केंद्र ने उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के लिए अनुशंसित 106 नामों में से सात मंज़ूर किए: सीजेआई

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि इन नियुक्तियों से कुछ हद तक लंबित पड़े मामलों पर भी ध्यान दिया जाएगा. कानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा उन्हें नामों की शीघ्र मंजूरी का आश्वासन दिया गया है. उन्होंने कहा कि वह न्याय तक पहुंच और लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिए सरकार से सहयोग और समर्थन चाहते हैं.

जस्टिस एनवी रमन्ना. (फोटो: पीटीआई)

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि इन नियुक्तियों से कुछ हद तक लंबित पड़े मामलों पर भी ध्यान दिया जाएगा. कानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा उन्हें नामों की शीघ्र मंजूरी का आश्वासन दिया गया है. उन्होंने कहा कि वह न्याय तक पहुंच और लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिए सरकार से सहयोग और समर्थन चाहते हैं.

चीफ जस्टिस एनवी रमना. (फोटो साभार: यूट्यूब/सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन)

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना ने बीते शनिवार को कहा कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा हाल में हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के लिए अनुशंसित 106 नामों में से सात और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए अनुशंसित नौ नामों में से एक को मंजूरी दी है.

दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में केंद्र से ‘सहयोग तथा समर्थन’ का आह्वान करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा उन्हें नामों की शीघ्र मंजूरी का आश्वासन दिया गया है.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘सरकार ने उनमें से कुछ (न्यायाधीश पद के नामों) को मंजूरी दे दी है और माननीय कानून मंत्री ने आश्वासन दिया है कि बाकी चीजें एक या दो दिनों में हो जाएंगी. मैं इन रिक्तियों को भरने और लोगों की न्याय तक पहुंच सुलभ करने के लिए सरकार को धन्यवाद देता हूं.’

शीर्ष अदालत में बीते 17 अगस्त को एक बार में अभूतपूर्व रूप से न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के लिए नौ नामों की सिफारिश करने के अलावा जस्टिस रमना विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के तौर पर नियुक्ति के लिए नौ नामों और उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों के खाली पदों को भरने के लिए 106 नामों की सिफारिश कर रिक्तियों को भरने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं.

सर्वोच्च अदालत में कॉलेजियम द्वारा नियुक्ति के लिए भेजे गए नामों को केंद्र ने तेजी से मंजूरी दे दी थी.

उन्होंने कहा, ‘मेरे साथी न्यायाधीशों और मैंने वादियों को तेजी से न्याय दिलाने में सक्षम बनाने का प्रयास किया है. मैं यह बताना चाहता हूं कि मई के बाद से मेरी टीम ने अब तक विभिन्न उच्च न्यायालयों में 106 न्यायाधीशों और नौ नए मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश की है.’

जस्टिस रमना ने कहा, ‘सरकार ने अब तक न्यायाधीश पद के लिए अनुशंसित 106 में से सात और मुख्य न्यायाधीशों के लिए अनुशंसित नौ में से एक नाम को मंजूरी दी है. मुझे उम्मीद है कि सरकार बाकी नामों को जल्द ही मंजूरी देगी.’

उन्होंने कहा, ‘इन नियुक्तियों से कुछ हद तक लंबित पड़े मामलों पर भी ध्यान दिया जाएगा. मैं न्याय तक पहुंच और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सरकार से सहयोग और समर्थन चाहता हूं.’

बीते 16 सितंबर को कॉलेजियम ने आठ हाईकोर्ट- कलकत्ता, मेघालय, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, इलाहाबाद, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश- में मुख्य न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के लिए सिफारिश की थी. हालांकि सरकार ने इन्हें अभी तक मंजूर नहीं किया है.

इसी तरह कॉलेजियम ने मध्य प्रदेश, गुवाहाटी, इलाहाबाद, कलकत्ता, कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर, केरल, मद्रास, झारखंड, पटना, गुजरात, उड़ीसा और बॉम्बे हाईकोर्ट में कई जजों की नियुक्ति की सिफारिश की है.

न्याय विभाग के अनुसार, एक मई, 2021 तक उच्च न्यायालयों में कुल 420 पद खाली थे, जो कि एक अक्टूबर तक बढ़कर 471 हो गए.

राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण (नाल्सा) के छह सप्ताह तक चलने वाले ‘अखिल भारतीय कानूनी जागरूकता एवं संपर्क अभियान’ की शुरुआत के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश ने यह बात कही. इस अभियान का उद्घाटन महात्मा गांधी की जयंती पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया.

इस मौके पर राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि देश ने अपने संवैधानिक लक्ष्यों को साकार करने में स्वतंत्रता के बाद से पर्याप्त प्रगति की है, लेकिन इस देश की नींव रखने वाले लोगों ने जो सपना देखा था, उसे पूरा करने के लिए अभी बहुत काम किया जाना बाकी है.

महात्मा गांधी की 152वीं जयंती पर दक्षिण अफ्रीका में बंधुआ मजदूरों के लिए उनके द्वारा किए गए नि:स्वार्थ कार्य का हवाला देते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को वरिष्ठ वकीलों से राष्ट्रपिता के पदचिह्नों पर चलने एवं गरीबों को कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए कुछ वक्त निकालने की अपील की.

वरिष्ठतम न्यायाधीश एवं नाल्सा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस यूयू ललित ने वरिष्ठ वकीलों से प्रति वर्ष कम से कम तीन मामलों में नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने की अपील की, क्योंकि इससे कानूनी सहायता मांगने वालों में विश्वास पैदा होगा.

राष्ट्रपति ने कहा कि जिला स्तर पर पैनल में शामिल 47,000 से अधिक वकीलों में 11,000 महिलाएं हैं तथा करीब 44,000 पराविधिक स्वयंसेवक (वकीलों के सहायक) में करीब 17,000 महिलाएं हैं.

उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया है कि नाल्सा वकीलों एवं विधि स्वयंसेवकों को जोड़कर काम को और समावेशी बनने का प्रयास कर रहा है.

वहीं मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यदि कमजोर वर्ग अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे तो समान न्याय की संवैधानिक गारंटी अर्थहीन हो जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विशेष रूप से गरीबों को ‘न्याय तक समावेशी पहुंच’ प्रदान किए बिना स्थायी और समावेशी विकास हासिल नहीं किया जा सकता.

केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि त्वरित एवं सुगम न्याय लोगों की ‘वैध आशा’ है तथा उसे सुनिश्चित करना राज्य के विभिन्न अंगों की सामूहिक जिम्मेदारी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv bandarqq dominoqq pkv games dominoqq bandarqq sbobet judi bola slot gacor slot gacor bandarqq pkv pkv pkv pkv games bandarqq dominoqq pkv games pkv games bandarqq pkv games bandarqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa judi parlay judi bola pkv games pkv games pkv games pkv games pkv games pkv games pkv games bandarqq pokerqq dominoqq pkv games slot gacor sbobet sbobet pkv games judi parlay slot77 mpo pkv sbobet88 pkv games togel sgp mpo pkv games
slot77 slot triofus starlight princess slot kamboja pg soft idn slot pyramid slot slot anti rungkad depo 50 bonus 50 kakek merah slot bandarqq dominoqq pkv games pkv games slot deposit 5000 joker123 wso slot pkv games bandarqq slot deposit pulsa indosat slot77 dominoqq pkv games bandarqq judi bola pkv games pkv games bandarqq pkv games pkv games pkv games bandarqq pkv games depo 25 bonus 25 slot depo 10k mpo slot pkv games bandarqq bandarqq bandarqq pkv games pkv games pkv games pkv games slot mahjong pkv games slot pulsa