कोयला की कमी के चलते बिजली संकट उत्पन्न होने की संभावनाओं को ख़ारिज करते हुए कोयला मंत्रालय ने कहा कि कोल इंडिया के मुख्यालय पर 4.3 करोड़ टन कोयले का भंडार है, जो 24 दिन की कोयले की मांग के बराबर है. कांग्रेस ने देश में कोयले की कमी के लिए सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया और आशंका जताई कि पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद अब बिजली की दरें बढ़ाई जा सकती हैं.
नई दिल्ली: विभिन्न राज्यों द्वारा पिछले कुछ दिनों में अपने यहां कोयला संकट के कारण बिजली की आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका जताने के बाद कोयला मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि बिजली उत्पादक संयंत्रों की जरूरत को पूरा करने के लिए देश में कोयले का पर्याप्त भंडार है. मंत्रालय ने कोयले की कमी की वजह से बिजली आपूर्ति में बाधा की आशंकाओं को पूरी तरह निराधार बताया है.
इससे पहले ऐसी खबरें आई थीं कि कोयले की कमी की वजह से देश में बिजली संकट पैदा हो सकता है. इसके बाद मंत्रालय का यह बयान आया है.
बीते रविवार को मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘कोयला मंत्रालय आश्वस्त करता है कि बिजली संयंत्रों की जरूरत को पूरा करने के लिए देश में कोयले का पर्याप्त भंडार है. इसकी वजह से बिजली संकट की आशंका पूरी तरह गलत है.’
कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ट्वीट किया, ‘देश में कोयले के उत्पादन और आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा की. मैं सभी को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि बिजली आपूर्ति में बाधा की कोई आशंका नहीं है. कोल इंडिया के मुख्यालय पर 4.3 करोड़ टन कोयले का भंडार है, जो 24 दिन की कोयले की मांग के बराबर है.’
Reviewed coal production & supply situation in the country.
Assuring everyone that there is absolutely no threat of disruption in power supply. There is sufficient coal stock of 43 million tonnes with @CoalIndiaHQ equivalent to 24 days coal demand. pic.twitter.com/frskcJY3Um
— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) October 10, 2021
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘हमें गर्व है कि देश का कोयला आयात कम करने के लिए घरेलू कोयले की आपूर्ति बढ़ी है. आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में घरेलू कोयले पर आधारित बिजली उत्पादन में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और आयातित कोयले की सप्लाई 30 प्रतिशत कम हुई है.’
हमें गर्व है कि देश का कोयला आयात कम करने के लिए घरेलू कोयले की आपूर्ति बढ़ी है। #AatmanirbharBharat दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में घरेलू कोयले पर आधारित बिजली उत्पादन में 24% की वृद्धि हुई है और आयातित कोयले की सप्लाई 30% कम हुई है।
— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) October 10, 2021
कोयला मंत्रालय ने कहा कि बिजली संयंत्रों के पास करीब 72 लाख टन का कोयला भंडार है जो चार दिन के लिए पर्याप्त है. कोल इंडिया के पास 400 लाख टन का भंडार है, जिसकी आपूर्ति बिजली संयंत्रों को की जा रही है.
देश में कोयला आधारित बिजली उत्पादन इस साल सितंबर तक 24 प्रतिशत बढ़ा है. बिजली संयंत्रों को आपूर्ति बेहतर रहने की वजह से उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है.
मंत्रालय ने कहा कि बिजली संयंत्रों को प्रतिदिन औसतन 18.5 लाख टन कोयले की जरूरत होती है. दैनिक कोयला आपूर्ति करीब 17.5 लाख टन की है.
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में Coal PSU @CoalIndiaHQ ने अब तक का सबसे अधिक कोयला उत्पादन एवं आपूर्ति की है। इस वर्ष 263 एमटी कोयला उत्पादन के साथ CIL ने पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 6.3% की वृद्धि दर्ज की है। साथ ही, 323 एमटी के साथ गत वर्ष से 9% अधिक कोल ऑफ-टेक किया है।
— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) October 10, 2021
कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में कोल इंडिया ने अब तक का सबसे अधिक कोयला उत्पादन एवं आपूर्ति की है. इस वर्ष 263 मिट्रिक टन कोयला उत्पादन के साथ कोल इंडिया ने पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. साथ ही 323 मिट्रिक टन के साथ गत वर्ष से 9 प्रतिशत अधिक कोल ऑफ-टेक किया है.’
बिजली संकट उत्पन्न होने की एक वजह यह भी है कि ऐसे बिजली संयंत्र जो बिजली पैदा करने के लिए आयातित कोयले का इस्तेमाल करते हैं, उन्होंने या तो उत्पादन कम कर दिया है या पूरी तरह से बंद कर दिया है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा कीमतों में उछाल आने से वे पुरानी दर पर राज्यों की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं.
