरान हर चार-आठ दिन में उनके कार्यकर्ता मुझसे मिलते रहते थे.
कांग्रेस नेता ने याद करते हुए कहा, ‘जब वे भरुच क्षेत्र से गुजर रहे थे, तब आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने एक दिन मांझी समाज की धर्मशाला में हमारे समूह के ठहरने की व्यवस्था की थी और जिस हॉल में हमें ठहराया गया, वहां दीवारों पर संघ के दिग्गज नेता केशव बलिराम हेडगेवार और माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की तस्वीरें लगी थीं.’
सिंह ने कहा कि वह यह सब लोगों को इसलिए बता रहे हैं कि धर्म और राजनीति अलग हैं और उन्होंने अपनी तीर्थयात्रा के दौरान सभी से मदद ली.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा के एक नेता और तीन अन्य भाजपा कार्यकर्ता उनकी नर्मदा परिक्रमा यात्रा में शामिल रहे और वे अब उनके नर्मदा परिवार का अभिन्न हिस्सा हैं.
बता दें कि दिग्विजय सिंह ने 3,000 किलोमीटर से अधिक की लंबी नर्मदा परिक्रमा की पैदल यात्रा 30 सितंबर 2017 को नरसिंहपुर जिले के बरमान घाट से अपनी पत्नी अमृता के साथ शुरू की थी, जिसका समापन छह माह बाद बरमान घाट पर हुआ था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ से सिंह के बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
हालांकि, इस कार्यक्रम में मौजूद विवेक तन्खा ने बताया, ‘दिग्विजय सिंह ने जो कहा वह उनकी अपनी राय थी. वह अपनी धार्मिक यात्रा के बारे में बात कर रहे थे और पुस्तक विमोचन के दौरान उसी संदर्भ में बात की गई. भारत एक बहुत बड़ी राज व्यवस्था है. हर चीज राजनीति से शुरू होकर राजनीति पर खत्म नहीं हो सकती और मैं उनसे सहमत हूं. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वह अमित शाह से कभी नहीं मिले.’
बता दें कि दिग्विजय सिंह का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ नेता पार्टी के कामकाज को लेकर असंतोष जता चुके हैं.
पार्टी के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं असहाय महसूस करता हूं जब हम पार्टी के फोरम में ही सार्थक बातचीत नहीं कर सकते. मैं आहत और असहाय महसूस करता हूं, जब मैं देखता हूं कि कांग्रेस कार्यकर्ता पार्टी के एक सहयोगी और सांसद के आवास के बाहर नारेबाजी करते हैं.’
I feel helpless when we cannot start meaningful conversations within party forums.
I also feel hurt and helpless when I see pictures of Congress workers raising slogans outside the residence of a colleague and MP.
The safe harbour to which one can withdraw seems to be silence.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) September 30, 2021
बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी की पंजाब इकाई में मचे घमासान और कांग्रेस की मौजूदा स्थिति को लेकर बीते 29 सितंबर को पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े किए और कहा था कि कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक बुलाकर इस स्थिति पर चर्चा होनी चाहिए तथा संगठनात्मक चुनाव कराए जाने चाहिए.
हाल ही में पार्टी के कामकाज को लेकर नाराजगी जताते हुए कहा था कि विडंबना है कि जिन्हें पार्टी हाईकमान अपना खासमखास समझती थी, वे पार्टी छोड़कर चले गए, लेकिन जिन्हें वे खास नहीं मानते थे, वे आज भी साथ खड़े हैं.
उन्होंने कई नेताओं के पार्टी छोड़ने का उल्लेख करते हुए गांधी परिवार पर इशारों-इशारों में कटाक्ष किया कि ‘जो लोग इनके खासमखास थे, वो छोड़कर चले गए, लेकिन जिन्हें वे खासमखास नहीं मानते वे आज भी इनके साथ खड़े हैं.’
सिब्बल ने जोर देकर कहा था, ‘जी-23 उन मुद्दों को उठाएगा, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है. यह बहुत स्पष्ट है कि हम जी-23 हैं, हम ‘जी हुजूर 23’ नहीं हैं. हम बात करना जारी रखेंगे. हम हमारी मांगों को दोहराना जारी रखेंगे.’
उनके इस बयान के बाद कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने दिल्ली स्थित उनके आवास के बाहर नारेबाजी की थी.
बता दें कि पिछले साल अगस्त में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाने और संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग करने वाले पार्टी के असंतुष्ट धड़े को जी-23 कहा जाता है. सिब्बल इन्हीं जी-23 नेताओं में से एक हैं.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने भी कहा है कि कांग्रेस कमेटी के लोग, जिन्हें पंजाब की जिम्मेदारी दी गई थी, वे कैप्टन अमरिंदर सिंह के तहत पिछले साढ़े चार साल में राज्य की प्रगति की सराहना नहीं कर सके, जो अंततः वर्तमान संकट का कारण बना.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)