साल 2016 में भाजपा के पूर्व सांसद हुकुम सिंह ने दावा किया था कि 2013 के दंगों से प्रभावित शहरों में से एक कैराना से क़रीब 350 हिंदुओं को अपराधियों की धमकी मिली थी. इसके बाद शामली ज़िला प्रशासन ने एक सर्वेक्षण कर कहा था कि कथित जबरन वसूली की धमकी के बाद केवल तीन परिवारों ने अपना घर छोड़ दिया था.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में साल 2014 और 2016 के बीच शामली जिले के कैराना से कथित रूप से बाहर निकाले गए परिवारों से मुलाकात कर उन्हें मुआवजा और सुरक्षा देने का वादा किया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अब यहां के जिलाधिकारी ने कहा है कि उन्होंने ऐसे लोगों की सूची तैयार करने की शुरुआत की है, ‘जो कानून और व्यवस्था की समस्या के कारण कैराना छोड़कर गए थे और अब वापस आ गए हैं’.
जिलाधिकारी (शामली) जसजीत कौर ने कहा, ‘सर्वेक्षण करने के बाद हम उन लोगों की सूची तैयार करेंगे, जो 2013-14 में कानून-व्यवस्था की समस्या के बाद कैराना शहर छोड़ कर चले गए थे और अब वापस आ गए हैं. राजस्व विभाग की एक टीम ऐसे परिवारों की पहचान करेगी और स्थानीय लोगों की मदद से सूची तैयार करेगी.’
डीएम ने कहा कि किसी भी कन्फ्यूजन से बचने के लिए जिला प्रशासन द्वारा तैयार की गई सूची को स्थानीय पुलिस यूनिट द्वारा सत्यापित किया जाएगा.
साल 2016 में भाजपा के पूर्व सांसद हुकुम सिंह ने दावा किया था कि 2013 के दंगों से प्रभावित शहरों में से एक कैराना से करीब 350 हिंदुओं को अपराधियों की धमकी मिली थी. इसके बाद शामली जिला प्रशासन ने एक सर्वेक्षण किया था और कहा था कि कथित जबरन वसूली की धमकी के बाद केवल तीन परिवारों ने अपना घर छोड़ दिया था.
CM Yogi Adityanath meets Kairana residents who returned after the migration in 2016
According to reports, several families in Kairana had migrated in 2016 due to threats from another community. pic.twitter.com/nygnDsHqzV
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 8, 2021
बीते रविवार को शामली की डीएम जसजीत कौर ने कहा कि वह हुकुम सिंह की सूची और जिला प्रशासन द्वारा तैयार की गई जांच रिपोर्ट का अध्ययन करेंगी.
बीते आठ नवंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैराना में कुछ परिवारों से मुलाकात की थी, जिनमें तीन ने अपराधियों के हमले में परिवार के सदस्यों को खोया था. मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘मैंने जिला प्रशासन से उन परिवारों के बारे में रिपोर्ट मांगी है, जिन्हें नुकसान हुआ है और उनके सदस्य मारे गए हैं.’
तीनों परिवार- राजेंद्र कुमार गर्ग, उनके चचेरे भाई शिव कुमार सिंघल और विनोद कुमार सिंघल के हैं, जिनकी साल 2014 में कैराना में अलग-अलग घटनाओं में अपराधियों को रंगदारी नहीं देने के चलते हत्या कर दी गई थी.
राजेंद्र कुमार गर्ग और शिव कुमार सिंघल संयुक्त रूप से एक दुकान चलाते थे, जबकि विनोद कुमार के पास किराने की दुकान थी.
राजेंद्र कुमार गर्ग और शिव कुमार सिंघल के परिवार पड़ोसी जिला मुजफ्फरनगर में बस गए हैं, जबकि विनोद कुमार सिंघल का परिवार कैराना लौट आया है.
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए शिव कुमार सिंघल की पत्नी अनु ने कहा कि अपने पति की हत्या के बाद वह अपने तीन बच्चों के साथ मुजफ्फरनगर चली आई थीं और तब से अपने साले के परिवार के साथ रह रही हैं.
उन्होंने बताया कि पहले वे आजीविका के लिए कपड़े सिलने का काम करती थीं, लेकिन अब इसे बंद कर दिया है. उनका बेटा एक निजी फर्म में काम करता है और घर चलाता है. दो बेटियों की शादी हो चुकी है.
राजेंद्र कुमार गर्ग की पत्नी रेखा ने कहा कि वह भी मुजफ्फरनगर शिफ्ट होने के बाद आजीविका के लिए कपड़े सिलती थीं.
उन्होंने कहा, ‘मेरा बेटा एक निजी कंपनी में नौकरी कर रहा है और घर चला रहा है. मुख्यमंत्री से मिलने के बाद मैं सरकार द्वारा हमारे लिए तय किए गए मुआवजे का बेसब्री से इंतजार कर रही हूं.’