मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को उनके ख़िलाफ़ महाराष्ट्र में दर्ज आपराधिक मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ़्तारी से संरक्षण दिया है. सिंह ने महाराष्ट्र ने पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. सिंह का दावा है कि उन्हें आपराधिक मामलों में फंसाया गया है.
नई दिल्ली/मुंबई: सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को उनके खिलाफ महाराष्ट्र में दर्ज आपराधिक मामलों में सोमवार को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया.
इसके साथ ही न्यायालय ने सिंह की याचिका पर राज्य सरकार, उसके पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किए.
सिंह ने महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. उन्होंने इस याचिका में खुद को आपराधिक मामलों में फंसाने का आरोप लगाया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, अपने वकील के माध्यम से सिंह ने कहा, ‘मैं देश में ही हूं लेकिन मेरी जान को खतरा होने के चलते छिपा हुआ हूं.’
उल्लेखनीय है कि अक्टूबर महीने की शुरुआत में मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त के देश छोड़कर फरार होने की खबरों के बीच उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया था.
सिंह के अपने घर पर नहीं पाए जाने और केंद्र और राज्य की एजेंसियों द्वारा कई बार समन दिए जाने के बावजूद पेश न होने के बाद यह नोटिस जारी किया गया था. उस समय ऐसी अपुष्ट ख़बरें सामने आई थीं कि गिरफ़्तारी से डर से सिंह देश छोड़कर भाग गए हैं.
सिंह ने आगे कहा कि वे 48 घंटों के अंदर सीबीआई के सामने पेश होने के लिए तैयार हैं. परमबीर सिंह ने दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण के अलावा उनसे जुड़े पूरे मामले की सीबीआई जांच का अनुरोध किया है.
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने सिंह की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार, डीजीपी संजय पांडे और सीबीआई को नोटिस जारी किए.
पीठ ने अपने आदेश दिया, ‘नोटिस जारी किया जाता है. छह दिसंबर को इसका जवाब देना होगा. इस बीच, याचिकाकर्ता जांच में शामिल होगा और उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.’
अदालत ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और परमबीर सिंह के बीच चल रही खींचतान पर भी चिंता व्यक्त की और कहा, ‘हमें यह तस्वीर बहुत परेशान करने वाली लगती है.’ उन्होंने यह भी कहा कि मामला विचित्र होता जा रहा है.
गौरतलब है कि इस साल मार्च महीने में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ रिश्वत के आरोप लगाए थे और अदालत ने जांच एजेंसी को इन आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया था.
देशमुख ने इन आरोपों के बाद अप्रैल में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने इन आरोपों को खारिज किया था. वर्तमान में वे मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में न्यायिक हिरासत में हैं.
उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के बाहर एक एसयूवी से विस्फोटक सामग्री मिलने के मामले की जांच के दौरान सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वझे की भूमिका सामने आने के बाद सिंह को उनके पद से हटा दिया गया था. वझे को भी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.
पुलिस आयुक्त के पद से हटाए जाने के बाद सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि देशमुख ने वझे को मुंबई के बार और रेस्तरां से एक महीने में 100 करोड़ रुपये से अधिक की रकम वसूलने को कहा था.
सिंह ने कहा कि वझे पर अत्यधिक दबाव था और उन्होंने इसकी शिकायत कई बार सिंह से की थी. सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों इन आरोपों की जांच कर रहे हैं.
वहीं, देशमुख ने इन जांच के खिलाफ अदालत का रुख किया था और इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया था. राज्य सरकार ने सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए सेवानिवृत्त जज केयू चांदीवाल की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था.
इस आयोग ने कई बार सिंह को तलब किया और यहां तक कि एक बार सिंह के खिलाफ जमानती वारंट भी जारी किया गया लेकिन सिंह आयोग के समक्ष पेश नहीं हुए.
जांच आयोग ने हस्ताक्षर की जांच करने के लिए परमबीर सिंह से हलफनामा दायर करने को कहा
महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए गठित जांच आयोग ने सोमवार को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को सत्यापन के लिए अपने हस्ताक्षर के साथ एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.
सेवानिवृत्त जस्टिस केयू चांदीवाल ने यह निर्देश तब दिया जब देशमुख की वकील ने आयोग के समक्ष प्रस्तुत दो अलग-अलग दस्तावेजों पर सिंह के हस्ताक्षर में अंतर की ओर इशारा किया.
देशमुख की वकील अनीता कैस्टालिनो ने आयोग से कहा कि सिंह द्वारा प्रस्तुत हलफनामे और पावर ऑफ अथॉरिटी दस्तावेज में हस्ताक्षर और आयोग के समक्ष पेश नहीं होने के लिए जुर्माना राशि जमा करने वाले चेक पर हस्ताक्षर अलग लग रहा है.
कैस्टालिनो ने कहा, ‘‘खुली आंखों से देखने पर पता चल सकता है कि हस्ताक्षर अलग हैं. परमबीर सिंह द्वारा हस्ताक्षरित अथॉरिटी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर उनके हस्ताक्षर बिल्कुल नहीं हैं. किसी चेक पर जाली हस्ताक्षर नहीं हो सकते हैं, इसलिए यह उनका वास्तविक हस्ताक्षर है.’
पावर ऑफ अथॉरिटी दस्तावेज और हलफनामे में, सिंह ने आयोग से कहा था कि वह बयान के लिए उसके सामने पेश नहीं होना चाहते क्योंकि देशमुख के खिलाफ उनके आरोपों में कुछ और जोड़ने के लिए उनके पास और कुछ नहीं है.
कैस्टालिनो ने सोमवार को आयोग से कहा कि सिंह को भविष्य में यह दावा नहीं करना चाहिए कि पावर ऑफ अथॉरिटी उनके द्वारा जमा नहीं की गई थी. इसके बाद जस्टिस चांदीवाल ने परमबीर सिंह के वकील अभिनव चंद्रचूड़ और अनुकुल सेठ से आईपीएस अधिकारी के हस्ताक्षर वाला एक हलफनामा दाखिल करने को कहा.
जस्टिस चांदीवाल ने कहा, ‘मुझे परमबीर सिंह द्वारा हस्ताक्षरित एक हलफनामा चाहिए. यदि आप चाहते हैं तो मैं इस आशय का एक आदेश पारित करूंगा.’ इस पर चंद्रचूड़ ने कहा कि मौखिक आदेश पर्याप्त होंगे और वह सिंह से निर्देश लेंगे.
बर्खास्त पुलिसकर्मी सचिन वझे को भी सोमवार को आयोग के समक्ष उनका बयान दर्ज करने के लिए पेश किया गया था. आयोग ने कहा कि वह मंगलवार को वझे का बयान दर्ज करेगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)