इस साल 20 लाख से अधिक लोग शरणार्थी बनने को विवश हुए: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग ने कहा, म्यांमार में हिंसा के कारण बांग्लादेश पहुंचे रोहिंग्या शरणार्थियों को मदद की सख़्त ज़रूरत है.

Rohingya refugees in Shah Porir Dwip, Bangladesh on Sunday after crossing the Myanmar border by baot, through Bay of Bengal. Reuters
Rohingya refugees in Shah Porir Dwip, Bangladesh on Sunday after crossing the Myanmar border by baot, through Bay of Bengal. Reuters

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग ने कहा, म्यांमार में हिंसा के कारण बांग्लादेश पहुंचे रोहिंग्या शरणार्थियों को मदद की सख़्त ज़रूरत है.

Rohingya refugees in Shah Porir Dwip, Bangladesh on Sunday after crossing the Myanmar border by baot, through Bay of Bengal. Reuters
बीते महीने म्यांमार से पलायन कर बांग्लादेश के शाह पोरीर द्वीप पहुंचे रोहिंग्या शरणार्थी. (फोटो: रॉयटर्स)

जेनेवा: संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (यूएनएचसीआर) के प्रमुख ने कहा है कि म्यांमार, दक्षिणी सूडान और दूसरे स्थानों पर हिंसा के कारण इस साल 20 लाख से अधिक लोगों को शरणार्थी का जीवन जीने को मजबूर होना पड़ा.

साल 2016 के आख़िर तक दुनिया भर में अपने घर को छोड़ने को मजबूर हुए लोगों की संख्या 6.56 करोड़ थी और इनमें से 2.25 करोड़ लोग पंजीकृत शरणार्थी हैं.

यूएनएचसीआर के प्रमुख फिलिपो ग्रैंडी ने कहा, करोड़ों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की नाउम्मीदी हमारे सामूहिक अंत:करण पर एक दाग है.

शरणार्थी संकट के समाधान के लिए और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि म्यांमार से भागकर बांग्लादेश पहुंचे पांच लाख रोहिंग्या मुसलमानों को मदद की सख़्त ज़रूरत है.

इससे पहले भी संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील कर चुका है कि वह अपने राजनीतिक मतभेदों को परे रखते हुए रोहिंग्या शरणार्थियों की मदद के लिए किए जा रहे मानवीय प्रयासों में सहयोग करें.

बीते 25 अगस्त को म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहने वाले रोहिंग्या समुदाय के लोगों के ख़िलाफ़ फिर से शुरू हुई हिंसा के बाद लाखों लोगों ने बांग्लादेश में पलायन किया है.

रखाइन की लगभग आधी आबादी करीब दस लाख रोहिंग्या मुस्लिम तब से बांग्लादेश भाग चुके हैं. जिससे विश्व का सबसे बड़ा शरणार्थी संकट खड़ा हुआ है. हिंसा के कारण करीब 30,000 जातीय रखाइन लोग देश के भीतर विस्थापित हुए हैं जिनमें बौद्ध और हिंदू शामिल हैं.

रोहिंग्या उग्रवादियों की ओर से किए गए हमलों के जवाब में म्यांमार की सेना ने अभियान शुरू किया था. म्यांमार की सेना ने दावा किया है कि हिंसाग्रस्त इलाकों में शांति है.

बीते एक अक्टूबर को म्यांमार सरकार ने दावा किया कि ने रखाइन प्रांत के बच्चों के लिए उन कस्बों में स्कूल फिर से खोल दिए हैं जो हाल में सांप्रदायिक तनाव से बुरी तरह प्रभावित हुए थे. सरकारी मीडिया में घोषणा की गई कि स्थिरता लौट आई है लेकिन अब भी इन इलाकों से हज़ारों रोहिंग्या मुस्लिम भाग रहे हैं.

उन्होंने कहा कि इसी दौरान दक्षिणी सूडान से 50,000 शरणार्थी और मध्य अफ्रीकी गणराज्य से 18,000 लोग भागने को मजबूर हुए. साल 2016 में यूएनएचसीआर के पास 4.4 अरब डॉलर का कोष था, लेकिन उसके पास अब भी ज़रूरी बजट में 41 फीसदी की कमी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)