टाटा पावर, जिसने गुजरात के मुंद्रा में अपने आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्र से गुजरात को 1,850 मेगावाट बिजली, पंजाब को 475 मेगावाट, राजस्थान को 380 मेगावाट, महाराष्ट्र को 760 मेगावाट और हरियाणा को 380 मेगावाट बिजली की आपूर्ति के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया है, ने उत्पादन बंद कर दिया है.
अडानी पावर की मुंद्रा इकाई को भी इसी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. देश भर में बिजली संयंत्रों ने स्टॉक कम होने के बाद उत्पादन को नियंत्रित किया है.
ग्रिड ऑपरेटर के आंकड़ों के अनुसार, देश के 135 कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों में से आधे से अधिक में दो दिनों से कम का ईंधन भंडार है. जबकि इनमें 15 से 30 दिन का स्टॉक होना चाहिए था.
विभिन्न राज्यों ने संकट होने की बात कही
पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) ने भी राज्य में कई जगहों पर बिजली में कटौती की है. पीएसपीसीएल ने कहा कि तलवंडी साबो बिजली संयंत्र तथा रोपड़ संयंत्र में दो-दो इकाइयों और लहर मोहब्बत में एक इकाई, 475 मेगावाट संयंत्र को बंद कर दिया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पीएसपीसीएल ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से कहा है कि पंजाब में राज्य द्वारा संचालित दो थर्मल पावर प्लांट और तीन निजी क्षेत्र के पावर प्लांट में एक से दो दिनों का कोयला बचा है.
पंजाब में ताप बिजली संयंत्रों में कोयले की भारी कमी के कारण बिजली कंपनी पीएसपीसीएल को उत्पादन में कटौती करनी पड़ी है और राज्य में कई स्थानों पर बारी-बारी से बिजली आपूर्ति में कटौती की जा रही है. कोयले की अपर्याप्त आपूर्ति को लेकर राज्य सरकार ने केंद्र की आलोचना की है.
मुख्यमंत्री चन्नी ने बीते नौ अक्टूबर को कोयले की कथित अपर्याप्त आपूर्ति को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आशंका जताई थी कि आने वाले कुछ दिनों में कोयले की आपूर्ति तेजी से कम होने की वजह से राज्य के ताप बिजली संयंत्रों को बंद करना पड़ा सकता है.
उन्होंने कहा कि पंजाब को कोल इंडिया लिमिटेड की विभिन्न सहायक इकाइयों से करार होने के बावजूद पर्याप्त कोयले की आपूर्ति नहीं हो रही है. चन्नी ने केंद्र सरकार से तत्काल पंजाब को कोयले की आपूर्ति करने की मांग की, ताकि बिजली संकट को गंभीर होने से रोका जा सके.
वर्तमान में राज्य में बिजली की मांग लगभग 9,000 मेगावॉट है.
डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में अब आठ बिजली संयंत्रों ने काम करना बंद कर दिया है, जबकि छह अन्य पहले से ही अन्य कारणों से काम नहीं कर रहे थे. कुछ ग्रामीण इलाकों में 4-5 घंटे बिजली कटौती की घोषणा की गई है.
बीते 10 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य में कोयले की आपूर्ति सामान्य कराने और प्रदेश को अतिरिक्त बिजली उपलब्ध कराने का आग्रह किया है.
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने रविवार को बताया कि उत्तर प्रदेश में सरकारी स्वामित्व वाली विद्युत इकाइयों में कोयले की जबर्दस्त किल्लत के कारण बिजली उत्पादन बहुत कम हो गया है, जिसके कारण गांवों तथा कस्बों में बिजली की अत्यधिक कटौती की जा रही है.
ऊर्जा विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इन इलाकों में साढ़े तीन से सवा छह घंटे तक की बिजली कटौती की जा रही है.
राजस्थान रोजाना एक घंटे बिजली कटौती का सहारा ले रहा है. कोयला संकट के कारण तमिलनाडु, झारखंड, बिहार और आंध्र प्रदेश में भी बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई है.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीते सात अक्टूबर को राज्य में बिजली की पर्याप्त उपलब्धता की तैयारियों की समीक्षा की थी. उन्होंने केंद्रीय अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर पर्याप्त मात्रा में कोयला रैक की आपूर्ति सुनिश्चित करने का अधिकारियों को निर्देश दिया था, ताकि ताप विद्युत संयंत्रों का सुचारू संचालन हो सके.
राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के सीएमडी आरके शर्मा ने बताया था कि बारिश के कारण कोयला खदानों में पानी भरना कोयला उत्पादन कम होने की मुख्य वजह है.
ऊर्जा विभाग के एक अधिकारी ने बताया था कि मौसम में हुए परिवर्तन से गर्मी एवं उमस बढ़ी है. ऐसे में बिजली की मांग काफी बढ़ गई है.
उन्होंने बताया था कि आज की स्थिति में प्रतिदिन औसत मांग 12,500 मेगावाट की है, जबकि औसत उपलब्धता 8,500 मेगावाट ही है. प्रदेश में चार अक्टूबर के बाद से बिजली का उपभोग बढ़ा है, लेकिन ताप विद्युत संयंत्रों के पूरी क्षमता से काम नहीं करने के कारण उपलब्धता घट रही है.
बीते आठ अक्टूबर को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने कोयला भंडार की कमी के कारण राज्य के सामने आ रहे गंभीर ऊर्जा संकट से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप का आग्रह किया था.
बीते नौ अक्टूबर को कोयले की कमी का संकट गहराने के बीच दिल्ली में सेवाएं दे रही टाटा पावर की इकाई ने अपने ग्राहकों को फोन पर संदेश भेजकर इसकी जानकारी दी. उनसे नौ अक्टूबर को दोपहर बाद से बिजली का विवेकपूर्ण उपयोग करने का आग्रह किया था.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीते नौ अक्टूबर को कहा था कि कोयले की कमी के कारण राष्ट्रीय राजधानी के लोगों को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है.
इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में बिजली की आपूर्ति करने वाले उत्पादन संयंत्रों में कोयला और गैस पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था.
दिल्ली के बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा था कि बवाना संयंत्र में गैस की आपूर्ति बहाल होने के बाद दो दिन के लिए संकट टल गया है.
बीते नौ अक्टूबर को ही उद्योग संगठन उत्कल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री लिमिटेड ने ओडिशा सरकार से राज्य स्थित उद्योगों को कोयले की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने का आग्रह किया था. संगठन का कहना था कि इन उद्योंगों को अपनी इकाइयों चलाने के लिए कोयले के भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है.
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर सवाल उठाए
इससे पहले कांग्रेस ने देश में कोयले की कमी के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया और आशंका जताई कि पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद अब बिजली की दरें बढ़ाई जा सकती हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कोयले की कमी की जांच की मांग की है.
कई राज्यों ने कोयले की भारी कमी के मद्देनजर बिजली संकट उत्पन्न होने की चेतावनी दी है, लेकिन कोयला मंत्रालय ने कहा है कि बिजली उत्पादन संयंत्रों की मांग को पूरा करने के लिए देश में पर्याप्त सूखा ईंधन उपलब्ध है.
मंत्रालय ने बिजली आपूर्ति में व्यवधान के संबंध में किसी भी भय को ‘पूरी तरह से गलत’ करार देते हुए खारिज कर दिया है.
जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘अचानक हम बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति में संकट के बारे में सुन रहे हैं. क्या एक विशेष निजी कंपनी इस संकट से लाभ उठाने के प्रयास में है? लेकिन कौन जांच करेगा.’
Suddenly we are hearing of a crisis in coal supply to power plants. Is one particular private company making a fortune out of this crisis? But who will investigate?
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) October 10, 2021
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा है कि ऐसा लगता है कि एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए कोल इंडिया का गला घोंटने की सुनियोजित साजिश चल रही है.
Looks like a planned conspiracy to strangulate Coal India to benefit a single private company https://t.co/aIfAsFi4Wt
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) October 10, 2021
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि यह उनके ‘दोस्तों’ के फायदे के लिए ‘मोदी निर्मित बिजली संकट’ है.
सुरजेवाला ने एक ट्वीट में कहा, ‘प्यारे देशवासियों, तैयार हो जाएं. पेट्रोल के बाद जेब पर गिरेगी, बिजली की कीमत. कोयले की आपूर्ति में भारी किल्लत कर दी है. साथ ही, बिजली नीति संशोधित कर दी. संशोधन के बाद साहेब और ‘उनके मित्र’ मनमर्जी रुपये/यूनिट बिजली बेचेंगे. ज़ोरदार विनाश उफ्फ, विकास!’
