महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले के भिवंडी में एक सरकारी अस्पताल पर 28 वर्षीय आदिवासी महिला को करीब 11 घंटे अस्पताल की सीढ़ियों पर बिठाए रखने का आरोप लगा है. अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि जब उन्हें इस बारे में सूचित किया गया, तो उन्होंने तुरंत उन्हें भर्ती करने की व्यवस्था की.
ठाणे: महाराष्ट्र के ठाणे जिले के भिवंडी में एक सरकारी अस्पताल पर 28 वर्षीय आदिवासी महिला को करीब 11 घंटे अस्पताल की सीढ़ियों पर बिठाए रखने का आरोप लगाया गया है.
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने रविवार को आरोप लगाया कि अस्पताल ने महिला के रिश्तेदारों से पहले उसका मेडिकल परीक्षण कराने को कहा. कार्यकर्ता प्रमोद पवार ने कहा कि घटना शनिवार को इंदिरा गांधी मेमोरियल (आईजीएम) अस्पताल में हुई.
हालांकि, अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि गर्भवती महिला को अस्पताल के बाहर घंटों बिठाया गया और जब उन्हें इस बारे में सूचित किया गया, तो उन्होंने तुरंत उन्हें भर्ती करने की व्यवस्था की.
पवार ने कहा, ‘भिवंडी के पास एक गांव की रहने वाली रोहिणी मारुति मुक्ने नाम की महिला को प्रसव पीड़ा हुई और उन्हें कल (शनिवार) दोपहर करीब एक बजे अस्पताल लाया गया. हालांकि, अस्पताल के कर्मचारियों ने भर्ती करने से इनकार कर दिया और आधी रात तक उन्हें सीढ़ियों पर ही इंतजार कराया. स्टाफ ने उनके रिश्तेदारों से पहले उनका खून और अन्य परीक्षण कराने तथा खून की आपूर्ति करने की व्यवस्था करने के लिए कहा.’
इसकी जानकारी जब कार्यकर्ता व उनके संगठन के अन्य सदस्यों को हुई तो उन्होंने अस्पताल प्रबंधन के समक्ष मामला उठाया.
उन्होंने कहा कि अंत में अस्पताल चिकित्सा अधीक्षक ने हस्तक्षेप किया और महिला को अंतत: अस्पताल में भर्ती कराया गया.
इंदिरा गांधी मेमोरियल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक राजेश मोरे से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि महिला को अस्पताल के बाहर बिठाया गया था.
उन्होंने कहा, ‘मुझे रात करीब 10 बजे इस बारे में पता चला तो मैंने तुरंत उसे भर्ती कराने की व्यवस्था की.’