पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतों में लगातार तीसरे दिन बढ़ोतरी, दाम नई रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचे

सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने 24 सितंबर से वाहन ईंधन कीमतों में फिर से संशोधन का सिलसिला शुरू किया है. 24 सितंबर से आठ बार में डीज़ल 2.15 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ है. वहीं बीते सात दिनों में पांच किस्तों में पेट्रोल के दाम 1.25 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए गए हैं.

(फोटो: रॉयटर्स)

सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने 24 सितंबर से वाहन ईंधन कीमतों में फिर से संशोधन का सिलसिला शुरू किया है. 24 सितंबर से आठ बार में डीज़ल 2.15 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ है. बीते सात दिनों में पांच किस्तों में पेट्रोल के दाम 1.25 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए गए हैं.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: पेट्रोल और डीजल की कीमतों में रविवार को फिर वृद्धि हुई. इससे देशभर में वाहन ईंधन के दाम नई रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए हैं. हालांकि, शीर्ष सरकारी अधिकारियों का कहना है कि पेट्रोलियम विपणन कंपनियों ने उपभोक्ताओं को राहत के लिए कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि का पूरा बोझ उन पर नहीं डाला है.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल और गैस के दाम तीन साल के उच्चस्तर पर पहुंच गए हैं. अधिकारियों ने कहा कि भारत में ब्रिटेन जैसी स्थिति नहीं बनने दी गई है जहां पेट्रोल पंपों पर ईंधन की कमी की वजह से लंबी कतारें लगी हैं.

पेट्रोलियम विपणन कंपनियों की मूल्य अधिसूचना के अनुसार, रविवार को लगातार तीसरे दिन पेट्रोल का दाम 25 पैसे लीटर और बढ़ाया गया है. वहीं डीजल कीमतों में 30 पैसे प्रति लीटर की और वृद्धि हुई है.

इससे दिल्ली में पेट्रोल 102.39 रुपये प्रति लीटर के अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया है. मुंबई में यह 108.43 रुपये प्रति लीटर है.

दिल्ली में डीजल भी 90.77 रुपये प्रति लीटर की नयी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. मुंबई में डीजल 98.48 रुपये प्रति लीटर है.

स्थानीय करों की वजह से विभिन्न राज्यों में वाहन ईंधन कीमतों में भिन्नता होती है.

पेट्रोलियम सचिव तरुण कपूर ने कहा कि पेट्रोलियम कंपनियां लागत के साथ खुदरा दरों के तालमेल के लिए खुद निर्णय ले रही हैं. लेकिन साथ ही वे सुनिश्चित कर रही हैं कि बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव की स्थिति नहीं बने.

उन्होंने कहा, ‘हमारी स्थिति पर निगाह है. यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि वैश्विक उतार-चढ़ाव का यहां प्रभाव सीमित रहे.’

पिछले कुछ दिन में भारत द्वारा आयातित कच्चे तेल का औसत दाम करीब तीन साल के उच्चस्तर 76.71 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है.

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में अचानक आई तेजी और वैश्विक स्तर पर उत्पादन में बाधा से खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी जरूरी हो गई है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई कीमतों में बढ़ोतरी का पूरा बोझ उपभोक्ता पर नहीं डाला गया है.

उन्होंने कहा, ‘एलपीजी दरों पर गौर करें. एक महीने में इसकी कीमत 665 डॉलर से 797 डॉलर हो गई है, लेकिन पेट्रोलियम कंपनियों ने इसका पूरा बोझ ग्राहकों पर नहीं डाला है.’

एक सप्ताह से कम समय में पेट्रोल कीमतों में यह पांचवीं वृद्धि है. इससे देश के प्रमुख शहरों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के पार हो गया है.

इसी तरह 10 दिन में डीजल के दाम आठ बार बढ़ाए गए हैं. इससे मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के कई शहरों में डीजल 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक के दाम पर बिक रहा है.

सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों – इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ने 24 सितंबर से वाहन ईंधन कीमतों में फिर से संशोधन का सिलसिला शुरू किया है. 24 सितंबर से आठ बार में डीजल 2.15 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ है. वहीं इस सप्ताह पांच किस्तों में पेट्रोल के दाम 1.25 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए गए हैं.

जुलाई और अगस्त में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम घटने के बाद दिल्ली में पेट्रोल 65 पैसे प्रति लीटर और डीजल 1.25 रुपये प्रति लीटर सस्ता हुआ था.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, भारत द्वारा खरीदे जाने वाले कच्चे तेल का बास्केट तीन साल के उच्च स्तर 76.71 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है. पेट्रोल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें, जिसके विपरीत स्थानीय दरें बेंचमार्क हैं, केवल एक दिन में 85.10 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 87.11 डॉलर हो गई हैं, जबकि डीजल 85.95 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 87.27 डॉलर हो गया है.

इस मामले की जानकारी रखने वाले एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘दुनिया भर में जो हो रहा है, उसकी तुलना में हमने स्थिति को अच्छी तरह से संभाला है. कुछ विकसित देशों जैसे यूके ने पेट्रोल पंपों को सूखते देखा है, लेकिन आपने भारत में कहीं भी ऐसी स्थिति के बारे में नहीं सुना होगा. हमारी तेल कंपनियां न केवल खुदरा कीमतों में नरमी ला रही हैं बल्कि निर्बाध आपूर्ति भी सुनिश्चित कर रही हैं.’

अधिकारियों ने कहा कि भारत का मानना ​​है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थिति अस्थायी और असामान्य है और अगले कुछ दिनों और हफ्तों में चीजें स्थिर हो जानी चाहिए.

मालूम हो कि जुलाई और अगस्त में जब अंतरराष्ट्रीय तेल की दरें गिरीं, तो दिल्ली के बाजार में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में क्रमश: 0.65 रुपये और 1.25 रुपये प्रति लीटर की कमी की गई थी.

इससे पहले 4 मई से 17 जुलाई के बीच पेट्रोल के दाम में 11.44 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई थी. इस दौरान डीजल के दाम में 9.14 रुपये की बढ़ोतरी हुई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)