लखीमपुर हिंसा: किसान मोर्चा ने यूपी सरकार की एसआईटी को ख़ारिज किया, ‘रेल रोको’ आंदोलन की चेतावनी

केंद्र सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में दस महीने से आंदोलन कर रहे किसानों के संगठन ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जांच और जांच आयोग को ख़ारिज करता है. मोर्चा ने मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने और इसकी निगरानी सीधे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा किए जाने की मांग उठाई.

लखीमपुर खीरी के तिकोनिया इलाके में हिंसा में नष्ट हुए एक वाहन का पुलिस ने निरीक्षण करते हुए. (फोटो: पीटीआई)

केंद्र सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में दस महीने से आंदोलन कर रहे किसानों के संगठन ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जांच और जांच आयोग को ख़ारिज करता है. मोर्चा ने मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने और इसकी निगरानी सीधे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा किए जाने की मांग उठाई.

लखीमपुर खीरी के तिकोनिया इलाके में रविवार को हुई हिंसा में नष्ट हुए एक वाहन का पुलिस ने निरीक्षण करते हुए. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शुक्रवार को लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) और जांच आयोग को खारिज करते हुए कहा कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे 18 अक्टूबर को राष्ट्रव्यापी ‘रेल रोको’ प्रदर्शन का आह्वान करेंगे.

किसान मोर्चा तीन अक्टूबर को हुई लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ को हटाए जाने और उनके बेटे आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी की मांग कर रहा है.

मोर्चा ने एक बयान में कहा कि अगर 11 अक्टूबर तक उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे 18 अक्टूबर को देशव्यापी ‘रेल रोको’ प्रदर्शन का आह्वान करेंगे.

बयान में कहा गया कि मोर्चा लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) और जांच आयोग को खारिज करता है.

मोर्चे ने इस मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने और इसकी निगरानी सीधे उच्चततम न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा किए जाने की मांग उठाई.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बयान में कहा गया है कि संयुक्त किसान मोर्चा सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी स्वागत करता है, जिसमें उत्तर प्रदेश पुलिस को मामले में सभी सबूतों को बरकरार रखने के लिए कहा गया था.

यूपी पुलिस ने आशीष मिश्रा को एक नया नोटिस जारी कर शनिवार को सुबह 11 बजे तक पेश होने के लिए कहा है, क्योंकि शुक्रवार को उनका समन छूट गया था. आरोपी आशीष मिश्रा शुक्रवार को लखीमपुर खीरी में पुलिस के सामने पेश नहींं हुए थे.

इस बीच शनिवार को इस मामले में आरोपी आशीष मिश्रा पुलिस के समक्ष पेश हुए हैं.

लखनऊ हवाई अड्डे पर पत्रकारों का सामना करते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने कहा था कि उनका बेटा पुलिस के सामने पेश नहीं हो सका, क्योंकि वह ठीक नहीं था, लेकिन शनिवार को अपना बयान दर्ज करेगा.

गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया क्षेत्र में किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कथित तौर पर कुचल दिया, जिससे उनकी मौत हो गई थी.

इस दौरान भड़की हिंसा में भाजपा के दो कार्यकर्ताओं, मंत्री अजय मिश्रा का ड्राइवर और एक निजी टीवी चैनल के लिए काम करने वाले पत्रकार रमन कश्यप की भी मौत हो गई थी.

मृतक किसानों की पहचान- गुरविंदर सिंह (22 वर्ष), दलजीत सिंह (35 वर्ष), नक्षत्र सिंह और लवप्रीत सिंह (दोनों की उम्र का उल्लेख नहींं) के रूप में की गई है.

किसानों का आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा ने किसानों को अपनी गाड़ी से कुचला. हालांकि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने इस बात से से इनकार किया है.

लखीमपुर खीरी के सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के विरोध में बीते तीन अक्टूबर को वहां के आंदोलित किसानों ने उनके (टेनी) पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित एक समारोह में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का विरोध किया था.

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में करीब दस महीने से आंदोलन कर रहे किसानों की नाराजगी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के उस बयान के बाद और बढ़ गई थी, जिसमें उन्होंने किसानों को ‘दो मिनट में सुधार देने की चेतावनी’ और ‘लखीमपुर खीरी छोड़ने’ की चेतावनी दी थी.

तिकोनिया थानाक्षेत्र में हुई इस घटना में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहींं हुई है.

इस मामले की जांच के लिए प्रदेश सरकार ने 7 अक्टूबर को एक सदस्यीय न्यायिक आयोग घोषित किया था और आयोग की कमान उच्च न्यायालय इलाहाबाद के (सेवानिवृत्त) न्यायाधीश प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को सौंपी गई थी.

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट भी लखीमपुर हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए कदमों से संतुष्ट नहीं है. शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा था कि वह लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए कदमों से संतुष्ट नहींं है. साथ ही उससे सवाल किया था कि जिन आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, उन्हें गिरफ्तार क्यों नहींं किया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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