दुनिया भर के प्रभावशाली व्यक्तियों की छिपाई गई संपत्ति का ख़ुलासा करने वाले ‘पैंडोरा पेपर्स’ में 300 से अधिक भारतीयों के नाम हैं. सीबीडीटी ने एक बयान में कहा कि सरकार ने इस रिपोर्ट का संज्ञान लिया है. संबंधित जांच एजेंसियां इन मामलों की पड़ताल करेंगी और क़ानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी
नई दिल्ली: सीबीडीटी चेयरमैन की अध्यक्षता में एक बहु-एजेंसी समूह पैंडोरा पेपर्स मामले की जांच की निगरानी करेगा. केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने अपने एक आधिकारिक बयान में बीते सोमवार को यह जानकारी दी.
दुनिया भर में प्रभावशाली व्यक्तियों की छिपाई गई संपत्ति का खुलासा करने वाले ‘पैंडोरा पेपर्स’ में कारोबारियों सहित 300 से अधिक भारतीयों के नाम शामिल हैं. हालांकि, इनमें से कई भारतीयों ने कुछ गलत करने के आरोपों को सिरे से खारिज किया है.
इस सूची में भारत से जुड़े कई लोगों जैसे कि उद्योगपति अनिल अंबानी, हीरा व्यापारी नीरव मोदी, क्रिकेटर और भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, अभिनेता जैकी श्रॉफ, बायोकॉन की कार्यकारी अध्यक्ष किरण मजूमदार शॉ के पति, दिवंगत कांग्रेस नेता सतीश शर्मा जैसे लोगों के नाम सामने आए हैं.
इस पूरे इन्वेस्टिगेशन की अगुवाई इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) नामक संस्था ने की है.
इस प्रोजेक्ट को ‘पैंडोरा पेपर्स’ का नाम दिया गया है, क्योंकि इसने प्रभावशाली एवं भ्रष्ट लोगों के छुपाकर रखे गए धन की जानकारी दी और बताया है कि इन लोगों ने किस प्रकार हजारों अरब डॉलर की अवैध संपत्ति को छुपाने के लिए विदेश में खातों का इस्तेमाल किया.
यह आईसीआईजे की वजह से संभव हो पाया है, जिसने 1.19 करोड़ से अधिक गोपनीय दस्तावेजों को प्राप्त कर तमाम पत्रकारों के साथ साझा किया, जिन्होंने अपने देश से संबंधित नामों का खुलासा किया है.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में कहा कि सरकार ने इस रिपोर्ट को संज्ञान में लिया है और संबंधित जांच एजेंसियां इन मामलों की पड़ताल करेंगी और कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी.
सीबीडीटी ने कहा, ‘सरकार ने आज निर्देश दिया है कि पैंडोरा पेपर्स नाम से मीडिया में आने वाले पैंडोरा पेपर्स लीक के मामलों की जांच की निगरानी सीबीडीटी चैयरमैन की अध्यक्षता में बहु-एजेंसी समूह करेगा, जिसमें सीबीडीटी, ईडी, आरबीआई और एफआईयू (वित्तीय खुफिया इकाई) के प्रतिनिधि शामिल होंगे.’
इन मामलों की प्रभावी जांच सुनिश्चित करने के लिए सरकार विदेशी संस्थाओं के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़कर काम करेगी.
Government takes note of the data trove in the 'Pandora Papers' leak.
Govt issues directions that investigation in cases of Pandora Paper leaks as appearing in the media under the name 'PANDORA PAPERS' will be monitored through the Multi Agency Group headed by Chairman, CBDT. pic.twitter.com/XSnRBxiady— Income Tax India (@IncomeTaxIndia) October 4, 2021
सीबीडीटी ने कहा, ‘भारत सरकार भी एक अंतर-सरकारी समूह का हिस्सा है, जिसके तहत इस तरह के लीक से जुड़े कर जोखिमों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सहयोग और अनुभव साझा किए जाते हैं.’
सरकार ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि आईसीआईजे के पहले के खुलासों जैसे कि एचएसबीसी के लॉन्ड्रिंग नेटवर्क, पनामा पेपर्स और पैराडाइज पेपर्स के चलते सरकार को ‘काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिरोपण अधिनियम, 2015’ को लागू करना पड़ा था. इसका उद्देश्य ऐसी आय पर उपयुक्त कर और जुर्माना लगाकर काले धन, या अघोषित विदेशी संपत्ति और आय पर अंकुश लगाना है.
उन्होंने कहा कि पनामा पेपर्स और पैराडाइज पेपर्स खुलासों के बाद सरकार ने लगभग 20,352 करोड़ रुपये (15.09.2021 तक) की अघोषित आय का पता लगाया है.
बता दें कि आईसीआईजे द्वारा जारी ये दस्तावेज जर्सी, ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स, साइप्रस जैसे कई ऑफशोर टैक्स हैवेंस में स्थित 14 सेवा प्रदाताओं (कंपनियां) से जुड़े हुए हैं, जिसमें करीब 29,000 ऑफशोर कंपनियां और ट्रस्ट स्थापित करने के विवरण हैं. ये सर्विस प्रोवाइडर्स इस तरीके की कंपनियों का गठन करने में मदद करते हैं, ताकि धनकुबेर पैसे का घालमेल कर टैक्स बचा सकें.
टैक्स हैवेन उन देशों या आईलैंड्स को कहा जाता है जहां अन्य देशों के मुकाबले बहुत कम टैक्स या कर लगता है. कई टैक्स हैवेन में बिल्कुल भी कर नहीं लगता है. ये देश उन लोगों के लिए स्वर्ग (हैवेन) के समान हैं, जो टैक्स चोरी करके पैसे इन देशों में जमा करते हैं.
टैक्स हैवेन विदेशी नागरिकों, निवेशकों और उद्योगपतियों को यह सुविधा प्रदान करते हैं कि वे उनके यहां कागजी कंपनियों का गठन कर पैसा छिपा सकें, ताकि उनके मूल देश की टैक्स अथॉरिटीज को उनकी वास्तविक संपत्ति का पता न चले, नतीजन वे कर देने से छूट जाएंगे.
टैक्स हैवेन के चलते वैश्विक स्तर पर कर चोरी को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे वैश्विक स्तर पर काले धन की समस्या में लगातार वृद्धि हो रही है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)