दुनियाभर में विस्थापितों की संख्या 8.4 करोड़ से ज़्यादा होने की संभावना: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि 2020 के अंत तक विस्थापितों की संख्या 8.24 करोड़ से अधिक थी, जिनमें से अधिकतर अपने ही देश में विस्थापित हैं. एजेंसी के प्रमुख ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय हिंसा, उत्पीड़न व मानवाधिकार उल्लंघन नहीं रोक पा रहे, जिसके चलते लोग लगातार अपना घर छोड़ने को मजबूर हैं.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि 2020 के अंत तक विस्थापितों की संख्या 8.24 करोड़ से अधिक थी, जिनमें से अधिकतर अपने ही देश में विस्थापित हैं. एजेंसी के प्रमुख ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय हिंसा, उत्पीड़न व मानवाधिकार उल्लंघन नहीं रोक पा रहे, जिसके चलते लोग लगातार अपना घर छोड़ने को मजबूर हैं.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

बर्लिन: संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने गुरुवार को कहा कि दुनियाभर में अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए लोगों की संख्या इस साल की पहली छमाही में बढ़कर 8.4 करोड़ से ज्यादा हो सकती है और यह खासतौर पर अफ्रीका में संघर्षों के कारण अधिक बढ़ी.

संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी उच्चायुक्त ने कहा कि विस्थापित लोगों की संख्या 2020 के अंत तक 8.24 करोड़ से अधिक हो गई थी. इनमें से अधिकतर अपने ही देश में विस्थापित हैं.

एजेंसी के प्रमुख फिलिपो ग्रेंडी ने एक बयान में कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय हिंसा, उत्पीड़न और मानवाधिकार उल्लंघन नहीं रोक पा रहा, जिसके कारण लोग लगातार अपने घर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव उन इलाकों में संवेदनशीलताओं को और भी गहरा कर रहे हैं जहां पर ये (जबरन विस्थापित हुए लोग) जा रहे हैं.’

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त कार्यालय (यूएनएचआरसी) की एक रिपोर्ट में पाया गया कि जिन लोगों को उसने शरणार्थी की श्रेणी में रखा, एक छमाही में उनकी संख्या 2.08 करोड़ रही जो बीते पूरे साल के आंकड़े से 1,72,000 अधिक है. शरण की मांग करने वाले लोगों की संख्या 44 लाख है.

इसमें बताया गया कि कुल 11 लाख लोग पहली छमाही में अपने-अपने इलाकों में लौट गए.

रिपोर्ट में बताया गया कि जनवरी से जून के बीच उन 33 देशों में 43 लाख से अधिक नए लोगों का आंतरिक रूप से विस्थापन हुआ जहां पर उसके द्वारा विस्थापन पर नजर रखी जाती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष की पहली छमाही में दुनिया भर में लड़ाई झगड़ों, संघर्षों और हिंसा से बचने के लिए अपने ही देशों के भीतर विस्थापित हुए लोगों की संख्या लगभग पांच करोड़ 10 लाख थी. इनमें ज्यादातर विस्थापित लोग अफ़्रीकी देशों में थे.

रिपोर्ट के अनुसार, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) में लगभग 13 लाख लोग विस्थापित हुए तो, इथियोपिया में विस्थापितों की संख्या करीब 12 लाख थी.

इस बीच, म्यांमार और अफगानिस्तान में हिंसा में बढ़ोत्तरी के कारण भी अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हुआ.

रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध गतिविधियों, कोविड-19 महामारी, गरीबी, खाद्य असुरक्षा और जलवायु आपदा के घातक मिश्रण ने विस्थापित लोगों की तकलीफ़ें बहुत बढ़ा दी है. विस्थापितों में ज्यादातर लोग विकासशील देशों में शरण लिए हुए हैं.

फिलिपो ग्रेंडी ने कहा, ‘अक्सर ऐसे समुदाय और देश जबरन विस्थापित हुए लोगों और शरणार्थियों को अपने यहां पनाह देने का बोझ अपने कन्धों पर उठा रहे हैं, जिनके पास पहले ही बहुत कम संसाधन हैं.’

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त ने आगाह करते हुए कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय को शांति बहाल करने के लिए अपने प्रयास दोगुना बढ़ाने होंगे. साथ ही, ये भी सुनिश्चित करना होगा कि विस्थापित लोगों व उनकी मदद करने वाले मेजबान समुदायों के लिए भी पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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