तीन साल पहले हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा विरोध के बाद गुड़गांव ज़िला प्रशासन ने शहर में 37 स्थानों को चिह्नित किया था, जहां पर मुस्लिमों को जुमे की नमाज़ पढ़ने की अनुमति दी गई थी. साल 2018 में गुड़गांव में भी खुले में नमाज़ अदा कर रहे मुस्लिमों पर लगातार हमले हुए थे.
नई दिल्लीः हिंदुत्ववादी संगठनों के दबाव के बीच गुड़गांव जिला प्रशासन ने बीते मंगलवार को 37 निर्धारित स्थलों में से आठ स्थानों पर नमाज अदा करने की अनुमति रद्द कर दी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट केके अनुसार, जिला प्रशासन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि प्रशासन ने स्थानीय निवासियों और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की आपत्ति को कारण बताते हुए यह फैसला किया.
हिंदुत्ववादी संगठनों के विरोध के बाद यह फैसला आया है. हिंदुत्ववादी संगठनों ने प्रशासन की मंजूरी के बावजूद खुले में नमाज अदा करने का विरोध किया था, जिसके बाद प्रशासन को इन निर्धारित स्थलों की पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने को मजबूर होना पड़ा.
जिन स्थानों पर खुले में नमाज अदा करने की मंजूरी रद्द की गई, उनमें बंगाली बस्ती सेक्टर-49, वी ब्लॉक डीएलएफ फेज 3, सूरत नगर फेज-1, खेरी माजरा गांव के बाहर, द्वारका एक्सप्रेसवे पर दौलताबाद गांव के पास, रामगढ़ गांव के पास सेक्टर-68, डीएलएफ स्क्वायर टावर के पास, रामपुर गांव से नखरोला रोड तक शामिल हैं.
हिंदुत्ववादी संगठनों बीते दो महीनों से सेक्टर 12-ए और सेक्टर-47 में खुले में नमाज का विरोध कर रहे हैं.
हिंदुत्ववादी संगठनों और स्थानीय लोगों द्वारा मुस्लिमों द्वारा खुले में नमाज अदा करने का विरोध के बाद प्रशासन ने ये 37 स्थान निर्धारित किए थे. प्रशासन ने एक बार फिर उन स्थानों की पहचान करने के लिए एक समिति का गठन किया है, जहां नमाज अदा की जा सकती है.
सब डिविजनल मजिस्ट्रेट, सहायक आयुक्त स्तर का पुलिस अधिकारी, हिंदू और मुस्लिम समुदायों के सदस्य और सामाजिक संगठन इस समिति के सदस्य होंगे.
बयान में कहा गया, ‘समिति सभी हितधारकों से चर्चा के बाद फैसला लेगी और नमाज के लिए स्थान तय करने का फैसला स्थानीय लोगों की सहमति के बाद किया जाएगा. फैसला लेते समय यह सुनिश्चित किया जाएगा कि क्षेत्र के नागरिकों को एक विशेष स्थान पर नमाज अदा करने को लेकर कोई आपत्ति न हो. नमाज किसी भी मस्जिद, ईदगाह या निजी स्थान पर अदा की जा सकती है.’
बीते 29 अक्टूबर को गुड़गांव में नमाज को बाधित करने के प्रयास में 30 लोगों को हिरासत में लिया गया था. ये लोग नारेबाजी कर रहे थे और इनके हाथों में विरोध के लिए प्लेकार्ड थे.
द वायर ने अपनी रिपोर्ट में पहले भी बताया था कि हिंदुत्ववादी नेता और संगठन इन विरोधों के केंद्र में रहे हैं और इन्होंने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं.
इन विरोधों की अगुवाई कर रहे भारत माता वाहिनी के अध्यक्ष दिनेश भारती का दावा था कि खुले में नमाज अदा करना अंतर्राष्ट्रीय साजिश है.
उन्होंने कहा था, ‘ये लोग लव जिहाद और भूमि जिहाद की साजिश के तहत नमाज अदा कर रहे हैं. अगर हमने आवाज नहीं उठाई तो वे यहां मस्जिद बना देंगे.’
मालूम हो कि साल 2018 में गुड़गांव में भी खुले में नमाज अदा कर रहे मुस्लिमों पर लगातार हमले हुए थे. कुछ लोगों ने सार्वजनिक स्थानों पर नमाज अदा कर रहे मुस्लिमों पर हमला किया था और उनसे कथित तौर पर जय श्रीराम के नारे लगवाए थे.
इस हमले के बाद यति नरसिंहानंद जैसे हिंदुत्ववादी नेताओं ने हरियाणा में मुस्लिम युवकों के खिलाफ भूमि जिहाद के आरोप भी लगाए गए थे. खुले स्थानों पर नमाज को राज्य की मंजूरी बताते हुए नरसिंहानंद ने कहा था, ‘यह गुड़गांव को नष्ट करने की साजिश है, क्योंकि यह एक नया आर्थिक केंद्र है.’