मधुबनी ज़िले के बेनीपट्टी के रहने वाले 22 वर्षीय पत्रकार बुद्धिनाथ झा नौ नवंबर से लापता थे. शुक्रवार शाम नज़दीक के एक स्टेट हाईवे पर उनका शव मिला. परिजनों का कहना है कि उनकी हत्या के पीछे मेडिकल माफिया का हाथ हो सकता है क्योंकि झा ने कई ग़ैर क़ानूनी क्लीनिक के ख़िलाफ़ शिकायत दायर की थी.
नई दिल्ली: बिहार के मधुबनी जिले में एक आरटीआई कार्यकर्ता और पत्रकार की बर्बर हत्या का मामला सामने आया है. 22 वर्षीय पत्रकार बुद्धिनाथ झा उर्फ अविनाश झा का शव बीते शुक्रवार की शाम को मिला, जो बीते नौ नवंबर से ही गुमशुदा थे.
मधुबनी के बेनीपट्टी गांव के रहने वाले झा एक हिंदी न्यूज पोर्टल बीएनएन न्यूज बेनीपट्टी के साथ काम कर रहे थे.
बुद्धिनाथ झा को आखिरी बार अपने क्लीनिक के पास एक रोड को पार करते हुए देखा गया था, जिसका एक सीसीटीवी फुटेज सामने आई है. उनके भतीजे बीजे बिकाश ने द वायर को बताया कि तब से उनका कोई पता नहीं चल रहा था.
परिजनों का कहना है कि इस हत्या के पीछे मेडिकल माफिया का हाथ हो सकता है क्योंकि झा ने कई गैर-कानूनी क्लीनिक के खिलाफ शिकायत दायर की थी, जिसके बाद उसमें से कुछ को बंद किया गया था और कुछ पर फाइन लगाया गया था.
उन्होंने द वायर से कहा, ‘जब हम सुबह उनके कमरे में गए, तो हमें क्लीनिक के पास उनकी बाइक मिली. उनका लैपटॉप चल रहा था, जिसका मतलब है कि वह कुछ मिनट पहले कहीं जाने की तैयार कर रहे होंगे.’
बीते 10 नवंबर को उनके परिवारवालों ने स्थानीय पुलिस को इसकी सूचना दी. परिजनों के मुताबिक 10 नवंबर की सुबह करीब पांच किलोमीटर दूर एक गांव में उनके मोबाइल फोन के होने का पता चला था.
इसके बाद 11 नवंबर को मृतक के बड़े भाई चंद्रशेखर झा ने बेनीपट्टी पुलिस थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई.
उनकी शिकायत में इलाके के 11 निजी नर्सिंग होम का नाम दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि बुद्धिनाथ के लापता होने में इनकी भूमिका हो सकती है क्योंकि पत्रकार ने उनके खिलाफ लोक शिकायत निवारण अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज कराई थी.
इस बीच उनके दोस्तों और रिश्तेदारों ने उनके लापता होने की खबर फेसबुक पर लिखी. 12 नवंबर को बेनीपट्टी से करीब पांच किलोमीटर दूर एक गांव से बीजे बिकाश को एक फोन आया.
उन्होंने कहा, ‘शाम को लगभग 6:41 बजे मुझे एक फोन आया. फोन करने वाले ने मुझे बताया कि स्टेट हाईवे के किनारे एक लाश मिली है. हम पुलिस के साथ वहां गए और उनका जला हुआ शव मिला. हमने उनकी पहचान की और पोस्टमॉर्टम के बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया.’
बेनीपट्टी पुलिस स्टेशन के एसएचओ अरविंद कुमार ने द वायर को बताया, ‘हमने कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया है. मामले की जांच की जा रही है.’
झा की शिकायतें और उन पर हुई कार्रवाई
बुद्धिनाथ झा ने क्षेत्र में चल रहे बिना लाइसेंस वाले कई निजी क्लीनिकों का पर्दाफाश किया था. जिला लोक शिकायत निवारण अधिकारियों के पास उनके द्वारा दायर की गईं शिकायतों के कारण साल 2020 से निजी क्लीनिकों के खिलाफ जुर्माना और कार्रवाई हुई थी.
