निहंग नेता के साथ कृषि मंत्री की तस्वीर पर विवाद, पैसे के बदले किसान धरना स्थल से हटने का आरोप

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ तस्वीर में नज़र आए निहंग धड़े के एक प्रमुख बाबा अमन सिंह ने आरोप लगाया है कि केंद्र ने निहंग सिखों को किसान प्रदर्शन स्थल से हटने के लिए पैसे की पेशकश की थी, लेकिन उन्हें ख़रीदा नहीं जा सकता है. अमन सिंह धड़े के लोग ही सिंघू बॉर्डर पर पिछले हफ़्ते एक दलित मज़दूर की बर्बर तरीके से हत्या करने के मामले में आरोपी हैं.

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नरेंद्र सिंह तोमर (नीली जैकेट में) के साथ बाबा अमन सिंह (निहंगों की पारंपरिक नीली पगड़ी पहने). (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ तस्वीर में नज़र आए निहंग धड़े के एक प्रमुख बाबा अमन सिंह ने आरोप लगाया है कि केंद्र ने निहंग सिखों को किसान प्रदर्शन स्थल से हटने के लिए पैसे की पेशकश की थी, लेकिन उन्हें ख़रीदा नहीं जा सकता है. अमन सिंह धड़े के लोग ही सिंघू बॉर्डर पर पिछले हफ़्ते एक दलित मज़दूर की बर्बर तरीके से हत्या करने के मामले में आरोपी हैं.

नरेंद्र सिंह तोमर (नीली जैकेट में) के साथ बाबा अमन सिंह (निहंगों की पारंपरिक नीली पगड़ी पहने). (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर किसान प्रदर्शन स्थल के पास एक दलित खेतिहर मजदूर की कथित तौर पर निहंग सिखों द्वारा हत्या किए जाने की घटना के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ एक निहंग धड़े के प्रमुख बाबा अमन सिंह की एक तस्वीर बीते मंगलवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसके बाद किसान आंदोलन के संदर्भ में एक नया विवाद खड़ा हो गया है.

निहंग सिख धार्मिक नेता अमन सिंह ने आरोप लगाया है कि केंद्र ने निहंगों को सिंघू बॉर्डर किसानों प्रदर्शन स्थल से हटने के लिए पैसों की पेशकश की गई थी.

बाबा अमन सिंह निर्वैर खालसा-उड़ना दल के मुखिया हैं, जिसके सदस्यों को 15 अक्टूबर को सिंघू सीमा पर दलित खेतिहर मजदूर लखबीर सिंह की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. सिंह कनाडा स्थित ओंटारियो सिख और गुरुद्वारा परिषद के अध्यक्ष कुलतार सिंह गिल के साथ भी निकटता से जुड़े हुए हैं.

बताया जा रहा है कि पंजाब के चमकौर साहिब के रहने वाले बाबा अमन सिंह के साथ यह मुलाकात जुलाई के आखिरी हफ्ते में नई दिल्ली में कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के बंगले पर हुई थी.

इस तस्वीर में पंजाब के विवादास्पद पूर्व पुलिस अधिकारी गुरमीत सिंह पिंकी, जिन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था और हत्या के एक मामले में दोषी ठहराया गया था तथा भाजपा नेता हरविंदर गरेवाल भी हैं. ऐसा माना जा रहा है कि केंद्रीय कृषि मंत्री के मुलाकात वाली ये तस्वीर करीब दो महीने पुरानी है.

इस मामले ने काफी तूल पकड़ लिया है कि क्योंकि अमन सिंह के ही धड़े के लोग सिंघू बॉर्डर पर पिछले हफ्ते एक दलित मजदूर की बर्बर तरीके से हत्या करने के मामले में आरोपी हैं. अमन सिंह ने घटना के बाद अपने बयान में इस हत्या को जायज ठहराया था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सिंह ने आरोप लगाया, ‘किसानों के धरना स्थल से हटने के लिए मुझे 10 लाख रुपये की पेशकश की गई थी. मेरे संगठन को भी एक लाख रुपये की पेशकश की गई थी, लेकिन हमें खरीदा नहीं जा सकता है.’

उन्होंने कहा कि निहंग संगठन 27 अक्टूबर को फैसला करेंगे कि सिंघू बॉर्डर पर रहना है या नहीं. हालांकि कृषि मंत्रालय ने इस मामले में अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है.

वहीं गुरमीत सिंह ने कहा, ‘यह सच है कि मैं बाबा अमन को जानता हूं और हम अगस्त में मंत्री के घर गए थे. लेकिन यात्रा का उद्देश्य अलग था. मैं किसी निजी काम से गया था. निहंग संप्रदाय के मुखिया कृषि विधेयकों की बात कर रहे थे, लेकिन मेरे सामने उन्हें पैसे का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया था. मुझे नहीं पता कि उनके और तोमर के बीच क्या हुआ था.’

