सात अक्टूबर को अनंतनाग में एक सीमा चौकी के पास रुकने का संकेत देने के बावजूद एक कार के न रुकने पर सीआरपीएफ जवानों ने गोलियां चला दीं, जिसमें परवेज़ अहमद नाम के एक शख़्स की मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उनकी सहमति के बिना ही शव दफ़ना दिया. परवेज़ के परिवार के साथ घाटी के कई नेताओं ने इस घटना की जांच की मांग की है.
श्रीनगरः दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में सात अक्टूबर को केंद्रीय रिजर्व पुलिसबल (सीआरपीएफ) कर्मियों की गोली से मारे गए एक स्थानीय नागरिक के परिवार ने घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है.
परवेज अहमद खान (26) नाम के शख्स को सीआरपीएफ के जवानों ने सात अक्टूबर की शाम को गोली मार दी थी. गरीब खानाबदोश परवेज के परिवार में सात सदस्य हैं, जिनमें उनकी दो छोटी बेटियां, गर्भवती पत्नी, नाबालिग बहन और छोटे भाई के अलावा बुजुर्ग माता-पिता हैं.
जम्मू एवं कश्मीर पुलिस के प्रवक्ता के मुताबिक, ‘खानाबदोश समुदाय से ताल्लुक रखने वाला परवेज सात अक्टूबर को एक अन्य शख्स के साथ बिना नंबर प्लेट की महिंद्रा स्कॉर्पियो कार से जा रहा था. रात लगभग 9.45 बजे अनंतनाग के रूह-मोंघल गांव में सीआरपीएफ की सीमा चौकी पर उनके वाहन को रुकने का इशारा किया गया.’
प्रवक्ता के मुताबिक, ‘हालांकि, कार तेज रफ्तार कार बिना रुके चेकपॉइंट को पार कर गई. इसके बाद सीआरपीएफ के ड्यूटी पर तैनात जवानों ने गोलियां चलाई, जिसमें कार में बैठे एक शख्स की मौत हो गई जबकि वाहन का चालक बचकर निकलने में कामयाब रहा.’
रिपोर्टों में कहा गया है कि संदिग्ध की पहचान यासीर अली के रूप में हुई है, जिसे पुलिस ने हिरासत में ले लिया है.
इस मामले में अनंतनाग के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आशीष मिश्रा को भेजे गए टेक्स्ट संदेशों का कोई जवाब नहीं आया है. कश्मीर के सीआरपीएफ की महानिरीक्षक चारु सिन्हा से भी संपर्क नहीं हो पाया.
सीआरपीएफ के प्रवक्ता जुनैद खान ने कहा कि पुलिस ने अपने बयान में जो कहा है, उन्हें उससे अधिक कुछ नहीं कहना है.
परिवार की सहमति के बिना शव दफनाया
पीड़ित के बहनोई जाकिर अहदम ने द वायर को बताया कि परवेज ने अपनी आठ महीने की गर्भवती पत्नी मुनीबा को सात अक्टूबर को शाम लगभग सात बजे फोन कर सिर्फ चावल पकाने को कहा था.
उन्होंने कहा, ‘परवेज दिन में धान के खेत में काम करते थे. उन्होंने अपनी पत्नी को बताया था कि वह बीफ लेने जा रहा है और कुछ समय में घर लौटेंगे ताकि वे रात के खाने के लिए उसे पका सके. हालांकि, देर शाम तक वे घर नहीं लौटे और घर में सभी सो गए.’
जाकिर ने कहा कि अनंतनाग के किहरीबल गांव में उनके किराए के मकान में आधीरात को पुलिस पहुंची और मुनीबा और उनके ससुर को पुलिस स्टेशन ले गई.
जाकिर ने कहा, ‘पुलिस ने कुछ कागजों पर उनके अंगूठे के निशान ले लिए और हमें इंतजार करने को कहा. सुबह के लगभग चार बजे एक पुलिसकर्मी ने हमें बताया कि चेकपॉइंट तोड़ने की वजह से सीआरपीएफ ने परवेज को गोली मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई.’
पीड़ित परिवार ने पुलिस से अंतिम संस्कार के लिए शव मांगा था. जाकिर ने बताया, ‘उन्होंने हमें शव के पास जाने की भी अनुमति नहीं दी. पुलिस ने उनके भी फोन जब्त कर लिए, जिन्होंने शव की तस्वीरें खींचने की कोशिश की.’
पुलिस तड़के ही परवेज के शव को पास की एक पहाड़ी (राजकांग) पर ले गई जहां उनके शव को बिना परिवार की मंजूरी के दफना दिया गया.
जाकिर ने कहा, ‘हमें उनका अंतिम संस्कार करने या उसे जनाजे की नमाज़ में शामिल होने की भी मंजूरी नहीं दी गई. यहां तक कि हम उसके चेहरे की आखिरी झलक भी नहीं देख पाए. हमें इंसाफ चाहिए.’
