ट्रैक्टर मार्च को स्थगित करने का निर्णय संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले आया है. इस सत्र के दौरान तीन कृषि क़ानून निरस्त करने के लिए विधेयक पेश किया जाना है. इसके साथ ही किसान संगठनों ने केंद्र से उनकी लंबित मांगों के समाधान के लिए फिर से बातचीत शुरू करने का भी आह्वान भी किया है.
नयी दिल्लीः संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 29 नवंबर को संसद तक होने वाले ट्रैक्टर मार्च को स्थगित कर दिया है और आगे की कार्रवाई पर विचार करने के लिए अगले महीने एक बैठक करने का फैसला किया है.
सिंघू बॉर्डर प्रदर्शन स्थल पर किसान संगठनों की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने केंद्र से उनकी लंबित मांगों के समाधान के लिए फिर से बातचीत शुरू करने का भी आह्वान किया.
एसकेएम नेताओं ने कहा कि किसानों का आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की उनकी मांगों को सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है.
मार्च को स्थगित करने का फैसला संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से दो दिन पहले आया है. संसद सत्र के दौरान तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए एक विधेयक पेश किया जाना है.
एसकेएम के नेता दर्शन पाल ने कहा, हम सोमवार को प्रस्तावित संसद मार्च को स्थगित कर रहे हैं. हमने किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने, आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों का स्मारक बनाने के लिए भूमि आवंटन, लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर अजय मिश्रा ‘टेनी’ को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाने समेत अन्य मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था.
दर्शन पाल ने कहा कि एसकेएम अपनी अगली बैठक चार दिसंबर को आयोजित करेगा, जिसमें प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र पर सरकार की प्रतिक्रिया का विश्लेषण किया जाएगा और उसके अनुसार आगे की कार्रवाई तय की जाएगी.
बता दें कि एसकेएम ने 21 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छह मांगों को लेकर एक खुला पत्र लिखा था और इन पर सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की मांग की.
इन मांगों में एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी, पराली जलाने के लिए और आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेना, विरोध के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिए स्मारक बनाना, बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेना और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को हटाने की मांग शामिल है, जिनका बेटा बेटा लखीमपुर खीरी हिंसा का आरोपी है.
मालूम हो कि पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि तीन कृषि कानूनों को वापस ले लिया जाएगा. हालांकि, किसान नेताओं ने कहा था कि जब तक कि उनकी बाकी बची मांगें पूरी नहीं हो जाती प्रदर्शनकारी टस से मस नहीं होंगे.
किसान नेता राजवीर जादौन ने कहा, ‘सबसे जरूरी चीज यह है कि सरकार अपनी घोषणाओं को मीडिया के माध्यम से प्रसारित करने के बजाय एसकेएम से बात करे. एमएसपी सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है. इसके लिए कानूनी गारंटी के बिना आंदोलन जारी रहेगा.’
एसकेएम ने जारी बयान में कहा कि उसने 21 नवंबर की तारीख वाले अपने पत्र को लेकर प्रधानमंत्री का जवाब नहीं मिलने का संज्ञान लिया है और वह सरकार से वार्ता प्रक्रिया को फिर से शुरू करने और लंबित मुद्दों पर चर्चा करने का आह्वान करता है.
एसकेएम ने कहा, ‘लोकतंत्र में यह चुनी हुई सरकार का कर्तव्य है कि वह विरोध कर रहे किसानों से चर्चा करे और विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करे.’
इससे पहले प्रदर्शनकारी किसानों से अपना आंदोलन समाप्त करने की अपील करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि केंद्र ने पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की उनकी मांग पर सहमति जताई है.
तोमर ने आधिकारिक बयान में कहा कि किसानों की अन्य मांगें एमएसपी और फसल विविधीकरण पर चर्चा के लिए थी. इस मांग को भी समिति के गठन के साथ पूरा किया जाएगा.
एसकेएम ने कहा कि 100 से अधिक संगठन रविवार को मुंबई के आजाद मैदान में संयुक्त शेतकरी कामगार मोर्चा (एसएसकेएम) के बैनर तले ‘किसान-मजदूर महापंचायत’ का आयोजन कर रहे हैं.
इस महापंचायत में महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में किसान और कामगार शामिल होंगे जो किसान आंदोलन की मांगों को उठाएंगे.
मालूम हो कि हजारों की संख्या में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर नवंबर 2020 से तीनों कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)