बिहार: ज़हरीली शराब से चार और लोगों की मौत, दिवाली के बाद से मृतक संख्या 40 हुई

बिहार में अप्रैल 2016 से लागू शराबबंदी के बावजूद मौत के ये मामले सामने आए हैं. मौत के नए मामले समस्तीपुर ज़िले से आए हैं. मृतकों में सेना के एक जवान और बीएसएफ के एक कर्मचारी भी शामिल हैं. इससे पहले गोपालगंज और पश्चिमी चंपारण ज़िलों में ज़हरीली शराब के सेवन से कम से कम 33 लोगों की मौत हो गई थी.

बिहार के गोपालगंज जिले में जहरीली शराब पीने से मारे गए लोगों के परिजन. (फोटो: पीटीआई)

बिहार में अप्रैल 2016 से लागू शराबबंदी के बावजूद मौत के ये मामले सामने आए हैं. मौत के नए मामले समस्तीपुर ज़िले से आए हैं. मृतकों में सेना के एक जवान और बीएसएफ के एक कर्मचारी भी शामिल हैं. इससे पहले गोपालगंज और पश्चिमी चंपारण ज़िलों में ज़हरीली शराब के सेवन से कम से कम 33 लोगों की मौत हो गई थी.

बिहार के गोपालगंज जिले में जहरीली शराब पीने से मारे गए लोगों के परिजन. (फोटो: पीटीआई)

समस्तीपुर/पटना: शराब पर पूर्ण प्रतिबंध वाले बिहार में शनिवार को अवैध शराब के सेवन से चार और लोगों की मौत हो गई, जिसके बाद राज्य में दिवाली से अब तक विभिन्न जिलों में इससे मरने वालों की संख्या बढ़ कर 40 हो गई है.

मौत के नए मामले समस्तीपुर जिले से आए हैं. इससे पहले गोपालगंज और पश्चिमी चंपारण जिलों में जहरीली शराब के सेवन से कम से कम 33 लोगों की मौत हो गई थी.

समस्तीपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) मानवजीत सिंह ढिल्लों के अनुसार, मृतकों में सेना के एक जवान और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक कर्मचारी समेत चार लोग शामिल हैं. उन्होंने बताया कि ये सभी पटोरी थाना क्षेत्र की रूपौली पंचायत के अंतर्गत आने वाले गांवों के निवासी थे.

ढिल्लों ने कहा, ‘बीमार होने वाले दो व्यक्तियों का अभी एक अस्पताल में इलाज हो रहा है. हमें पता चला है कि वे सभी एक अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे, जिसके बाद उन्होंने छुट्टी पर घर आए सेना के जवान द्वारा लाई गई शराब का सेवन किया.’

उन्होंने कहा कि एक जगह से भारत में निर्मित विदेशी शराब (आईएमएलफएल) की एक बोतल बरामद की गई, जहां लोगों ने शराब का सेवन किया गया था. शराब के नमूने के रासायनिक विश्लेषण के लिए फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) के अधिकारियों की एक टीम को बुलाया गया है.

एसपी ने कहा, ‘हम मामले की जांच कर रहे हैं. बताया जाता है कि कुछ और लोगों ने शराब का सेवन किया था और शराब पीने के बाद वे बीमार हो गए. हम उनके परिवार के सदस्यों से पुलिस को मामले के बारे में सूचित करने का आग्रह करते हैं. हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता बीमारों का इलाज कराना है.’

इस बीच युवा कांग्रेस के नेताओं के एक समूह ने पटना में संवाददाता सम्मेलन किया और बताया कि उन्होंने राज्यपाल को एक पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि प्रत्येक मृतक के परिजन को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाए क्योंकि ‘मौतें शराबबंदी को ठीक से लागू करने में राज्य सरकार की विफलता को उजागर करती हैं.’

राज्य के विपक्षी दल राजद की ओर से ट्वीट कर कहा गया है, ‘हर जहरीली शराब कांड से होने वाली मृत्यु को शराबबंदी लागू करने में पूरी तरह विफल बिहार सरकार के संरक्षण और स्वीकृति से किया गया संस्थागत हत्या ही माना जाना चाहिए, क्योंकि सरकारी सहयोग और समर्थन के बिना किसी शराब माफिया का अवैध व्यापार कहीं फल फूल नहीं सकता!’

राजद नेता तेजस्वी यादव ने मौत के इन मामलों पर बिहार की नीतीश कुमार सरकार पर निशाना साधा है. एक फेसबुक पोस्ट में उन्होंने तमाम आरोप सरकार पर सवाल उठाए हैं.