प्यारे देशवासियों,
तैयार हो जाएँ।
पेट्रोल के बाद जेब पर गिरेगी, बिजली की क़ीमत।
कोयले की आपूर्ति में भारी क़िल्लत कर दी है। साथ ही, बिजली नीति संशोधित कर दी।
संशोधन के बाद साहेब और “उनके मित्र” मनमर्ज़ी रुपये/ यूनिट बिजली बेचेंगे।
ज़ोरदार विनाश उफ्फ, विकास!#PowerCrisis
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) October 10, 2021
उन्होंने कहा, ‘कोयला खत्म! कोयले की दलाली में हाथ काला करने वाले अंधेरी रात का इंतजाम कर रहे हैं. पानी, पेट्रोल, डीज़ल की तरह बिजली खरीदना पड़ेगा. जितने घंटे बिजली चाहिए पैसा दो, बिजली लो. साहेब ने दोस्तों के लिए ये भी मुमकिन कर दिखाया.’
कोयला ख़त्म!
कोयले की दलाली में हाथ काला करने वाले अंधेरी रात का इंतज़ाम कर रहे हैं।
पानी, पेट्रोल, डीज़ल की तरह बिजली ख़रीदना पड़ेगा। जितने घंटे बिजली चाहिए पैसा दो, बिजली लो….
साहेब ने दोस्तों के लिए ये भी मुमकिन कर दिखाया…#PowerCrisis #ModiMadePowerCrisis
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) October 10, 2021
सिसोदिया ने केंद्र पर ‘हर समस्या के प्रति आंखें मूंद लेने’ का आरोप लगाया
इसी तरह दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि केंद्र यह स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि देश में ‘कोयला संकट’ है और स्थिति को कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान रहे ‘ऑक्सीजन संकट’ जैसा बताया.
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता ने कहा कि ‘हर समस्या के प्रति आंखें मूंद लेने’ की केंद्र की नीति देश के लिए घातक हो सकती है.
उनका बयान कोयला मंत्रालय के यह कहने के बाद आया है कि विद्युत उत्पादन संयंत्रों की मांग को पूरा करने के लिए देश में पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध है.
सिसोदिया ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने आज (रविवार) कहा कि कोयला संकट नहीं है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) को एक पत्र नहीं लिखना चाहिए था. यह दुखद है कि केंद्रीय कैबिनेट मंत्री ने इस तरह का गैर जिम्मेदाराना रुख अपनाया है.’
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री जी! कृपया इसे भी देख लीजिए. उत्तर प्रदेश में भी कोयला की कमी के कारण बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है.
समाधान समस्या से मुँह फेर लेने की राजनीति से नहीं बल्कि उसे स्वीकार कर सहयोग की राजनीति से निकलेगा https://t.co/UMa2gcFdJE
— Manish Sisodia (@msisodia) October 10, 2021
आप नेता ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि केंद्र सरकार संकट से ‘दूर भागने’ के लिए बहाने बना रही है.
सिसोदिया ने मौजूदा स्थिति की तुलना अप्रैल-मई से की. उन्होंने कहा कि उस वक्त राज्यों और चिकित्सकों ने कहा था कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी है, लेकिन केंद्र ने स्वीकार नहीं किया था कि ऐसा कोई संकट है.
उप मुख्यमंत्री ने कहा, ‘उन्होंने (केंद्र ने) उस वक्त भी यही चीज किया था, जब देश ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा था. उन्होंने यह स्वीकार नहीं किया था कि ऐसा कोई संकट है. इसके बजाय वे राज्यों को गलत साबित करने की कोशिश करते हैं.’
सिसोदिया ने कहा कि हर समस्या के प्रति आंखें मूंद लेने की केंद्र की आदत देश के लिए घातक साबित हो सकती है.
उन्होंने कहा, ‘कोयला संकट, बिजली संकट पैदा कर सकता है, जो देश की प्रणाली को पूरी तरह से ठप कर सकता है. यह उद्योगों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है. मैं हाथ जोड़ कर केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि कृपया संकट को स्वीकार कीजिए. केंद्र को सहयोग का व्यवहार प्रदर्शित करना चाहिए और कोयला संकट का हल करना चाहिए.’
बाद में एक बयान में सिसोदिया ने दावा कि दिल्ली, आंध्र प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात की सरकारें आसन्न संकट के बारे में केंद्र को चेतावनी दे रही हैं.
सिसोदिया की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दिल्ली प्रदेश भाजपा प्रमुख आदेश गुप्ता ने आरोप लगाया कि आप सरकार निकट भविष्य में दिल्ली में बिजली कटौती किये जाने की संभावना पर नागरिकों को गुमराह कर रही है.
दिल्ली भाजपा प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि आप सरकार दिल्ली में बिजली कटौती का भय फैला रही है, लेकिन शहर में पर्याप्त बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उसने क्या वैकल्पिक व्यवस्था की है, यह नहीं बता रही है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)