बिहार के गोपालगंज और पश्चिम चंपारण ज़िलों में इन लोगों की मौत हुई है. पुलिस ने बताया कि इस संबंध में दोनों ज़िलों के चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है. राज्य में अप्रैल 2016 से शराब के सेवन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध है.
पटना/बेतिया/गोपालगंज: बिहार के दो जिलों में हालिया जहरीली शराब त्रासदी में मरने वालों की संख्या बढ़कर शुक्रवार को 33 हो गई है. अवैध शराब की बिक्री को लेकर कई लोगों की गिरफ्तारियां भी हुई हैं और गलती करने वाले अधिकारियों को सजा भी दी गई है.
इस बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराब प्रतिबंधित राज्य में लोगों को मदिरा पीने से दूरी बनाने के लिए नए सिरे से अभियान शुरू करने का आह्वान किया.
हालांकि, पश्चिम चंपारण (बेतिया) और गोपालगंज जिलों के अधिकारियों ने दावा किया है कि जहरीली शराब पीने से सिर्फ 25 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है.
पश्चिम चंपारण में कथित शराब व्यापारी राम प्रकाश राम (50 वर्ष) के अलावा धानी लाल राम (40 वर्ष), झाक्कड़ पासवान (64 वर्ष) और विकास राम (25 वर्ष) की अस्पताल में ही मौत हो गई.
ये सभी लोग नौतन थाना क्षेत्र के दक्षिण तेलहुआ गांव के रहने वाले थे, जहां दीवाली की रात स्थानीय लोगों ने शराब पी.
चंपारण रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक प्रणव कुमार प्रवीण के अनुसार, पश्चिम चंपारण में चार लोगों की मौत होने के साथ ही मरने वालों की संख्या 14 हो गई है, वहीं सात लोगों का इलाज बेतिया के सरकारी मेडिकल कॉलेज में चल रहा है.
अस्पताल के अधीक्षक प्रमोद तिवारी ने बताया, ‘मरने वालों में से तीन लोगों को मृत लाया गया था. शवों को पोस्टमॉर्टम के बाद परिवारों को सौंपा जा रहा है.’
जिन लोगों का इलाज चल रहा है, उनमें 70 वर्षीय बुजुर्ग भी शामिल हैं, जिनकी आंखों की रोशनी चली गई है. गौरतलब है कि जहरीली शराब पीने के दुष्प्रभावों में आंखों की रोशनी चले जाना आम बात है.
डीआईजी ने बताया, ‘दो अधिकारियों… नौतन थाने के प्रभारी मनीष शर्मा और गांव के चौकीदार को लापरवाही के लिए निलंबित किया गया है. कथित रूप से शराब बेचने वालों में से एक की मौत हो चुकी है, जबकि दूसरा मुन्ना राम फरार है, जिसकी तलाश की जा रही है.’
हालांकि, स्थानीय प्रशासन के सूत्रों के अनुसार, जहरीली शराब कांड की बात सामने आने से पहले ही शराब पीने से मरने वाले दो अन्य लोगों का उनके परिवार ने अंतिम संस्कार कर दिया था.
गोपालगंज में जिला मजिस्ट्रेट नवल किशोर चौधरी ने मोहम्मदपुर थाना क्षेत्र में 17 लोगों के मरने की पुष्टि की है, लेकिन इस पर जोर दिया कि इनमें से सिर्फ 11 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है.
मोहम्मदपुर थाना क्षेत्र के एक गांव के रहने वाले तीन लोगों का उनके परिजनों ने पोस्टमॉर्टम से पहले ही अंतिम संस्कार कर दिया.
उन्होंने बताया, ‘तीन अन्य मृतकों के परिजनों ने मृत्यु को प्राकृतिक कारणों से बताते हुए पोस्टमॉर्टम कराने से इनकार कर दिया.’
पुलिस अधीक्षक आनंद कुमार ने बताया कि मोहम्मदपुर थाने के प्रभारी रंजन कुमार और एक चौकीदार को निलंबित कर दिया गया है और तीन कथित शराब विक्रेताओं छोटे लाल साह, जितेंद्र साह और राम प्रवेश साह को गिरफ्तार किया गया है.
उन्होंने यह भी दावा किया कि कई जगहों पर छापा मारकर 100 लीटर जहरीली शराब बरामद की गई.
इस बीच, पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की की बात कही और त्योहार के दौरान ‘गलत चीज’ के सेवन पर निराशा जताई.
विधानसभा से बाहर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए नीतीश ने कहा, ‘राज्य में शराबबंदी को कड़ाई से लागू करने के लिए मैं गहन समीक्षा करूंगा. लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा है कि शराब पीने की बुरी आदत के खिलाफ व्यापक अभियान चलाने की जरूरत है.’
राज्य में अप्रैल 2016 से शराब के सेवन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध है. नीतीश कुमार सरकार ने 5 अप्रैल 2016 को राज्य में शराब के निर्माण, व्यापार, भंडारण, परिवहन, बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगा दिया था. मुख्यमंत्री ने लोगों से इस मिशन में सहयोग करने की अपील की थी, क्योंकि ‘शराब स्वास्थ्य और समाज के लिए खराब है.’
इससे पहले अधिकारियों ने बताया था कि 28 अक्टूबर से मुजफ्फरपुर जिले के रूपौली गांव में जहरीली शराब पीने से आठ लोगों की मौत हो गई थी और चार का मुजफ्फरपुर के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है.
उन्होंने बताया था कि इस साल जनवरी से 31 अक्टूबर तक नवादा, पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सीवान और रोहतास जिलों में कथित रूप से जहरीली शराब पीने से करीब 70 लोगों की मौत हो चुकी है और कई अन्य की आंखों की रोशनी चली गई है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)