इन गुप्त खातों के लाभार्थियों के रूप में पहचाने गए नेताओं में जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय, ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर, चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री आंद्रेज बाबिस, केन्या के राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा, इक्वाडोर के राष्ट्रपति गुइलेर्मो लासो, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शामिल हैं.
नई दिल्ली: दुनिया भर की 14 कंपनियों से मिलीं लगभग एक करोड़ 20 लाख फाइलों की समीक्षा से विश्व के सैकड़ों नेताओं, अरबपतियों, मशहूर हस्तियों, धार्मिक नेताओं और नशीले पदार्थों के कारोबार में शामिल लोगों के उन निवेशों का खुलासा हुआ है, जिन्हें पिछले 25 साल से हवेलियों, समुद्र तट पर बनीं विशेष संपत्तियों, नौकाओं और अन्य संपत्तियों के माध्यम से छुपाकर रखा गया था.
इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) ने यह रिपोर्ट जारी की, जो 117 देशों के 150 मीडिया संस्थानों के 600 पत्रकारों की मदद से तैयार की गई.
इस प्रोजेक्ट को ‘पैंडोरा पेपर्स’ का नाम दिया गया है, क्योंकि इसने प्रभावशाली एवं भ्रष्ट लोगों के छुपाकर रखे गए धन की जानकारी दी और बताया है कि इन लोगों ने किस प्रकार हजारों अरब डॉलर की अवैध संपत्ति को छुपाने के लिए विदेश में खातों का इस्तेमाल किया.
इन गुप्त खातों के लाभार्थियों के रूप में पहचाने गए 330 से अधिक वर्तमान और पूर्व नेताओं में जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय, ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर, चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री आंद्रेज बाबिस, केन्या के राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा और इक्वाडोर के राष्ट्रपति गुइलेर्मो लासो के अलावा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन व दोनों के सहयोगी शामिल हैं.
रिपोर्ट में जिन अरबपतियों के नाम सामने आए हैं, उनमें तुर्की के कारोबारी अरमान इलिसाक और सॉफ्टवेयर निर्माता रेनॉल्ड्स एंड रेनॉल्ड्स के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी रॉबर्ट टी. ब्रोकमैन शामिल हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकतर खातों का इस्तेमाल कर चोरी करने और पूंजी को छुपाने के लिए किया गया है.
यूरोप की संसद में ग्रीन पार्टी के सांसद स्वेन गीगोल्ड ने कहा, ‘लीक हुए नए आंकड़ों के बाद सभी को सतर्क हो जाना चाहिए. वैश्विक कर चोरी से वैश्विक असमानता पैदा होती है. हमें इससे निपटने के प्रयासों को विस्तार देने की आवश्यकता है.’
‘ऑक्सफैम इंटरनेशनल’ ने भ्रष्ट लोगों के लालच को उजागर करने के लिए पैंडोरा पेपर्स की सराहना की. उसने कहा कि इस लालच के कारण देशों को कर से मिलने वाले उस धन का नुकसान हुआ, जिसका उपयोग उनकी भलाई के कार्यक्रमों और परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए किया जा सकता था.
ऑक्सफैम ने एक बयान में कहा कि इसी के कारण ‘और अस्पताल नहीं बन पाए. इससे उन शिक्षकों एवं दमकलकर्मियों और लोक सेवकों के वेतन का प्रबंध नहीं हो पाया, जिनकी हमें आवश्यकता है. जब कोई नेता या कारोबारी नेता दावा करता है कि जलवायु परिवर्तन और नवोन्मेष, अधिक एवं बेहतर नौकरियों, कोविड-19 से उबरने में मदद करने और विदेशों को सहायता देने के लिए धन नहीं है’ तो इसका कारण यही लालच है.
‘पैंडोरा पेपर्स’ की ही तरह साल 2016 में ‘पनामा पेपर्स’ जारी किए गए थे, जिनका संकलन इसी पत्रकार समूह ने किया था.