उन्होंने कहा, ‘बिहार में आए दिन शराब की कथित बड़ी-बड़ी ख़ेप पकड़ाती है. जब्त किए गए शराब और गाड़ी की पुनः तस्करों के हवाले करने के लिए थानों से ही बोली लगती है जिसका बड़ा हिस्सा प्रशासन और पुलिस के अफसरों तथा सत्तारूढ़ नेताओं के जेबें गरम करती हैं. क्या मुख्यमंत्री को इस बात की जानकारी नहीं है? बिल्कुल है!’

तेजस्वी यादव ने एक ट्वीट कर कहा, ‘नीतीश सरकार की अवैध शराब के कारोबार और तस्करी में सीधी एवं प्रत्यक्ष संलिप्तता है. सिपाही और चौकीदार को बर्खास्त करना ही शराबबंदी नहीं है. बिहार में मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग तथा पुलिस का कोई भी शीर्ष अधिकारी आज तक बर्खास्त नहीं हुआ, क्योंकि इनके बिना सरकार शराब नहीं बेच सकती.’

उन्होंने कहा, ‘विगत तीन दिनों में शराब माफिया संग मिल बिहार सरकार द्वारा आपूर्ति की गई जहरीली शराब से बिहार में 50 से अधिक लोगों की संस्थागत हत्या हुई है. शोकसंतप्त परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं. शराबबंदी का ढोंग करने वाले संवेदनहीन मुखिया चुप है, क्योंकि मिलीभगत जो है.’

उन्होंने सवाल उठाया, ‘क्या यह सच्चाई नहीं है कि थानों से शराब की बिक्री हो रही है और कमीशन सरकार तक नहीं पहुंच रहा? क्या यह यथार्थ नहीं है कि शराबबंदी के नाम पर मुख्यमंत्री द्वारा की गईं हज़ारों समीक्षा बैठकों का अभी तक का परिणाम शून्य ही नहीं, बल्कि तस्करों को प्रोत्साहित करने वाला ही साबित हुआ है?’

पूर्व विधायक और पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में से एक, ऋषि मिश्रा ने आरोप लगाया, ‘सत्तारूढ़ गठबंधन में भागीदार भारतीय जनता पार्टी की भूमिका की भी जांच की जानी चाहिए. पूर्व में पार्टी के मंत्री के परिसरों से शराब बरामद की गई थी.’

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कैबिनेट के प्रभावशाली सदस्य, दिवंगत ललित नारायण मिश्रा के पोते ऋषि मिश्रा राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य राम सूरत राय की ओर इशारा कर रहे थे. इस साल की शुरुआत में राय के अलग रह रहे भाई के स्वामित्व वाले परिसर से शराब बरामद की गई थी.

नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के सदस्य रह चुके मिश्रा ने कहा, ‘भाजपा बिहार में शराब पर प्रतिबंध को लेकर काफी उत्साहित थी, हालांकि उसने अपने शासन वाले किसी अन्य राज्य में शराबबंदी नहीं की है. इस दोहरे रवैये को बेनकाब करने की जरूरत है.’

बाद में, भाजपा की बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने ने हाल ही में जहरीली शराब त्रासदियों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि ‘मद्य निषेध कानून को राज्य में और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने की जरूरत है .’

जायसवाल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘मैं शराब से संबंधित मौतों के बारे में सुनकर स्तब्ध हूं. कानून लागू करने वाली एजेंसियों को बिहार में शराब माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. राज्य सरकार ने शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है. जो लोग नियमों की धज्जियां उड़ाने की कोशिश कर रहे हैं, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.’

उन्होंने सुझाव दिया कि प्रतिबंध को लागू करने में कानून लागू करने वाली एजेंसियों की भूमिका की समीक्षा की जानी चाहिए और राज्य को बाहर से शराब की आपूर्ति करने वालों पर भी रोक लगाई जानी चाहिए.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को अपनी सरकार के शराबबंदी कानून को पटरी से उतारने की कोशिश करने वालों के खिलाफ व्यापक कार्रवाई के आदेश दिए थे.

राज्य में अप्रैल 2016 से शराब के सेवन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध है. नीतीश कुमार सरकार ने 5 अप्रैल 2016 को राज्य में शराब के निर्माण, व्यापार, भंडारण, परिवहन, बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगा दिया था. मुख्यमंत्री ने लोगों से इस मिशन में सहयोग करने की अपील की थी, क्योंकि ‘शराब स्वास्थ्य और समाज के लिए खराब है.’

इससे पहले अधिकारियों ने बताया था कि 28 अक्टूबर से मुजफ्फरपुर जिले के रूपौली गांव में जहरीली शराब पीने से आठ लोगों की मौत हो गई थी और चार का मुजफ्फरपुर के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है.

उन्होंने बताया था कि इस साल जनवरी से 31 अक्टूबर तक नवादा, पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सीवान और रोहतास जिलों में कथित रूप से जहरीली शराब पीने से करीब 70 लोगों की मौत हो चुकी है और कई अन्य की आंखों की रोशनी चली गई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)