कुछ दिन पहले इज़रायल के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने फ्रांस के अपने समकक्ष के साथ बातचीत करने के लिए गुप्त रूप से पेरिस का दौरा किया था, जिसका उद्देश्य फ्रांस के राष्ट्रपति और अन्य शीर्ष अधिकारियों के सेल फोन को इज़रायली कंपनी एनएसओ समूह द्वारा तैयार किए गए पेगासस स्पायवेयर के कथित इस्तेमाल को लेकर पैदा हुए संकट को समाप्त करना था.
नई दिल्लीः इजरायल सरकार ने एनएसओ कंपनी और किसी तीसरे देश के बीच किसी भी तरह के सौदे में फ्रांस के मोबाइल नंबरों की हैकिंग पर प्रतिबंध लगाने की पेशकश की. एक्सियोस की गुरुवार की रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है.
यह प्रस्ताव द वायर सहित पत्रकारों के एक अंतर्राष्ट्रीय कंसोर्टियम द्वारा पेगासस प्रोजेक्ट के तहत किए गए खुलासे की पृष्ठभूमि के बाद आया है.
पेरिस स्थित गैर लाभकारी फॉरबिडेन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा हासिल किए गए लीक डेटाबेस के आधार पर मीडिया संगठनों ने उजागर किया था कि इजरायली कंपनी एनएसओ समूह के पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल आतंकियों एवं अपराधियों के बजाये पत्रकारों, आलोचकों और नेताओं के सर्विलांस में इस्तेमाल किया जा रहा था.
एनएसओ समूह का कहना है कि इस सूची का कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है. शुरुआत से ही एनएसओ दावा करता आया है कि वह पेगासस स्पायवेयर सिर्फ सरकारों को बेचता है.
कुछ ही महीने पहले द वायर सहित विश्व के 17 मीडिया संगठनों ने 50,000 से ज्यादा लीक हुए मोबाइल नंबरों के डेटेबेस की जानकारियां प्रकाशित की थी, जिनमें फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों, फ्रांस के कई कैबिनेट मंत्री, राजनयिक और पत्रकारों के मोबाइल नंबर भी थे.
इन लोगों की पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी की जा रही थी या वे संभावित सर्विलांस के दायरे में थे. यह माना गया कि फ्रांस के अधिकतर लक्षित मोबाइल नंबरों का सरकारी ग्राहक मोरक्को था, लेकिन मोरक्को ने इन आरोपों से इनकार किया है और मानहानि का मुकदमा दायर किया है.
इन रिपोर्टों के परिणामस्वरूप मैक्रों ने स्पष्टीकरण के लिए इजरायल के प्रधानमंत्री नेफ्ताली बेनेट से बातचीत की.
फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने कथित तौर पर इजरायल के अपने समकक्ष बेनी गान्ट्ज से स्पष्टीकरण मांगा, जिन्होंने कहा कि तेल अवीव (इजरायल) हैकिंग के लिए पेगासस की रिपोर्टों को गंभीरता से ले रहा था.
पेगासस प्रोजेक्ट पार्टनर ल मोंद के साथ साक्षात्कार में पार्ली ने पुष्टि की कि उन्होंने इजरायल के अधिकारियों से प्रतिबद्धता की मांग की थी कि पेगासस के जरिए फ्रांसीसी फोन नंबरों को निशाना नहीं बनाया जाएगा जैसा कि अमेरिका और ब्रिटेन के साथ हुआ.
पार्ली ने सितंबर की शुरुआत में कहा था, ‘हमें यह बताते हुए एक प्रतिक्रिया मिली कि ऐसा ही होगा (नंबरों को निशाना नहीं बनाया जाएगा ). मैं आपको और कुछ नहीं बता सकती.’
खोजी वेबसाइट मेदियापार ने पिछले महीने बताया था कि अपनी खुद की जांच करते हुए फ्रांस की सुरक्षा एजेंसियों को फ्रांस के पांच मौजूदा कैबिनेट मंत्रियों के फोन में पेगासस के अंश मिले थे.
एक्सियोस की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इयाल हुलता ने फ्रांस के अपने समकक्ष के साथ चर्चा करने के लिए कुछ दिन पहले गुप्त रूप से पेरिस का दौरा किया था, जिसका उद्देश्य फ्रांस के राष्ट्रपति और अन्य शीर्ष अधिकारियों के सेल फोन को इजरायली कंपनी एनएसओ द्वारा तैयार किए गए पेगासस स्पायवेयर के कथित इस्तेमाल को लेकर पैदा हुए संकट को समाप्त करना था.
हुलता ने फ्रांस के अपने समकक्ष इमैनुअल बोने के साथ अपनी बैठक के दौरान एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें भविष्य में इजरायली कंपनी एनएसओ और किसी तीसरे देश के बीच होने वाले किसी भी सौदे में फ्रांस के मोबाइल नंबरों की हैकिंग पर प्रतिबंध लगाने की प्रतिबद्धता शामिल थी.
इस बैठक की पुष्टि ल मोंद अखबार ने भी की.
फ्रांस सरकार का कहना है कि यह दोनों देशों के बीच रणनीतिक वार्ता का उपयोगी सत्र था, जहां फ्रांस ने एनएसओ मामले में गारंटी मांगी और वह इस पर इजरायल के साथ मिलकर काम कर रहा है.
बता दें कि द वायर सहित अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों की के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.
इस कड़ी में 18 जुलाई से द वायर सहित विश्व के 17 मीडिया संगठनों ने 50,000 से ज्यादा लीक हुए मोबाइल नंबरों के डेटाबेस की जानकारियां प्रकाशित करनी शुरू की थी, जिनकी पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी की जा रही थी या वे संभावित सर्विलांस के दायरे में थे.
एनएसओ ग्रुप यह मिलिट्री ग्रेड स्पायवेयर सिर्फ सरकारों को ही बेचती हैं. भारत सरकार ने पेगासस की खरीद को लेकर न तो इनकार किया है और न ही इसकी पुष्टि की है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)