कर्नाटक में कांग्रेस के मीडिया समन्वयक एमए सलीम और पूर्व लोकसभा सदस्य वीएस उग्रप्पा के बीच उस बातचीत का वीडियो सामने आया है, जिसमें एक घोटाले में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार की कथित संलिप्तता का ज़िक्र किया गया है. इसे लेकर पार्टी ने सलीम को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया और पार्टी प्रवक्ता उग्रप्पा को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया है.
नई दिल्ली: कर्नाटक में कांग्रेस बीते बुधवार को उस समय मुश्किल में फंसी नजर आई, जब पार्टी के मीडिया समन्वयक एमए सलीम और पूर्व लोकसभा सदस्य वीएस उग्रप्पा के बीच उस बातचीत का कथित वीडियो वायरल सामने आया है, जिसमें एक घोटाले में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार की कथित संलिप्तता का जिक्र किया गया है. शिवकुमार उस समय राज्य में मंत्री थे.
वायरल हुई क्लिप पर कड़ी आपत्ति जताते हुए शिवकुमार ने कहा कि वे इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि सलीम और उग्रप्पा के बीच बातचीत नहीं हुई, पर उन्होंने बातचीत की सामग्री (कंटेंट) को खारिज कर दिया.
पार्टी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सलीम को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया और पार्टी प्रवक्ता उग्रप्पा को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया और तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा है.
बातचीत संभवत: सिंचाई विभाग में हुए कथित घोटालों से संबंधित है, जिसमें शिवकुमार कथित रूप से शामिल थे. उस समय वह कांग्रेस- जनता दल (एस) की गठबंधन सरकार में सिंचाई मंत्री थे. तत्कालीन सरकार 14 महीने तक चलने के बाद जून 2019 में गिर गई थी.
हालांकि, उग्रप्पा ने स्पष्ट किया कि सलीम केवल उन्हें यह बता रहे थे कि भाजपा के लोग कर्नाटक और महाराष्ट्र सहित चार राज्यों में 47 परिसरों में सिंचाई और राजमार्ग परियोजना को अंजाम देने वाले तीन प्रमुख ठेकेदारों के खिलाफ बीते सात अक्टूबर से आयकर (आईटी) विभाग द्वारा किए गए छापे के बारे में क्या बात कर रहे हैं.
आईटी विभाग ने बीते मंगलवार को एक बयान में कहा कि आयकर अधिकारियों द्वारा तलाशी और जब्ती के परिणामस्वरूप लगभग 750 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला है. मंगलवार को उग्रप्पा की प्रेस कॉन्फ्रेंस से कुछ मिनट पहले सलीम उनके बगल में बैठ गए और घोटालों के बारे में फुसफुसाने लगे थे.
सलीम को कथित वीडियो में यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘पहले, यह आठ प्रतिशत था. उसने इसे बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया. ये सभी डीकेएस द्वारा किए गए कोऑर्डिनेटेड हैं.’
सलीम ने उप्पर और जी. शंकर का जिक्र करते हुए कहा, ‘उप्पर बेंगलुरु से हैं और जी. शंकर बेल्लारी में होस्पेट से, जिसे आप जानते भी हैं.’
इस पर उग्रप्पा ने उन्हें ठीक किया कि उप्पर विजयपुरा के हैं, तो सलीम ने कहा कि उप्पर का घर बेंगलुरु में पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा के घर के ठीक सामने है.
#BREAKING Former MP Ugrappa and media co ordinator Salim bad mouth party president @DKShivakumar. Says he took 10 percent bribe. If investigation is done properly- it is a multi crore scam. His aides took 100 crores. Imagine how much Shivakumar made?. @ravi27kant pic.twitter.com/GL8OwPPsl3
— Imran Khan (@KeypadGuerilla) October 13, 2021
सलीम को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘यह (सिंचाई) एक बड़ा घोटाला है. अगर ठीक से जांच करा ली जाए तो उनकी (डीके शिवकुमार की) भूमिका भी सामने आ जाएगी. आप नहीं जानते साहब, तीनों ने 50-100 करोड़ रुपये कमाए. अगर उन्होंने इतना (धन का) कमाया होता, तो अंदाजा लगाइए कि उसने (शिवकुमार ने) कितना कमाया होगा. वह एक ‘गिराकी’ (जबरन वसूली करने वाला) है.’
जवाब में उग्रप्पा ने कहा कि वे उन चीजों को नहीं जानते हैं. उग्रप्पा को कहते हुए सुना जा सकता है, ‘मैं यह नहीं जानता. हम सभी ने उन्हें (शिवकुमार) प्रदेश अध्यक्ष बनाने का रास्ता बनाया. इसलिए मैं कुछ नहीं कह रहा हूं. यही कारण हैं.’ इसके अलावा, सलीम ने कहा कि शिवकुमार इन दिनों हकलाते हैं.
सलीम ने कहा, ‘वे इन दिनों हकलाते हैं, शायद लो बीपी या कुछ और कारण हो सकता है.’ इस पर उग्रप्पा सहमत हो गए.
सलीम ने यह भी आश्चर्यपूर्व कहा कि मीडियाकर्मी पूछते हैं कि क्या शिवकुमार इन दिनों शराब पीते हैं, लेकिन वह शराब नहीं पीते, यह उनके बात करने का तरीका है. यहां तक कि वे भावुक भी हो जाते हैं. इसके बाद उन्होंने सिद्धारमैया की मजबूत बॉडी लैंग्वेज के लिए उनकी तारीफ की.
