सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा- नौकरशाह क्या कर रहे हैं?

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने हैरानी जताई कि नौकरशाह क्या कर रहे हैं. मुख्य सचिव जैसे अधिकारियों को किसानों, विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के पास जाकर उनसे मुलाकात करनी चाहिए. अदालत ने कहा कि प्रदूषण पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को एक वैज्ञानिक अध्ययन कराना होगा और स्थिति को भांपते हुए एहतियातन कार्रवाई करनी होगी.

(फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने हैरानी जताई कि नौकरशाह क्या कर रहे हैं. मुख्य सचिव जैसे अधिकारियों को किसानों, विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के पास जाकर उनसे मुलाकात करनी चाहिए. अदालत ने कहा कि प्रदूषण पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को एक वैज्ञानिक अध्ययन कराना होगा और स्थिति को भांपते हुए एहतियातन कार्रवाई करनी होगी.

13 नवंबर 2021 को स्मॉग से घिरा सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र तथा एनसीआर राज्यों से वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए लागू किए उपायों को कुछ दिनों तक जारी रखने के निर्देश दिए और कहा कि पहले से स्थिति का अनुमान लगाकर प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए एहतियातन कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.

प्रदूषण की मौजूदा स्थिति से चिंतित न्यायालय ने कहा कि आखिर हम दुनिया को क्या संदेश भेज रहे हैं.

अदालत ने भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की मदद से पहले ही निवारक कदम उठाने का आह्वान भी किया, जिसके पास स्थिति के गंभीर होने से पहले इससे निपटने के लिए ‘परिष्कृत तंत्र और उपकरण’ हैं.

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘दिल्लीवासियों को इस गंभीर और बेहद खराब वायु गुणवत्ता को क्यों झेलना चाहिए? यह राष्ट्रीय राजधानी है. देखिए हम दुनिया को क्या संदेश दे रहे हैं. आप पहले से ही स्थिति को भांपते हुए इन गतिविधियों को बंद कर सकते हैं, ताकि स्थिति गंभीर न हो.’

अदालत ने कहा कि स्थिति गंभीर होने से पहले ही बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए लगातार कदम उठाए जाने चाहिए.

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह मामले को बंद नहीं करेगा और सुनवाई जारी रखेगा, चाहे ‘ईश्वर की कृपा से या प्रतिबंधों’ के कारण प्रदूषण में कमी आ जाए.

सुनवाई की शुरुआत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पिछले आदेश के बाद स्थिति में सुधार हुआ है, क्योंकि वायु गुणवत्ता सूचकांक 16 नवंबर को 403 पर था, जो कि अब 260 है.

इस पर अदालत ने कहा, ‘शाम तक हवा की गति शून्य हो जाएगी. वे इसे ईश्वर का कार्य कहते हैं.’

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की विशेष पीठ ने कहा, ‘जब मौसम खराब हो जाता है, तब हम कदम उठाते हैं. ये कदम पूर्वानुमान के साथ उठाए जाने जाने चाहिए और यह पूर्वानुमान सांख्यिकीय प्रारूप और वैज्ञानिक अध्ययन तथा प्रवृत्ति पर आधारित होना चाहिए.’

उन्होंने कहा कि आईएमडी के पास अब परिष्कृत तंत्र और उपकरण हैं और उसके पास हवा की अपेक्षित दिशा और उस समय की अवधि से संबंधित सांख्यिकीय आंकड़े उपलब्ध होने चाहिए, जब हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है. इन आंकड़ों का उपयोग एनसीआर और इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के वास्ते निवारक कदम तैयार करने में किया जा सकता है.

पीठ ने कहा, ‘आपके पास उन दिनों कंप्यूटर नहीं होते थे और अब आपके पास सुपर कंप्यूटर हैं और अगर आप पिछले पांच साल के आंकड़े के आधार पर सांख्यिकीय मॉडल बनाते हैं तो इसके आधार पर आप अगले 15 दिनों के संभावित प्रदूषण स्तर को ध्यान में रखते हुए योजना बना सकते हैं. दिल्लीवासियों को इस गंभीर और बेहद खराब वायु गुणवत्ता को क्यों झेलना चाहिए?’

न्यायालय ने कहा कि औद्योगिक प्रदूषण, थर्मल संयंत्र, वाहनों के उत्सर्जन, धूल नियंत्रण, डीजल जेनरेटर से निपटने के लिए एनसीआर और उससे जुड़े इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा सुझाए कदमों के साथ ही घर से काम करना कुछ समय के लिए जारी रहे.

पीठ ने कहा, ‘अगले दो-तीन दिन के लिए उपाय करें और हम अगले सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करेंगे. इस बीच अगर प्रदूषण 100 एक्यूआई पर पहुंचता है तो आप कुछ प्रतिबंध हटा सकते हैं.’

वायु प्रदूषण की बिगड़ी स्थिति के मद्देनजर ऑटोमैटिक ग्रेडेड कार्य योजना पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों का जिक्र करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा कि ये तदर्थ तंत्र है और प्रदूषण पर आयोग को एक वैज्ञानिक अध्ययन कराना होगा और स्थिति को भांपते हुए एहतियातन कार्रवाई करनी होगी.