NEW: #PandoraPapers reveals the inner workings of a shadow economy that benefits the wealthy and well-connected at the expense of everyone else.
Brought to you by ICIJ and 600+ journalists, the largest collaboration in journalism history. 🧵 https://t.co/qXMuUcqPc4
— ICIJ (@ICIJorg) October 3, 2021
नवीनतम खुलासा और भी अधिक विस्तृत है. यह दुनिया के 38 विभिन्न अधिकार क्षेत्रों में व्यापार करने वाले 14 विभिन्न सेवा प्रदाताओं से लीक हुआ है और करीब तीन टेराबाइट डेटा (किसी स्मार्टफोन पर लगभग 7,50,000 तस्वीरों के बराबर) के बराबर है.
इन दस्तावेजों में 1970 के दशक के दस्तावेज शामिल है, लेकिन अधिकतर दस्तावेज 1996 से 2020 के बीच के हैं.
इसके विपरीत 2.6 टेराबाइट डेटा वाले पनामा पेपर्स को अब निष्क्रिय हो चुकी कानूनी फर्म मोसैक फोंसेका के यहां से लीक हुआ था. यह कंपनी पनामा में स्थित थी और इसीलिए इसका नाम पनामा पेपर्स रखा गया.
नवीनतम जांच में ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, सेशेल्स, हांगकांग और बेलीज सहित उन स्थानों में पंजीकृत खातों का पता लगाया गया है, जिन्हें कर चोरी का धन छुपाकर रखने के लिए सुरक्षित माना जाता है. इन्हें ‘टैक्स हैवेंस’ कहा जाता है.
कुछ गुप्त खाते अमेरिका में स्थापित न्यासों से भी जुड़े हैं, जिनमें साउथ डकोटा में 81 और फ्लोरिडा में 37 खाते शामिल थे.
दस्तावेजों की समीक्षा के शुरुआती परिणाम बीते रविवार रात 10 बजे को जारी किए गए, जो इसमें शामिल प्रमुख लोगों की एक भ्रष्ट तस्वीर चित्रित करते हैं.
उदाहरण के तौर पर, जांचकर्ताओं को पता चला कि जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय के सलाहकारों ने 1995 से 2017 तक कम से कम तीन दर्जन मुखौटा या कागजी कंपनियां बनाने में उनकी मदद की, जिनकी सहायता से उन्होंने अमेरिका और ब्रिटेन में 10 करोड़ 60 लाख डॉलर से अधिक मूल्य के 14 घर खरीदे. जॉर्डन के शाही परिवार ने इस संबंध में तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की.
यह खुलासा अब्दुल्ला के लिए एक शर्मनाक झटका है जिनकी सरकार इस साल उस समय संकट में घिर गई थी, जब उनके सौतेले भाई पूर्व क्राउन प्रिंस हमजा ने ‘सत्तारूढ़ प्रणाली’ पर भ्रष्टाचार और अयोग्यता का आरोप लगाया था.
शाह ने दावा किया था कि उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा गया है. उन्होंने हमजा को नजरबंद कर दिया था और दो पूर्व निकट सहयोगियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अब्दुल्ला के ब्रिटिश वकीलों ने कहा कि उन्हें अपने देश के कानून के तहत कर देने की आवश्यकता नहीं है और उन्होंने सार्वजनिक निधि का दुरुपयोग नहीं किया है.
उन्होंने कहा कि अधिकतर कंपनियों और सम्पत्तियों का संबंध शाह से नहीं है या वे अब अस्तित्व में नहीं है, लेकिन उन्होंने इसकी विस्तार से जानकारी देने से इनकार कर दिया.
जांच में कहा गया है कि टोनी ब्लेयर ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड में एक कंपनी खरीदकर 2017 में विक्टोरिया में 88 लाख डॉलर की इमारत के मालिक बने और अब इस इमारत में उनकी पत्नी चेरी ब्लेयर की कंपनी है.
