बीते एक अक्टूबर को मुंबई स्थित बैंक के केंद्रीय कार्यालय के डिजिटलाइजेशन विभाग ने ‘नवरात्र उत्सव और ड्रेस कोड’ नाम से एक सर्कुलर जारी किया था. बैंक ने यह भी कहा था कि जो इन नियमों का पालन नहीं करेगा, उन पर 200 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
नई दिल्ली: यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने नवरात्र के मौके पर ऑफिस में ‘ड्रेस कोड’ लगाने के अपने विवादित फैसले को वापस ले लिया है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, इसे लेकर कर्मचारी, सोशल मीडिया यूजर्स और यहां तक सांसद भी आलोचना कर रहे थे, जिसके चलते यूनियन बैंक को पीछे हटना पड़ा है.
बीते एक अक्टूबर को मुंबई स्थित बैंक के केंद्रीय कार्यालय के डिजिटलाइजेशन विभाग ने ‘नवरात्र उत्सव और ड्रेस कोड’ नाम से एक सर्कुलर जारी किया था, जिस पर विभाग के महाप्रबंधक एआर राघवेंद्र के हस्ताक्षर थे.
इस सर्कुलर में ये विवरण दिया गया था कि नवरात्र के मौके पर सात अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक किस रंग के कपड़े पहन कर आने हैं. बैंक ने इन नौ दिनों के लिए नौ अलग-अलग रंगों के पहनने के लिए कहा था, जो कि सभी कर्मचारियों पर लागू था.
बैंक ने यह भी कहा था कि जो इन नियमों का पालन नहीं करेगा, उन पर 200 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
इसके अलावा सर्कुलर में यह भी कहा गया था कि 14 अक्टूबर को ऑफिस में ‘चाट पार्टी’ और ‘इंडोर गेम्स’ भी होंगे, इसलिए इस दिन कर्मचारी अपना लंच न लेकर आएं.
In a bizarre development, public sector lender, Union Bank of India (@UnionBankTweets) has mandated a section of its staffers compulsorily adhere to a special 'Navratri' dress code or be ready to cough out fines. pic.twitter.com/X21C9r2HM0
— IANS (@ians_india) October 10, 2021
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, अखिल भारतीय यूनियन बैंक कर्मचारी संघ (एआईयूबीईएफ) ने निर्देशों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए यूनियन बैंक के सीईओ और प्रबंध निदेशक राजकिरण राय को इस संबंध में पत्र लिखा है.
उन्होंने बैंक के डिजिटलाइजेशन विभाग के महाप्रबंधक राघवेंद्र के कार्यों को ‘तानाशाही’ बताया और कहा कि यह आदेश मानव अधिकारों तथा इस महान देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का उल्लंघन है.
एआईयूबीईएफ के महासचिव जगन्नाथ चक्रवर्ती ने कहा कि त्योहार का उत्सव ‘स्वैच्छिक’ मामला होना चाहिए. उन्होंने इन नियमों का अनुपालन नहीं करने पर फाइन लगाने को लेकर गहरी नाराजगी जाहिर की.
चक्रवर्ती ने सर्कुलर जारी करने को लेकर राघवेंद्र के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि अधिकारी ने शीर्ष प्रबंधन की अनुमति नहीं ली थी और अपनी व्यक्तिगत इच्छा पूरी करने के लिए बैंक का लोगो इस्तेमाल करने के चलते उन पर उचित कार्रवाई होनी चाहिए.
चक्रवर्ती ने कहा, ‘ऐसा बैंक के 100 सालों के इतिहास में कभी नहीं हुआ. उन्हें तत्काल सर्कुलर वापस लेना चाहिए.’
यहां तक कि मदुरै से माकपा के सांसद एस. वेंकटेशन ने भी इस सर्कुलर का विरोध किया और यूनियन बैंक को पत्र लिखकर इस कार्रवाई को ‘बेहद नृशंस’ बताया.