यह नियमावली इसकी सामग्री को लेकर विवादों में थी, जिसके बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एनसीईआरटी को दस्तावेज़ में ‘विसंगतियों’ को ठीक करने के लिए कहा था. जानकारों का कहना है कि इस नियमावली में कुछ भी ग़लत नहीं है, यह स्कूलों में ट्रांसजेंडर्स के लिए समावेशी माहौल बनाने की बात करता है.
नई दिल्ली: विद्यालयों में ट्रांसजेंडर बच्चों को शामिल करने पर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की नई प्रशिक्षण नियमावली को इसकी वेबसाइट से हटा दिया गया है. यह नियमावली इसकी सामग्री को लेकर विवादों में आ गई थी.
एनसीईआरटी के अधिकारियों की ओर से इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई कि क्या नियमावली को वापस ले लिया गया है. इस संबंध में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा एनसीईआरटी को दस्तावेज में ‘विसंगतियों’ को ठीक करने के लिए कहा गया था.
एनसीईआरटी में ‘जेंडर स्टडीज’ विभाग द्वारा प्रकाशित ‘इंक्लूजन आफ ट्रांसजेंडर चिल्ड्रेन इन स्कूल एजुकेशन: कन्सर्न्स एंड रोड मैप’ शीर्षक वाली नियमावली का उद्देश्य शिक्षकों को एलजीबीटीक्यू समुदायों के प्रति शिक्षित करने और संवेदनशील बनाना था.
यह स्कूलों को ट्रांसजेंडर बच्चों के लिए संवेदनशील और समावेशी बनाने के लिए व्यवहारों और रणनीतियों पर प्रकाश डालता है. इन रणनीतियों में लैंगिक रूप से तटस्थ शौचालय और पोशाक का प्रावधान, गैर-शिक्षण कर्मचारियों को संवेदनशील बनाना, ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को परिसर में बोलने के लिए आमंत्रित करना, आदि शामिल है.
एनसीपीसीआर ने कहा था कि एनसीईआरटी की लैंगिक रूप से तटस्थ शिक्षक प्रशिक्षण नियमावली विविध विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों को समान अधिकारों से वंचित करेगी. आयोग ने एनसीईआरटी को इसमें ‘विसंगतियों’ को सुधारने के लिए कहा था.
एनसीपीसीआर ने अपने पत्र में एनसीईआरटी को बताया कि शिकायतकर्ता ने प्रस्तावों का विरोध किया है और एनसीईआरटी को पैनल के सदस्यों की पृष्ठभूमि को सत्यापित करने का निर्देश दिया था.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वैसे तो एनसीईआरटी की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली, लेकिन सूत्रों ने कहा कि एनसीईआरटी ने शिक्षा मंत्रालय को बताया था कि दस्तावेज की अभी भी समीक्षा की जानी है और इसे अनजाने में वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया था.
इस नियमावली को तैयार करने वाली पैनल के एक प्रमुख सदस्य एल. रामाकृष्णनन ने कहा कि एनसीपीसीआर ने जिन बिंदुओं पर आपत्ति जताई है, वो ये दर्शाता है कि सुझावों को ‘गलत मतलब’ निकाला गया है. रामकृष्णन, जो एनजीओ सॉलिडेरिटी एंड एक्शन अगेंस्ट द एचआईवी इंफेक्शन इन इंडिया (साथी) के उपाध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि वह रिपोर्ट पर कायम हैं.
वहीं, एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि था कि उन्हें इस मामले में शिकायत करने वाले का नाम याद नहीं है.
हालांकि, लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी नामक एक संगठन, जो ‘राष्ट्रीय हित में कानूनी एक्टिविज्म’ करने का दावा करता है, ने ट्विटर पर कहा था कि शिकायत ‘कार्यकर्ताओं के एक समूह/प्रो बोनो वकीलों’ द्वारा की गई है.
#UPDATE NCPCR @NCPCR_ has sought clarification from @ncert within 7 days regarding regarding NCERT's obnoxious gender training manual drafted by intellectually bankrupt leftist elements capable of traumatizing students.
Sir @dpradhanbjp any long-term remedy in sight?@AmitShah + pic.twitter.com/hCPGYUEkPT— Legal Rights Observatory- LRO (@LegalLro) November 2, 2021
लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी ने आरोप लगाया था कि ये नियमावली ‘लेफ्ट विचारकों’ द्वारा तैयार किया गया है, जो बच्चों को प्रताड़ित करने के लिए है. उन्होंने इस पर कार्रवाई की मांग करते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भी टैग किया था.
रामाकृष्णनन ने कहा कि शिकायतकर्ताओं ने प्रस्तावों की गलत व्याख्या की है. उन्होंने कहा कि यह नियमावली स्कूलों में केवल लैंगिक रूप से तटस्थ समावेशी बुनियादी ढांचे की आवश्यकता पर जोर देता है, जिसका केंद्र सरकार ने कई मौकों पर और कई नीति दस्तावेजों में उल्लेख किया है.
विशेषज्ञ ने कहा कि शोध से पता चला है कि शौचालयों में ऐसे वर्ग वाले बच्चों के खिलाफ हिंसा होती है और इसीलिए ट्रांसजेंडर बच्चों को ध्यान में रखते हुए शौचालय बनाने की जरूरत है.
इस रिपोर्ट को बनाने में रामाकृष्णनन के अलावा प्रोफेसर और एनसीईआरटी के जेंडर स्टडीज विभाग की पूर्व प्रमुख पूनम अग्रवाल, एनसीईआरटी में प्रोफेसर और जेंडर स्टडीज विभाग की प्रमुख मोना यादव, एनसीईआरटी में जेंडर स्टडीज विभाग की प्रोफेसर मिली रॉय आनंद, दिल्ली विश्वविद्यालय में वयस्क और सतत शिक्षा और विस्तार विभाग के प्रोफेसर राजेश इत्यादि ने भूमिका निभाई थी.
इस नियमावली के मुताबिक, साल 2020 में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा कराई गई 10वीं और 12वीं की परीक्षा में महज 19 और छह ट्रांसजेंडर छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया था.
ये स्थिति उन कई वजहों में से एक हैं, जिसे लेकर एनसीईआरटी ने ट्रांसजेंडर्स के अनुरूप स्कूल में माहौल बनाने की बात की थी, लेकिन अभी इसे हटा लिया गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)