दिल्ली से वापस भेजे गए भारतीय मूल के अरबपति ने कहा- सिंघू बॉर्डर पर लंगर लगाने से ऐसा सलूक हुआ

अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के अरबपति दर्शन सिंह धालीवाल को 23-24 अक्टूबर की दरम्यानी रात में अमेरिका से आने के बाद दिल्ली हवाईअड्डे से ही अधिकारियों ने वापस भेज दिया था. धालीवाल छह जनवरी से सिंघू बॉर्डर पर किसानों के लंगर के लिए फंडिंग कर रहे हैं. वह इससे पहले भी भारतीय लोगों की मदद करते रहे हैं.

सिंघू बॉर्डर पर किसानों के साथ दर्शन सिंह धालीवाल (बीच में हल्की नीली शर्ट पहने हुए). (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के अरबपति दर्शन सिंह धालीवाल को 23-24 अक्टूबर की दरम्यानी रात में अमेरिका से आने के बाद दिल्ली हवाईअड्डे से ही अधिकारियों ने वापस भेज दिया था. धालीवाल छह जनवरी से सिंघू बॉर्डर पर किसानों के लंगर के लिए फंडिंग कर रहे हैं. वह इससे पहले भी भारतीय लोगों की मदद करते रहे हैं.

सिंघू बॉर्डर पर किसानों के साथ दर्शन सिंह धालीवाल (बीच में हल्की नीली शर्ट पहने हुए). (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

जालंधर: हाल ही में दिल्ली हवाईअड्डे से वापस भेजे गए अमेरिका में भारतीय मूल (पीआईओ) के अरबपति दर्शन सिंह धालीवाल ने कहा है कि चूंकि वे किसान आंदोलन के प्रति अपना समर्थन जता रहे थे और लंगर के लिए पैसे भेज रहे थे, इसलिए उनके साथ ये कार्रवाई की गई है.

बीते 23-24 अक्टूबर की दरम्यानी रात को अमेरिका से आने के बाद दिल्ली हवाईअड्डे से ही अधिकारियों ने उन्हें वापस भेज दिया था. उन्होंने कहा कि दिल्ली की सिंघू सीमा पर प्रदर्शनकारी किसानों के लिए लंगर आयोजित करने के कारण ऐसा उनके साथ ‘सजा’ के तौर पर ऐसा किया गया है.

धालीवाल अमेरिका के विस्कॉन्सिन में मिल्वौकी में रहते हैं. वे अपनी भतीजी की शादी में शामिल होने आए थे. उन्होंने द वायर  को फोन पर बताया कि उनसे कहा गया है कि अगर भारत में दोबारा घुसना है तो ऐसे लंगर बंद करने होंगे.

उस दिन धालीवाल ने अपनी पत्नी डेब्रा, जो कि नीदरलैंड्स की रहने वाली हैं, के साथ करीब पांच घंटे एयरपोर्ट पर इंतजार किया था, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली.

धालीवाल ने कहा, ‘जब मैं इमिग्रेशन काउंटर पर गया तो अधिकारियों ने मुझे इंतजार करने को कहा. मैंने हवाई अड्डे पर एक घंटे से अधिक समय तक इंतजार किया. मैंने उनसे फिर पूछा कि क्या चल रहा है लेकिन उन्होंने मुझे और इंतजार कराया, दो घंटे बाद उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे वापस अमेरिका जाना होगा.’

उन्होंने आगे कहा, ‘जब मैंने पूछा कि मुझे भारत में प्रवेश करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है, तो इमिग्रेशन अधिकारियों ने वही प्रश्न पूछे जो वे पहले से पूछ रहे थे- कि मैंने सिंघू बॉर्डर पर लंगर का आयोजन क्यों कराया और इसके लिए कौन भुगतान कर रहा है. उन्होंने कहा कि अगर मैं भारत में प्रवेश करना चाहता हूं, तो मुझे इस लंगर की फंडिंग बंद करनी होगी.’

धालीवाल ने जब दोबारा सवाल किया तो इमिग्रेशन के अधिकारियों ने कहा, ‘ऊपर से ऑर्डर है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इस दौरान मैंने अपने भाई सुरजीत सिंह रखड़ा, जो हवाई अड्डे पर मुझे लेने आए थे, से बात की, भारतीय महावाणिज्यदूत, वाशिंगटन में भारतीय राजदूत, पंजाब के मुख्य सचिव और राज्य एवं केंद्र सरकार के कई शीर्ष अधिकारियों से बात की, लेकिन कुछ नहीं किया जा सका.’

धालीवाल ने कहा, ‘मेरे साथ जिस तरह का व्यवहार किया गया, उसे सुनकर वे सभी स्तब्ध रह गए. 24 अक्टूबर को लगभग 1:30 बजे मुझे और मेरी पत्नी को उसी विमान से वापस अमेरिका आना पड़ा.’