इस साल अगस्त में, झा की एक शिकायत के बाद जिला स्वास्थ्य अधिकारियों ने आठ निजी नर्सिंग होम की तलाशी ली थी, जो कथित रूप से उचित लाइसेंस के बिना चलाए जा रहे थे. चार क्लीनिकों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था.
कुछ क्लीनिकों ने कार्रवाई से बचने के लिए अपना पता बदल लिया था. पुलिस ने कुछ क्लीनिकों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की थी.
मधुबनी जिले के सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने पुष्टि की कि बुद्धिनाथ झा की शिकायतों के बाद अनधिकृत क्लीनिकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है.
उनके रिश्तेदारों ने कहा कि उन्होंने साल 2019 में एक नर्सिंग होम खोला था, जहां विभिन्न क्षेत्रों के डॉक्टर मरीजों का इलाज करते थे. इससे स्थानीय डॉक्टर नाराज हो गए थे, जिसके कारण उन्हें क्लीनिक बंद करना पड़ा.
रिश्तेदारों के अनुसार, इसके बाद उन्होंने (बुद्धिनाथ झा) क्षेत्र में अनधिकृत क्लीनिकों की पहचान करने का फैसला किया. इसे लेकर उन्होंने कई आरटीआई आवेदन दायर किए और संबंधित विभागों में शिकायतें दर्ज कराई.
एक अन्य बड़े भाई त्रिलोक झा ने कहा, ‘निजी नर्सिंग होम के खिलाफ की गई कार्रवाई से इसके मालिक नाराज थे. उन्होंने कई बार उन्हें धमकी दी और शिकायत दर्ज कराने से रोकने पर पैसे की पेशकश भी की थी. लेकिन वह उन्हें बेनकाब करने पर अड़े रहे.’
बुद्धिनाथ के सहयोगी कन्हैया कश्यप ने द वायर को बताया, ‘स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई के बावजूद, कुछ अवैध निजी क्लीनिक अभी भी नए नामों से चल रहे थे. वह उनके खिलाफ शिकायतें दायर करने की योजना बना रहा थे.’
कश्यप ने आगे कहा, ‘एक हफ्ते पहले बुद्धिनाथ ने मुझसे कहा कि वह फिर से स्वास्थ्य अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराएंगे. फेसबुक पर उन्होंने सात नवंबर को एक पोस्ट किया था कि 15 नवंबर से ‘खेल शुरू होगा’ जो यह दर्शाता है कि वह उस दिन अनधिकृत क्लीनिकों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाले थे.’
त्रिलोक झा ने कहा, ‘हमें संदेह है कि मेडिकल माफिया ने साजिश रची और अपहरण के बाद उन्हें जलाकर मार डाला.’
जब द वायर ने थाना प्रभारी (एसएचओ) से हत्या के पीछे के मकसद के बारे में पूछा, तो अधिकारी ने कहा कि वह तभी टिप्पणी करेंगे जब अधिक जानकारी उपलब्ध होगी.
विपक्ष ने साधा निशाना
इस बीच विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने झा की हत्या को लेकर नीतीश कुमार सरकार की आलोचना की है.
उन्होंने कहा, ‘सच बोलना और गलत कार्यों का विरोध करना नीतीश कुमार के शासन में सबसे बड़ा अपराध है. जो लोग सरकार चला रहे हैं उन्होंने अपने फायदे के लिए अपराधियों और माफियाओं का मनोबल बढ़ाया है.’
बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष मदन मोहन झा ने भी इस घटना को लेकर ट्वीट करते हुए कहा, ‘कल सामाजिक कार्यकर्ता नवीन झा और आज आरटीआई कार्यकर्ता अविनाश झा की हत्या कर दी गई. नीतीश कुमार जी, अपने पिछले 15 साल के प्रदर्शन को छोड़िए, अब अपना प्रदर्शन दिखाएं.’
मालूम हो कि बिहार में साल 2006 के बाद 20 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है.
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