रफाल सौदा: दासो एविएशन ने ‘फ़र्ज़ी बिल’ के ज़रिये बिचौलिए को रिश्वत दी थी- रिपोर्ट

फ्रांसीसी वेबसाइट मेदियापार के अनुसार, सीबीआई को 11 अक्टूबर 2018 को मॉरीशस के अटॉर्नी-जनरल के कार्यालय से कई दस्तावेज़ मिले थे, जिसमें 'फ़र्ज़ी बिल' भी शामिल थे. ऐसा जांच एजेंसी को रफाल मामले में भ्रष्टाचार से संबंधित आधिकारिक शिकायत मिलने के ठीक एक सप्ताह बाद हुआ था.

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Bengaluru: A Rafale fighter aircraft rehearses for fly-past ahead of 12th edition of AERO India 2019 at Yelahanka airbase in Bengaluru, Monday, Feb 18, 2019. (PTI Photo/Shailendra Bhojak) (PTI2_18_2019_000138B)
Bengaluru: A Rafale fighter aircraft rehearses for fly-past ahead of 12th edition of AERO India 2019 at Yelahanka airbase in Bengaluru, Monday, Feb 18, 2019. (PTI Photo/Shailendra Bhojak) (PTI2_18_2019_000138B)

फ्रांसीसी वेबसाइट मेदियापार के अनुसार, सीबीआई को 11 अक्टूबर 2018 को मॉरीशस के अटॉर्नी-जनरल के कार्यालय से कई दस्तावेज़ मिले थे, जिसमें ‘फ़र्ज़ी बिल’ भी शामिल थे. ऐसा जांच एजेंसी को रफाल मामले में भ्रष्टाचार से संबंधित आधिकारिक शिकायत मिलने के ठीक एक सप्ताह बाद हुआ था.

Bengaluru: A Rafale fighter aircraft rehearses for fly-past ahead of 12th edition of AERO India 2019 at Yelahanka airbase in Bengaluru, Monday, Feb 18, 2019. (PTI Photo/Shailendra Bhojak) (PTI2_18_2019_000138B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: फ्रांस की इनवेस्टिगेटिव वेबसाइट मेदियापार की एक नई रिपोर्ट में ऐसे ‘कई फर्जी बिल’ प्रकाशित किए गए हैं, जिसे लेकर ये दावा किया गया है कि इसका इस्तेमाल कर दासो एविएशन की ओर से बिचौलिये सुषेन गुप्ता को साल 2007 से 2012 के बीच सात मिलियन यूरो से अधिक का रिश्वत दी गई थी.

वर्तमान में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में गुप्ता के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है.

इससे पहले मेदियापार ने रिपोर्ट कर बताया था कि गुप्ता का करीब दो दशकों से दासो एविएशन और इसके पार्टनर ‘थेल्स’ के साथ व्यापारिक संबंध हैं और रफाल सौदे को लेकर उन्होंने गुप्ता को ‘ऑफशोर खातों एवं शेल कंपनियों के जरिये कई मिलियन यूरो (करोड़ों रुपये) का भुगतान किया था.

सोमवार को प्रकाशित रिपोर्ट में वेबसाइट ने खुलासा किया कि सीबीआई के पास अक्टूबर 2018 से ही ये सबूत उपलब्ध था कि गुप्ता को गोपनीय तरीके से ‘कम से कम 7.5 मिलियन यूरो (65 करोड़ रुपये) का भुगतान किया गया था.’

रिपोर्ट में कहा गया, ‘उनकी (गुप्ता के) मॉरीशस स्थित कंपनी इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज को फ्रेंच एविएशन फर्म (दासो) से 2007 और 2012 के बीच कम से कम 7.5 मिलियन यूरो मिला था.’ उन्होंने कहा कि ये सब भुगतान फर्जी बिल के जरिये किया गया था.

साल 2007 और 2012 के बीच हुई बोली प्रक्रिया प्रारंभिक एमएमआरसीए टेंडर थी, जिसे दासो ने जीता था.

मेदियापार के अनुसार, सीबीआई को 11 अक्टूबर 2018 को मॉरीशस के अटॉर्नी-जनरल के कार्यालय से कई दस्तावेज मिले थे, जिसमें ‘फर्जी बिल’ भी शामिल था. ऐसा जांच एजेंसी को रफाल मामले में भ्रष्टाचार से संबंधित आधिकारिक शिकायत मिलने के ठीक एक सप्ताह बाद हुआ था.

रफाल सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण और बीजेपी के पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने शिकायत दायर की थी.

मेदियापार ने लिखा है कि भष्टाचार की शिकायत और मॉरीशस से मिली जानकारी दोनों केस के भिन्न पहलू हैं, लेकिन क्या इसके आधार पर जांच की जानी चाहिए थी, इसे लेकर न तो सीबीआई और न ही ईडी ने कोई जवाब दिया है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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