केरल हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक याचिका का निस्तारण करते हुए की, जिसमें छात्र संगठनों या राजनीतिक दलों द्वारा बुलाए गए ‘शैक्षणिक बंद’ को अवैध ठहराने का अनुरोध किया गया था.
नई दिल्ली: केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य में बंद और हड़ताल पर प्रतिबंध लगाने के उसके और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का सभी संबंधित विभागों द्वारा पालन किया जाना चाहिए और इसके उल्लंघन का गंभीरता से संज्ञान लिया जाएगा.
अदालत ने यह टिप्पणी एक याचिका का निस्तारण करते हुए की जिसमें छात्र संगठनों या राजनीतिक दलों द्वारा बुलाएगए ‘शैक्षणिक बंद’ को अवैध, असंवैधानिक और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के उल्लंघन करार देने की अनुरोध किया गया था.
याचिका में दावा किया गया था कि साल 2018 में कुछ छात्र संगठनों द्वारा बुलाए गए बंद के कारण कोल्लम जिले के कोट्टाराकारा में सरकार द्वारा संचालित पीवीएचएस स्कूल, पेरुमकुलम को कुछ दिनों के लिए बंद रखना पड़ा था और इस संबंध में पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत का कोई असर नहीं हुआ था.
राज्य सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए उच्च न्यायालय में कहा था कि शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने सभी हितधारकों के साथ एक बैठक की और स्कूल के ‘पेरेंट्स टीचर्स एसोसिएशन’ द्वारा उठाये गए मुद्दों को सुलझाया गया तथा इसके बाद ऐसी कोई घटना नहीं हुई.
राज्य सरकार की दलील के बाद अदालत ने कहा कि वह याचिका पर आगे सुनवाई नहीं करेगा.
अदालत ने कहा, ‘हालांकि, मामले के संबंध में तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए हमने यही पाया कि सभी संबंधित विभागों को हड़ताल या बंद के संबंध में उच्चतम न्यायालय और इस अदालत के फैसले का पालन करना चाहिए और इसके उल्लंघन को गंभीरता से संज्ञान में लिया जाएगा.’
कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में संबंधित विभागों द्वारा जरूरी निर्देश जारी किए जाएं.
‘शैक्षिक बंद या हड़ताल’ को अवैध घोषित करने की मांग के अलावा याचिका में यह भी कहा गया था कि विरोध के ऐसे तरीके ‘बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार, 2009’ के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)