इस बीच पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने नरेंद्र सिंह तोमर की निहंग नेता के साथ कथित तस्वीर का हवाला देते हुए कहा कि सिंघू बॉर्डर पर एक श्रमिक की नृशंस हत्या किसानों के विरोध प्रदर्शन को बदनाम करने का संभावित षड्यंत्र है.

कांग्रेस की राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी सोशल मीडिया पर सामने आई तस्वीर के मद्देनजर आरोप लगाया कि दिल्ली-हरियाणा सीमा के निकट किसानों के विरोध प्रदर्शन स्थल पर पिछले सप्ताह हुई हत्या में केंद्रीय एजेंसियों की संलिप्तता हो सकती है.

एक सामूहिक तस्वीर में तोमर और एक व्यक्ति निहंग सिखों की नीली पोशाक पहने दिख रहा है. केंद्रीय मंत्री ने कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध दूर करने के मकसद से वार्ता करने के लिए प्रदर्शनकारी किसान नेताओं से कुछ महीने पहले मुलाकात की थी.

रंधावा ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि यही निहंग नेता हत्या के मुख्य आरोपी का ‘बचाव कर रहा’ था.

निहंग समूह ने मृतक दलित खेतिहर मजदूर पर सिखों के पवित्र ग्रंथ की बेअदबी करने का आरोप लगाया था.

रंधावा ने एक बयान में कहा, ‘एक निहंग नेता के भारत सरकार, विशेष रूप से कृषि मंत्री एनएस तोमर के साथ संपर्क में होने की बात हाल में सामने आने के बाद हत्या के इस मामले ने पूरी तरह एक नया मोड़ ले लिया है.’ मंत्री ने कहा, ‘यह किसान आंदोलन को बदनाम करने की गहरी साजिश नजर आती है.’

पंजाब के मंत्री ने कहा कि तरन तारन जिले के चीमा कलां गांव के रहने वाले मृतक दलित खेतिहर मजदूर लखबीर सिंह बहुत गरीब थे.

उन्होंने कहा, ‘हमें यह पता लगाने की आवश्यकता है कि कौन उन्हें लालच देकर सिंघू बॉर्डर लेकर आया और किसने उनकी यात्रा का खर्च वहन किया, क्योंकि उनके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं थे.’

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने स्थानीय प्रशासन को यह पता लगाने का निर्देश दिया है कि किस परिस्थिति में व्यक्ति को उनके घर से सिंघू सीमा पर लाया गया.

उन्होंने कहा, ‘हाल में उपलब्ध हुए तस्वीर संबंधी सबूतों के मद्देनजर निहंग नेता को यह भी बताने की जरूरत है कि वह केंद्रीय कृषि मंत्री एनएस तोमर से किस हैसियत से मिले और क्या तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ मुहिम चला रहे किसान संगठनों ने उन्हें ऐसा करने को कहा था.’

जाखड़ ने आरोप लगाया कि सिंघू सीमा पर हुई हत्या में ‘एजेंसियों’ की भूमिका हो सकती है, लेकिन उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया. उन्होंने मामले की गहन जांच कराए जाने की मांग की.

पंजाब के तरन तारन जिले के मजदूर लखबीर सिंह का शव बीते 15 अक्टूबर को दिल्ली-हरियाणा के सिंघू बॉर्डर पर एक बैरिकेड से बंधा हुआ पाया गया था, जहां नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान डेरा डाले हुए हैं.

सिंह का एक हाथ कटा हुआ मिला और शरीर पर धारदार हथियारों के कई घाव मिले थे.

घटना से संबंधित एक वायरल वीडियो में निहंग सिखों द्वारा कथित तौर पर सिखों के पवित्र ग्रंथ की बेअदबी के आरोप में उनकी हत्या करने की बात कही गई थी.

लखबीर सिंह की हत्या के मामले में हरियाणा पुलिस ने अब तक निहंग सिख संप्रदाय के चार लोगों को गिरफ्तार किया है. 17 अक्टूबर को नारायण सिंह, भगवंत सिंह और गोविंद प्रीत को गिरफ्तार किया, जबकि सरबजीत सिंह को एक दिन पहले 16 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था.

गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में केंद्र द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर हजारों की संख्या में किसान दिल्ली सीमा के तीन जगहों- टिकरी, सिंघू और गाजीपुर- पर गत 10 महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं. इन किसानों में अधिकतर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)