गांव सील
जम्मू एवं कश्मीर गुर्जर बकरवाल यूथ कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष जाहिद परवाज चौधरी ने कहा कि जब परिवार को परवेज की मौत की परिस्थितियों के बारे में पता चला तो उन्होंने समुदाय के वरिष्ठ लोगों को इसकी जानकारी देने की कोशिश की.
जाहिद ने कहा, ‘हालांकि पुलिस ने उन्हें मंजूरी नहीं दी और इसके बजाय एक निर्दोष शख्स की हत्या को दबाने के लिए उसके शव को जल्दबाजी में दफना दिया. यह सुनियोजित हत्या है.’
उन्होंने बताया कि पुलिस समुदाय के वरिष्ठ लोगों को पीड़ित परिवार से मिलने भी नहीं दे रही. उन्होंने कहा, ‘पीड़ित के परिवार और रिश्तेदारों को भी क्षेत्र से बाहर नहीं निकलने को कहा गया है. पुलिस इस मामले को दबाना चाहती है.’
मौत के कुछ मिनट बाद ली गई दो तस्वीरें परिवार ने द वायर के साथ साझा की. इनमें से एक तस्वीर में परवेज यात्री सीट पर खून से लथपथ पड़ा है. हालांकि वह मृत लग रहे हैं लेकिन उनके शरीर पर गोली के कोई निशान नही हैं.
वहीं, दूसरी तस्वीर कथित तौर पर पहली तस्वीर के बाद ली गई है, जिसमें परवेज का शव सड़क पर पड़ा है और इस तस्वीर में उनके शरीर पर सिर्फ अंडरगारमेंट्स हैं. शरीर पर गोलियों के कई निशान हैं और पूरा चेहरा खून से सना हुआ है.
गुर्जर कार्यकर्ता शौकत चौधरी ने कहा, ‘अगर सीआरपीएफ के जवानों को शक था तो वे कार के टायर पर गोलियां चला सकते थे. उन्होंने न सिर्फ निर्दोष शख्स को गोली मारी है बल्कि उसे शव को भी क्षत-विक्षत किया है.’
उन्होंने कहा, ‘सुरक्षाकर्मी मुठभेड़स्थल पर माइक्रोफोन ले जाते हैं और आतंकियों को आत्मसमर्पण के लिए मनाने की कोशिश करते हैं.उन्होंने यही तरीका परवेज के मामले में क्यों नहीं अपनाया.’
एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें परवेज की पत्नी मुनीबा हताशा में रो रही है और अपने पति की अचानक हुई मौत से सदमे में हैं. वे कहती हैं, ‘अब हमारा क्या होगा? मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं. उनकी देखभाल कौन करेगा? हमारी देखरेख कौन करेगा?’
बिना सोचे-समझे कार्रवाई
घाटी के कई नेताओं, धार्मिक प्रमुखों, गुर्जर समुदाय के वरिष्ठों ने पीड़ित के लिए न्याय की मांग की है. यह घटना उसी दिन हुई जब श्रीनगर में अल्पसंख्यक समुदाय के दो शिक्षकों को गोली मार दी गई थी.
इससे बमुश्किल 36 घंटे पहले ही घाटी के एक लोकप्रिय कश्मीरी पंडित केमिस्ट और बिहार के एक स्ट्रीट वेंडर की भी श्रीनगर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जबकि एक स्थानीय संघ के अध्यक्ष के ड्राइवर को उसी दिन बांदीपोरा में गोली मार दी गई थी.
Yasir Ali killed by security forces at a check point in South Kashmir last night. A heightened state of alert cannot be a reason to open fire like this. Senior officers of the security forces need to ensure calmer heads prevail & nothing happens to worsen the situation.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 8, 2021
जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा, ‘सतर्कता की स्थिति भी इस तरह गोली चलाने का कारण नहीं हो सकती. सुरक्षाबलों के वरिष्ठ अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि शांत स्थिति बनी रहे और स्थिति और खराब नहीं हो.’
Under house arrest for the umpteenth time today. Wanted to visit the family of the innocent civilian shot dead by CRPF. GOI wants us to selectively condemn killings. They are outraged only in cases where hate politics can be lapped up to polarise people. https://t.co/EtppAfMbKl
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 9, 2021
जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा, ‘यह बिना सोचे-समझे कार्रवाई की शुरुआत लग रही है, जो बीते दो दिनों के दौरान हुई है. सीआरपीएफ के जवानों ने जिस तरह के बल का प्रयोग किया, उससे एक निर्दोष नागरिक की मौत हुई है. क्या इन सीआरपीएफकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.’
मुफ्ती ने एक और ट्वीट में कहा कि उन्हें नजरबंद रखा गया है और पुलिस ने पीड़ित परिवार से मिलने से रोक रही है.
वहीं, माकपा के महासचिव एमवाई तारिगामी ने बयान जारी कर कहा, ‘जिन परिस्थितियों में परवेज की मौत हुई है उसकी जांच की जानी चाहिए. अनमोल जीवन का खोना दुर्भाग्यपूर्ण हैं और इस तरह की घटनाओं की निंदा ही काफी नहीं है.’
उन्होंने प्रशासन से पीड़ित परिवार को मुआवजे देने की भी मांग की.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)