खास बात ये है कि दोनों नेताओं के बीच ये बातचीत ऐसे वक्त हुई थी जब वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत एक अधिकारी की संपत्तियों पर आयकर छापों को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा पर सवाल उठाने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए थे. ऐसा कहा जा रहा है कि इस अधिकारी का भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से अच्छा संबंध हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस मामले को लेकर कांग्रेस के जूनियर नेताओं द्वारा इसलिए प्रेस वार्ता आयोजित की गई थी, क्योंकि मुख्यधारा के नेता आयकर छापे को राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहते थे
इसे लेकर डीके शिवकुमार ने कहा कि बातचीत वास्तव में हुई है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया ने सलीम और उग्रप्पा को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ बोलते हुए दिखाया है.
शिवकुमार ने कहा, ‘आपने दिखाया है कि उन्होंने मेरे खिलाफ बुरा बोला है. मैं इससे इनकार नहीं करूंगा. उन्होंने मेरे खिलाफ बात की है. उग्रप्पा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बयान दिया है.’ हालांकि उन्होंने कहा कि बातचीत की सामग्री से उनका कोई संबंध नहीं है.
शिवकुमार ने कहा, ‘उन्होंने जो कहा उससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है. मैं कभी भी किसी ‘प्रतिशत’ (अनुबंधों में हिस्सा) का हिस्सा नहीं था और मुझे इसकी आवश्यकता नहीं है. मेरा इससे (अनुबंधों में हिस्से) कोई संबंध नहीं है.’
वहीं, उग्रप्पा ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए एक संवाददाता सम्मेलन किया और कहा कि शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया उनकी दो आंखों की तरह हैं और दोनों ही उन्हें प्रिय हैं.
कांग्रेस को अतीत में शिवकुमार और सिद्धारमैया गुटों के बीच शक्ति प्रदर्शन भी देखने को मिला था. पंजाब की तरह ही कांग्रेस के इन दोनों नेताओं के बीच विवाद चल रहा है. उग्रप्पा और सलीम को सिद्धारमैया का करीबी माना जाता है.
इस बीच वीडियो के बहाने कांग्रेस और शिवकुमार को निशाना बनाने के लिए भाजपा को हथियार मिल गया है.
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता तेजस्विनी गौड़ा ने प्रेस वार्ता में कहा, ‘शिवकुमार ने आयकर और प्रवर्तन निदेशालय के छापे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ निराधार बयान दिए थे, लेकिन आज उनकी पार्टी के सदस्य ही पार्टी के बैनर तले अपने ही पार्टी कार्यालय में उनके खिलाफ बोल रहे हैं.’
गौड़ा के साथ पत्रकार वार्ता में मौजूद एक अन्य भाजपा प्रवक्ता चलवाडी एन. स्वामी ने आरोप लगाया कि कथित नाटक के पीछे सिद्धारमैया का हाथ है, क्योंकि वह उग्रप्पा के जरिये उनकी पोल-पट्टी खोल रहे थे.
कर्नाटक में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में भले ही ऊपरी तौर पर एकता दिखाई देती हो, लेकिन हकीकत में पार्टी में पकड़ बनाने को लेकर इनमें काफी खटास पैदा हो गई है, जैसा कि पंजाब में भी देखने को मिला है.
शिवकुमार ने कोरोना महामारी के दौरान जुलाई 2020 में अध्यक्ष पद संभालने के बाद पार्टी में नई उर्जा भरने की कोशिश की है, हालांकि विधानसभा के 68 कांग्रेस विधायक सिद्धारमैया के नजदीक दिखाई देते हैं.
साल 2017 और 2018 के बीच हुई कथित कर चोरी की आयकर जांच के बाद मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में सितंबर 2019 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बावजूद शिवकुमार को 2020 में राज्य कांग्रेस प्रमुख नियुक्त किया गया था.
शिवकुमार कर्नाटक के सबसे धनी विधायकों में से एक हैं, जिनकी संपत्ति 2018 के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले 850 करोड़ रुपये के करीब थी.
शिवकुमार ने अध्यक्ष पद पर काबिज होने के बाद से सिद्धारमैया की पार्टी में पकड़ को कमजोर करने की कोशिश की है, जहां पुराने नेताओं को हटाकर नए लोगों को पदाधिकारी बनाया गया है. इसके जवाब में इसी तरह की कार्रवाई सिद्धारमैया ने भी की है.
कुछ दिनों पहले शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों ने बारी-बारी से नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी. इसे लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं कि पार्टी नेतृत्व ने सिद्धारमैया को राष्ट्रीय राजनीति में ध्यान देने और इस दिशा में कार्य करने को कहा है.
हालांकि उन्होंने इन खबरों का खंडन किया है.
ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि सिद्धारमैया और भाजपा के पूर्व सीएम येदियुरप्पा गठबंधन कर सकते हैं, यदि उनकी पार्टियों द्वारा उन्हें दरकिनार किया जाता है.
पूर्व सीएम और जनता दल सेक्युलर के नेता एचडी कुमारस्वामी ने दावा किया है कि सिद्धारमैया और येदियुरप्पा ने गुप्त बैठकें की हैं, लेकिन दोनों नेताओं ने इससे इनकार किया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)