लखीमपुर हिंसा मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी का नेतृत्व कर रहे डीजीपी उपेंद्र अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पुलिस के सवालों का उचित जवाब नहीं दे रहे थे, इसलिए उन्हें गिरफ़्तार किया गया है. आशीष मिश्रा पर आरोप लगा कि वह उन वाहनों में से एक में सवार थे, जिसने बीते तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहे चार किसानों को कुचल दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी.
लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने बीते तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा को शनिवार को करीब 12 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया और आधी रात के बाद उन्हें अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.
मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी का नेतृत्व कर रहे पुलिस उप महानिरीक्षक (मुख्यालय) उपेंद्र अग्रवाल ने शनिवार रात लगभग 11 बजे आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी की जानकारी दी.
अग्रवाल ने बताया, ‘मिश्रा ने पुलिस के सवालों का उचित जवाब नहीं दिया और जांच में सहयोग नहीं किया. वह सही बातें नहीं बताना चाह रहे हैं, इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया.’
आशीष मिश्रा की शनिवार देर रात चिकित्सीय जांच कराई गई और आधी रात के बाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) की अदालत में पेश किया गया.
वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी (एसपीओ) एसपी यादव ने बताया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आशीष को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में लखीमपुर खीरी जिला जेल भेज दिया है. यादव ने बताया कि आशीष की पुलिस रिमांड के लिए अर्जी दी गई थी और अदालत ने इस अर्जी पर सुनवाई के लिए 11 अक्टूबर की तारीख तय की है.
पुलिस लाइन के आसपास के इलाके में भारी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया और अवरोधक लगाए गए.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पुलिस ने इस मामले में लव कुश और आशीष पांडे नामक दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था.
इंडिया टुडे के मुताबिक, आशीष मिश्रा ने खुद को निर्दोष बताने के लिए वीडियो और 10 लोगों का हलफनामा पेश किया है और ये दावा किया है कि वे उस गाड़ी में नहीं बैठे थे, जिसने किसानों को कुचला है. उन्होंने कहा कि वे घटना के समय ‘दंगल’ में थे.
हालांकि एनडीटीवी के मुताबिक, पुलिस ने कहा कि आशीष अपनी दलीलों के समर्थन में साक्ष्य नहीं पेश कर पाए हैं. उनके फोन की लोकेशन घटनास्थल के आसपास की ही दिखाई देती है. इसके अलावा मिश्रा ने पुलिस की पूछताछ में सहयोग नहीं किया और टाल-मटोल कर जवाब दिया.
एसआईटी द्वारा आशीष से पूछताछ के दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और उनके पिता अजय मिश्रा लखीमपुर खीरी में अपने सांसद कार्यालय में वकीलों के साथ मौजूद थे और बाद में वह अपने समर्थकों को शांत कराने के लिए बाहर आए.
बड़ी संख्या में केंद्रीय मंत्री के समर्थक उनके आवास के बाहर एकत्रित हो गए थे और उनके तथा उनके बेटे के समर्थन में नारे लगा रहे थे.
मंत्री ने समर्थकों के समक्ष दावा किया कि आशीष निर्दोष है और वह बेदाग साबित होगा.
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने बीते आठ अक्टूबर को मामले में राज्य सरकार की कार्रवाई पर गहरी नाराजगी प्रकट की थी.
उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि वह लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए कदमों से संतुष्ट नहींं है. साथ ही न्यायालय ने उससे सवाल किया था कि जिन आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, उन्हें गिरफ्तार क्यों नहींं किया गया है.
तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी की हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत के मामले में आशीष और अन्य लोगों के खिलाफ हत्या समेत अन्य संबंधित धाराओं में तिकुनिया थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है.
घटना के बाद आशीष मिश्रा पर आरोप लगा कि वह उन वाहनों में से एक में सवार थे, जिसने बीते तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे पर प्रदर्शन कर रहे चार किसानों को कुचल दिया था, जिसके बाद प्राथमिकी में उसका नाम जोड़ा गया.
आशीष शनिवार को दिन में लगभग 11 बजे एसआईटी के समक्ष पेश हुए. उन्हें शुक्रवार को पुलिस ने दूसरा नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए शनिवार दिन में 11 बजे तक पेश होने को कहा था.
यूपी पुलिस ने आशीष मिश्रा को एक नया नोटिस जारी कर शनिवार को सुबह 11 बजे तक पेश होने के लिए कहा है, क्योंकि शुक्रवार को उनका समन छूट गया था. आरोपी आशीष मिश्रा शुक्रवार को लखीमपुर खीरी में पुलिस के सामने पेश नहींं हुए थे.
इससे पहले आशीष मिश्रा को बीते आठ अक्टूबर को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह पूछताछ के लिए लखीमपुर खीरी में पुलिस के सामने पेश नहीं हुए.
लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया थाने में बहराइच जिले के निवासी जगजीत सिंह की ओर से बीते चार अक्टूबर को दर्ज कराई गई प्राथमिकी में मंत्री के पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू पर 15-20 अज्ञात लोगों के साथ किसानों के ऊपर जीप चढ़ाने और गोली चलाने का आरोप लगाया गया है.