दर्शन सिंह धालीवाल ने कहा कि उन्होंने जब से लंगर का आयोजन करना शुरू किया है, तब से वे तीन बार भारत आए हैं और हर बार उनसे यही सवाल पूछा जाता था कि वे किसानों का समर्थन क्यों कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे भारत के किसान आंदोलन का समर्थन करना जारी रखेंगे.

उन्होंने कहा, ‘अगर मेरे साथ ऐसा हो सकता है, तो यह किसी के साथ भी हो सकता है. मुझे अपने भारतीय मूल का होने पर गर्व है, लेकिन जिसने भी ऐसा किया है, वह वाकई बहुत बुरा है. मैं 71 साल का हूं और मुझे अमेरिका वापस आने के लिए अतिरिक्त 40 घंटे प्लेन में बिताना पड़ा, जो कि थका देने वाला था. लेकिन मैं मानता हूं कि इससे मेरा जोश कम नहीं होगा और सिंघू बॉर्डर पर लंगर जारी रहेगा. मुझे लोगों को खिलाने की चिंता है और मैं ऐसा करना जारी रखूंगा.’

धालीवाल छह जनवरी से सूबेदार करतार सिंह धालीवाल चैरिटेबल ट्रस्ट के तहत अपने पिता की याद में सिंघू बॉर्डर पर लंगर के लिए फंडिंग कर रहे हैं.

इस मामले को लेकर पंजाब और पंजाबी समुदाय के लोगों ने कड़ी निंदा की है. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप की मांग की है.

बादल ने मोदी से व्यक्तिगत रूप से धालीवाल को ‘सद्भावना के भाव’ के तौर पर आमंत्रित करने का अनुरोध किया, जो अनिवासी भारतीयों को एक अच्छा सकारात्मक संकेत भेजेगा.

उन्होंने कहा कि ‘लंगर’ जैसे पवित्र सामाजिक-धार्मिक कार्य को आयोजित करना या प्रायोजित करना हमेशा सिख धर्म के प्रत्येक अनुयायी के लिए सर्वोच्च और महान कर्तव्यों में से एक माना जाता है.

किसानों के आंदोलन को ‘राष्ट्रीय आंदोलन’ बताते हुए बादल ने कहा कि इस ‘सभ्य, शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक आंदोलन ’ में भाग लेने वालों की मदद करने में कुछ भी गलत या अवैध नहीं है.

धालीवाल के छोटे भाई और शिरोमणि अकाली दल के नेता नेता सुरजीत सिंह रखड़ा और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की अध्यक्ष बीबी जागीर कौर ने भी मोदी सरकार के रवैये की आलोचना की है.

1972 में अमेरिका चले गए धालीवाल के पास विस्कॉन्सिन, कंसास, इलिनोइस, इंडियाना, मिशिगन और मिसौरी जैसे राज्यों में 100 से अधिक पेट्रोल और गैस स्टेशन हैं.

धालीवाल ने तमिलनाडु में 2004 की सुनामी के बाद लंगर और वित्त पोषित राहत कार्य में भी मदद की थी. भारत और विदेशों में उच्च अध्ययन करने की इच्छा रखने वाले 1,000 से अधिक छात्रों को छात्रवृत्ति दी. 2,000 से अधिक भारतीयों को अमेरिका में व्यवसाय स्थापित करने में मदद की. साथ ही पंजाब में शैक्षणिक संस्थानों के लिए धन उपलब्ध कराने के अलावा मिल्वौकी में एक सॉकर ग्राउंड बनाने के लिए 1 अरब अमेरिकी डॉलर का दान दिया.

उन्होंने कहा, ‘आज सरकार का रवैया भले ही बदल गया हो लेकिन मैंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अमेरिका आने पर उनके सम्मान में दोपहर के भोजन की मेजबानी की थी. लंच के दौरान मौजूद कुल 33 कांग्रेसियों में से 11 का नेतृत्व अकेले मैं कर रहा था.’

1990 के दशक में जब पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह ने बाढ़ प्रभावित पंजाब को बचाने के लिए उनकी मदद मांगी थी, तो धालीवाल ने 10 लाख रुपये का दान दिया, जो उस समय एक बड़ी राशि मानी जाती हैं.

इससे पहले बादल ने आनंदपुर साहिब स्थित दशमेश अकादमी को बंद होने से बचाने के लिए मदद मांगी तो धालीवाल ने 40 लाख रुपये मुहैया कराए थे. उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी मातृभूमि की सेवा करने का मौका पाकर बहुत खुश हूं और आगे भी करता रहूंगा.’

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)