पराली जलाने के मुद्दे पर पीठ ने हैरानी जताई कि नौकरशाह क्या कर रहे हैं और उसने कहा कि मुख्य सचिव जैसे अधिकारियों को किसानों, विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के पास जाकर उनसे मुलाकात करनी चाहिए.

पीठ ने कहा, ‘जैसे कि एक सरकारी वकील और हम न्यायाधीश इस पर चर्चा कर रहे हैं. इतने वर्षों में नौकरशाही क्या कर रहा है? उन्हें गांवों में जाने दीजिए, वे खेतों में जा सकते हैं, किसानों से बात कर सकते हैं और फैसला ले सकते हैं. वे वैज्ञानिकों को शामिल कर सकते हैं और यह क्यों नहीं हो सकता.’

निर्माण मजदूरों के मुद्दे पर न्यायालय ने कहा कि राज्यों के पास रियल एस्टेट कंपनियों से लिए श्रम उपकर के तौर पर बड़ी निधि है और ये निधि उन मजदूरों को दी जा सकती है जो प्रतिबंध के कारण अपनी आजीविका से वंचित हैं.

सुनवाई की शुरुआत में सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने उन कदमों का जिक्र किया जो बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए लागू किए गए हैं और उन्होंने कहा कि स्थिति की कुछ दिनों में समीक्षा की जाएगी.

उन्होंने कहा कि कुछ अपवादों को छोड़कर ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने, सभी सरकारी और निजी शैक्षिक संस्थानों को पूरी तरह बंद करने और राष्ट्रीय राजधानी के 300 किलोमीटर के दायरे में छह थर्मल ऊर्जा संयंत्रों को बंद करने जैसे उपाय अब भी लागू हैं.

इससे पहले पीठ ने प्राधिकारियों को वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए एक बैठक में लिए गए फैसलों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे.

मालूम हो कि बीते 13 नवंबर को उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी को ‘आपात’ स्थिति करार दिया था और केंद्र एवं दिल्ली सरकार से कहा था कि वे वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए आपात कदम उठाएं.

दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में, न्यूनतम तापामन 9.7 डिग्री सेल्सियस

इस बीच दिल्ली में बृहस्पतिवार को सुबह नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 390 दर्ज किए जाने के साथ ही वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली में बुधवार को 24 घंटे का औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 361 था. वायु गुणवत्ता सूचकांक फरीदाबाद में 394, गाजियाबाद में 362, गुड़गांव में 322 और नोएडा में 330 दर्ज किया गया.

एक्यूआई को शून्य और 50 के बीच ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में न्यूनतम तापमान सामान्य से दो डिग्री कम 9.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. अधिकतम तापमान के 28 डिग्री सेल्सियस के आसापास रहने का अनुमान है. सुबह साढ़े आठ बजे हवा में आर्द्रता का स्तर 95 प्रतिशत रहा.

मौसम वैज्ञानिकों ने दिल्ली में बृहस्पतिवार को ‘आसमान आमतौर पर साफ रहने’ का पूर्वानुमान लगाया है.

दिल्ली में स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालय 29 नवंबर से फिर खुलेंगे

दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता में सुधार के मद्देनजर स्कूल, कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थानों में प्रत्यक्ष कक्षाएं तथा सरकारी दफ्तरों को 29 नवंबर से फिर शुरू करने का बुधवार को फैसला किया है.

हालांकि गैर जरूरी सामान लेकर आने वाले ट्रकों के प्रवेश पर रोक तीन दिसंबर तक जारी रहेगी.

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए पाबंदियों की समीक्षा के लिए आयोजित एक बैठक के बाद कहा कि सीएनजी और इलेक्ट्रिक ट्रकों को 27 नवंबर से दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी.

राय ने सरकारी कर्मचारियों से सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा, ‘पिछले तीन दिनों में हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है. शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) दिवाली से पहले के दिनों जैसा हो गया है.’

इससे पहले दिल्ली सरकार ने 13 नवंबर को सभी शिक्षण संस्थानों को बंद करने, निर्माण और तोड़-फोड़ की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था.

दिल्ली सरकार ने इसके साथ ही अपने कर्मचारियों को, वायु प्रदूषण से निपटने तथा स्वास्थ्य पर इसके प्रभावों से बचने के लिए घर से काम करने के लिए कहा था.

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बृहस्पतिवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध फिर से लागू करने से प्रभावित मजदूरों को वित्तीय सहायता देने के लिए श्रम विभाग को एक योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं.

राय ने कहा, ‘प्रतिबंध फिर से लागू करने से मजदूरों को असुविधा होगी इसलिए हम उन्हें वित्तीय सहायता मुहैया कराएंगे. हमने श्रम विभाग को इस संबंध में एक योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं.’

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली-एनसीआर में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध अगले आदेश तक फिर से लागू कर दिया.

गैर प्रदूषणकारी निर्माण गतिविधियां जैसे कि प्लंबिंग का काम, घर की आंतरिक सजावट, बिजली का काम और बढ़ई के काम आदि को अनुमति दी गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘निर्माण गतिविधियों पर रोक की अवधि के दौरान राज्य निर्माण क्षेत्र के कामगारों के कल्याण के लिए एकत्रित किए गए श्रम उपकर का इस्तेमाल उन्हें गुजरा भत्ता देने के लिए और संबंधित श्रेणी के कामगारों को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत अधिसूचित वेतन देने के लिए करे.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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