जगजीत सिंह की शिकायत पर तिकुनिया थाने में आशीष मिश्रा तथा 15-20 अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147 (उपद्रव), 148 (घातक अस्त्र का प्रयोग), 149 (भीड़ की हिंसा), 279 (सार्वजनिक स्थल से वाहन से मानव जीवन के लिए संकट पैदा करना), 338 (दूसरों के जीवन के लिए संकट पैदा करना), 304 ए (किसी की असावधानी से किसी की मौत होना), 302 (हत्या) और 120 बी (साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया क्षेत्र में किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कथित तौर पर कुचल दिया, जिससे उनकी मौत हो गई थी.
इस दौरान भड़की हिंसा में भाजपा के दो कार्यकर्ताओं, मंत्री अजय मिश्रा का ड्राइवर और एक निजी टीवी चैनल के लिए काम करने वाले पत्रकार रमन कश्यप की भी मौत हो गई थी.
मृतक किसानों की पहचान- गुरविंदर सिंह (22 वर्ष), दलजीत सिंह (35 वर्ष), नक्षत्र सिंह और लवप्रीत सिंह (दोनों की उम्र का उल्लेख नहींं) के रूप में की गई है.
किसानों का आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा ने किसानों को अपनी गाड़ी से कुचला. हालांकि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने इस बात से से इनकार किया है.
लखीमपुर खीरी के सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के विरोध में बीते तीन अक्टूबर को वहां के आंदोलित किसानों ने उनके (टेनी) पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित एक समारोह में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का विरोध किया था.
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में करीब दस महीने से आंदोलन कर रहे किसानों की नाराजगी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के उस बयान के बाद और बढ़ गई थी, जिसमें उन्होंने किसानों को ‘दो मिनट में सुधार देने की चेतावनी’ और ‘लखीमपुर खीरी छोड़ने’ की चेतावनी दी थी.
विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया
वहीं, कांग्रेस की पंजाब इकाई के वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने मंत्री के बेटे के पूछताछ के लिए पेश होने के बाद अपना ‘मौन धरना’ शनिवार को समाप्त कर दिया.
केंद्रीय मंत्रिपरिषद से अजय मिश्रा को बर्खास्त करने और उनके बेटे की गिरफ्तारी की मांग को लेकर विपक्ष और किसान नेताओं ने शनिवार को भी सत्तारूढ़ दल भाजपा पर दबाव बनाए रखा.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव समेत किसान नेताओं ने इस मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा.
इस मामले में सिद्धू ने निघासन तहसील में स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप के घर के बाहर शुक्रवार शाम छह बजकर 15 मिनट से अपना ‘मौन धरना’ शुरू किया था. कश्यप की तीन अक्टूबर की घटना में मौत हो गई थी.
सिद्धू ने बाद में पत्रकारों से कहा, ‘यह सत्य की जीत है. कोई व्यक्ति राजा हो सकता है, लेकिन न्याय से बड़ा कोई नहीं है. न्याय है तो शासन है और यदि न्याय नहीं है तो कुशासन है. यह किसानों के परिवारों, लवप्रीत सिंह के परिवार और रमन कश्यप के परिवार की जीत है.’
मारे गए चार किसानों में लखीमपुर के पलिया गांव के लवप्रीत सिंह भी शामिल हैं.
प्रियंका गांधी ने इस मामले में शनिवार को ट्वीट किया, ‘पीड़ित किसान परिवारों की एक ही मांग है, उन्हें न्याय मिले.’ कांग्रेस महासचिव ने कहा कि मंत्री की बर्खास्तगी और हत्यारोपियों की गिरफ्तारी के बिना न्याय मिलना असंभव है. सरकार आरोपी को हाजिर होने का निमंत्रण भेजकर क्या संदेश देना चाहती है. सरकार दोषियों को संरक्षण नहीं, सजा दे.
अखिलेश यादव ने शनिवार को आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश की भाजपा नीत सरकार लखीमपुर हिंसा के मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के आरोपी बेटे को समन भेजने के बजाय ‘फूलों का गुलदस्ता’ दे रही है.
यादव ने लखनऊ में पत्रकारों से कहा, ‘जिस तरह से पहले किसानों को कुचला गया, अब कानून को कुचलने की तैयारी चल रही है. आपने देखा होगा कि कैसे एक वाहन ने किसानों को कुचल दिया, जो अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे थे. दोषी व्यक्ति अभी तक पकड़े नहीं गए हैं. उन्हें समन देने के बजाय, फूलों का गुलदस्ता दिया जा रहा है. समन केवल नाम में है, वास्तव में ‘सम्मान’ दिया जा रहा है.’
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने आरोप लगाया कि पूर्व नियोजित साजिश के तहत हिंसा की गई.
किसान संघों ने कहा कि अगर सरकार 11 अक्टूबर तक उनकी मांगों को नहीं मानती है तो वे मारे गए किसानों की अस्थियों को लेकर लखीमपुर खीरी से ‘शहीद किसान यात्रा’ निकालेंगे. एसकेएम ने 18 अक्टूबर को सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक देश भर में ‘रेल रोको’ आंदोलन और 26 अक्टूबर को लखनऊ में ‘महापंचायत’ करने का आह्वान किया.
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव ने दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अजय मिश्रा को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त किया जाना चाहिए और उन्हें हत्या और साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया जाना चाहिए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)