गुजरात: पिछले तीन साल में एनपीए में ढाई गुना से ज़्यादा की बढ़ोतरी

राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात में एनपीए 35 हज़ार करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: पीटीआई)

राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात में एनपीए 35 हज़ार करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है.

notes-PTI
(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

गुजरात में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों यानी एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) या बैड लोन करीब ढाई गुना बढ़ गया है. राज्य के सभी बैंकों मेें जून, 2017 के अंत में कुल एनपीए 35,000 करोड़ के आंकड़ें को पार कर गया जो जून, 2014 के मुकाबले करीब ढाई गुना है.

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गुजरात के स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और कृषि क्षेत्रों में बैड लोन के बढ़ने से बैंकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. गुजरात के बैंकों में कुल बैड लोन 35,342 करोड़ रुपये हो गया है. यह बैंकों द्वारा दिए गए कुल कर्ज का 7.4 प्रतिशत है.

अगर हम इसकी तुलना जून, 2014 से करें तो उस समय कुल बैड लोन 14,046 करोड़ रुपये था. यह उस समय बैंकों द्वारा दिए गए कुल कर्ज का 4.03 प्रतिशत था.

इस साल मार्च के अंत में गुजरात में कुल बैड लोन 30,475 करोेड़ था. जबकि अगले तीन महीनों में इसमें 16 प्रतिशत का इजाफ़ा हुआ और जून, 2017 तक यह बढ़कर 35 करोड़ के पार हो गया.

बैंकरों के मुताबिक गुजरात में एनपीए में इस तीव्र बढ़ोतरी का कारण टेक्सटाइल्स, स्टील, सीमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर का खराब परफॉरमेंस हैं.

गौरतलब है कि जब कोई देनदार अपने बैंक को ईएमआई देने में नाकाम रहता है, तब उसका लोन अकाउंट नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) कहलाता है. इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि जब किसी लोन से बैंक को रिटर्न मिलना बंद हो जाता है तब वह उसके लिए एनपीए या बैड लोन हो जाता है.