स्कूलों में बढ़ते अपराधों के मद्देनज़र हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में निर्भया फंड का उपयोग विद्यालयों की सुरक्षा में करने और स्कूल बसों में महिला ड्राइवर नियुक्त करने जैसे फैसले लिए गए.

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बीते दिनों गुरुग्राम के एक स्कूल में एक छात्र की निर्मम हत्या और दिल्ली में एक स्कूली छात्रा से बलात्कार के मामले के मद्देनज़र रखते हुए देश में विद्यालयों में सुरक्षा मानदंडों के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए 18 सितंबर को एक अंतर–मंत्रालयी समिति बनाने का फैसला किया है.
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी के बीच हुई बैठक के दौरान यह फैसला लिया गया. इस बैठक में यह सुझाव भी दिया गया 2012 में दिल्ली में हुए सामूहिक बलात्कार के बाद गठित निर्भया फंड का उपयोग विद्यालयों के सुरक्षा मानदंडों के लिए किया जाए.
बैठक के बाद मेनका गांधी ने कहा, ‘बैठक में विद्यालय सुरक्षा के वर्तमान मानदंडों की समीक्षा की गई और नए सुझावों पर चर्चा की गई. दिशा-निर्देशों के क्रियान्वयन और प्रगति की निगरानी के लिए छह सचिवों की एक समिति बनायी जाएगी.’
स्कूलों में बच्चों के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराध के बीच यह उच्च स्तरीय बैठक हुई है. इन अपराधों से शिक्षण संस्थानों में सुरक्षा मानदंडों को लेकर बहस छिड़ गई थी. इस समिति में मानव संसाधन विकास मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, जनजातीय मंत्रालय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव होंगे.
करीब पचास मिनट तक चली बैठक में महिला ड्राइवर नियुक्त करने, स्कूलों में बाल उत्पीड़न के बारे में लघु फिल्में दिखाये जाने, बाल यौन अपराध संरक्षण कानून के तहत जागरूकता बूथ स्थापित करने जैसे विषयों पर चर्चा हुई. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, सीबीएसई, एनसीईआरटी और केंद्रीय विद्यालय संगठन के प्रतिनिधियों ने भी इसमें हिस्सा लिया.