दोनों ने बहरीन के उद्योग और पर्यटन मंत्री जायद बिन राशिद अल-जयानी के परिवार से यह कंपनी खरीदी थी. ब्लेयर और अल जयानी दोनों के परिवारों ने कहा कि शुरुआत में किसी भी पक्ष को दूसरे पक्ष के इस सौदे में शामिल होने की जानकारी नहीं थी.
रिपोर्ट में रूस से अग्रणी टीवी स्टेशन के मुख्य कार्यकारी और पुतिन के सहयोगी कोनस्तानतिन अर्नेस्त का नाम भी शामिल है.
पत्रकारों की जांच के अनुसार, इस मामले में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री खान पर कोई गलत काम करने का आरोप नहीं है, लेकिन पाकिस्तानी वित्त मंत्री शौकत फैयाज अहमद तरीन सहित खान के कई निकट सहयोगियों पर शेल कंपनियों या न्यासों के जरिये लाखों डॉलर की संपत्ति छिपाने का आरोप है.
खान ने ट्वीट किया कि उनकी सरकार दस्तावेजों में उल्लिखित सभी नागरिकों के संबंध में जांच करेगी और आवश्यकता पड़ने पर कार्रवाई करेगी.
उन्होंने कहा कि ‘पैंडोरा पेपर्स’ में देश के जिन-जिन नागरिकों के नाम आए हैं सरकार उनकी जांच करवाएगी. इसमें 700 से ज्यादा पाकिस्तानी नागरिकों के नाम हैं जिनमें कुछ मंत्री और उनके परिवार के सदस्य तथा बड़े व्यवसायी भी हैं.
लीक दस्तावेजों के मुताबिक वित्त मंत्री शौकत तारिन, जल संसाधन मंत्री मूनिस इलाही, सीनेटर फैसल वावड़ा, उद्योग और उत्पादन मंत्री खुसरो बख्तियार के परिवार सहित अन्य लोगों के विदेशी कंपनियों से जुड़ाव पाए गए.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मेरी सरकार पैंडोरा पेपर्स में दर्ज देश के सभी नागरिकों की जांच करेगी और यदि कोई गलत काम पाया जाता है, तो हम उचित कार्रवाई करेंगे. मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस गंभीर अन्याय को जलवायु परिवर्तन संकट के समान मानने का आह्वान करता हूं.’
खान ने कहा कि जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत की संपत्ति को लूटा, वैसे ही विकासशील देशों के अभिजात वर्ग कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘दुर्भाग्य से अमीर देशों की न तो इस बड़े पैमाने की लूट को रोकने में दिलचस्पी है और न ही इस लूटे गए धन को वापस लाने में.’
खान ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव के वित्तीय जवाबदेही, पारदर्शिता और अखंडता पैनल (एफएसीटीआई) ने गणना की है कि सात ट्रिलियन डॉलर की रकम को छुपाकर रखा गया है.
खान ने कहा कि उनका ‘दो दशकों से अधिक का संघर्ष इस विश्वास पर आधारित रहा है कि देश गरीब नहीं हैं, बल्कि भ्रष्टाचार गरीबी का कारण बनता है क्योंकि पैसा हमारे देश में निवेश करने से हटा दिया जाता है.’
‘पैंडोरा पेपर्स’ में पाकिस्तानी सेना के कुछ सेवानिवृत्त अधिकारियों, व्यवसायियों के नाम हैं, जिसमें एक्सैक्ट के सीईओ शोएब शेख और मीडिया कंपनी के मालिक भी शामिल हैं.
‘जियो न्यूज’ की एक खबर के अनुसार, लीक हुए दस्तावेजों से पता चला है कि प्रधानमंत्री खान के आंतरिक घेरे के ‘प्रमुख सदस्यों’ ने लाखों डॉलर की संपत्ति छिपा रखी है, जिनमें कैबिनेट मंत्री, उनके परिवार और कंपनियों, ट्रस्ट का संचालन कर रहे प्रमुख वित्तीय समर्थक भी शामिल हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)